अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को तीन महीने बाद पहली फोन वार्ता की. इस बातचीत में टिकटॉक के अमेरिका में संचालन को जारी रखने के लिए लंबे समय से लटके समझौते पर प्रगति हुई. इसके अलावा ट्रेड, टैरिफ और वाशिंगटन-बीजिंग के बीच तनाव के अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई.
ट्रंप ने एक्स पर एक पोस्ट में इस वार्ता को अत्यंत उत्पादक करार दिया. उन्होंने कहा, ‘हमने ट्रेड, फेंटेनिल, रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की जरूरत, और टिकटॉक डील की मंजूरी सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रगति की.’ उन्होंने यह भी घोषणा की कि दोनों नेता अगले महीने दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन (APEC) समिट में मिलेंग. डोनाल्ड ट्रंप अगले साल की शुरुआत में चीन की यात्रा करेंगे. वहीं शी जिनपिंग भी अमेरिका की यात्रा पर जाएंगे.
टिकटॉक डील अंतिम चरण में
टिकटॉक के अमेरिकी संचालन का भविष्य वाशिंगटन-बीजिंग संबंधों में एक बड़ा मुद्दा रहा है. अमेरिकी कांग्रेस ने आदेश दिया है कि जनवरी 2025 तक टिकटॉक को अमेरिकी उपयोगकर्ताओं के लिए बंद कर दिया जाए, जब तक कि उसकी मूल कंपनी बाइटडांस अपने अमेरिकी परिसंपत्तियों को नहीं बेच देती. ट्रंप, जो टिकटॉक को अपनी जीत का श्रेय देते हैं, उन्होंने बातचीत जारी रखते हुए इस समयसीमा को बार-बार बढ़ाया है. गुरुवार को उन्होंने टिकटॉक का बचाव करते हुए कहा, ‘टिकटॉक की जबरदस्त वैल्यू है, और यह वैल्यू अमेरिका के हाथ में है क्योंकि हमें इसे मंजूरी देनी है.’
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ट्रेड और टैरिफ तनाव पर बात
दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच टेलीफोनिक वार्ता में व्यापारिक मुद्दों पर भी चर्चा हुई. ट्रंप ने मौजूदा टैरिफ व्यवस्था को बढ़ाने की इच्छा जताई, साथ ही बीजिंग से कृषि खरीद और फेंटेनिल निर्यात पर मजबूत प्रतिबद्धता मांगी. जनवरी में सत्ता में आने के बाद ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ में भारी वृद्धि की, जिसके जवाब में बीजिंग ने भी जवाबी कदम उठाए. हालांकि, चीन की सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी तक पहुंच और रेयर-अर्थ एक्सपोर्ट्स जैसे प्रमुख विवाद अब भी हल नहीं हुए हैं.
एपेक शिखर सम्मेलन की राह
ट्रंप और जिनपिंग के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत को एपेक शिखर सम्मेलन (30 अक्टूबर से 1 नवंबर) से पहले दोनों देशों के संबंधों को स्थिर करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है, जहां दोनों नेता आमने-सामने मिलेंगे. विश्लेषकों का मानना है कि यह सम्मेलन टिकटॉक समझौते को औपचारिक रूप देने और दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच आर्थिक तनाव को कम करने के लिए एक रोडमैप तैयार करने का अवसर प्रदान कर सकता है.
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