9 मिनट पहले
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मिस इंडिया 1994 को भारतीय ब्यूटी पेजेंट्स के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा। इस साल भारत को एक साथ दो इंटरनेशनल खिताब मिले। सुष्मिता सेन ने मिस यूनिवर्स और ऐश्वर्या राय ने मिस वर्ल्ड का ताज जीता। दोनों ही आगे चलकर हिंदी सिनेमा की फेमस एक्ट्रेस बनीं।
हाल ही में फिल्ममेकर प्रहलाद कक्कड़ ने इस कॉन्टेस्ट से जुड़े कई किस्से शेयर किए। उन्होंने बताया कि मिस इंडिया खिताब जीतने से पहले सुष्मिता को लगता था कि ऐश्वर्या विनर बनेंगी।
प्रहलाद कक्कड़ ने बताया कि उस समय सुष्मिता को लगता था कि मिस इंडिया कॉन्टेस्ट ऐश्वर्या राय के पक्ष में फिक्स है।
विक्की लालवानी के साथ बातचीत में प्रहलाद कक्कड़ ने बताया, सुष्मिता को यह सोचकर दुख होता था कि वह नई हैं और किसी को नहीं जानतीं, जबकि ऐश्वर्या पहले से ‘लैक्मे गर्ल’ और टॉप मॉडल थीं। इसी वजह से सबका ध्यान उन्हीं पर था।

प्रहलाद कक्कड़ जाने-माने एड और क्रिएटिव डायरेक्टर हैं।
उन्होंने बताया कि एक बार उन्होंने सुष्मिता को चेंजिंग रूम में रोते देखा।
प्रहलाद ने कहा,“मैं याद करता हूं, मैं अचानक चेंजिंग रूम में गया। सुष्मिता एक कोने में रो रही थीं। मैंने पूछा – क्या हुआ? तो उन्होंने कहा – सब फिक्स है। मैं कभी नहीं जीतूंगी। मैंने कहा – तुम बेवकूफ हो क्या? देखो ज्यूरी को, क्या तुम सोचती हो उन्हें कोई खरीद सकता है? ऐसा मत सोचो। अगर तुम डिजर्व करती हो तो जीतोगी। बस जाकर अपना बेस्ट दो।”
प्रहलाद के अनुसार, बाद में सुष्मिता ने कॉन्टेस्ट जीता और उन्हें फोन कर इस हिम्मत बढ़ाने वाली बात के लिए धन्यवाद भी दिया।

1994 में सुष्मिता सेन ने मिस इंडिया का कॉन्टेस्ट जीता। वहीं, ऐश्वर्या इस कंपीटिशन में फर्स्ट रनर-अप रहीं थीं।
प्रहलाद कक्कड़ ने यह भी साफ किया कि उस समय कई मीडिया रिपोर्टों में ऐश्वर्या और सुष्मिता के बीच कड़ी प्रतिद्वंद्विता की बात कही गई थी। हालांकि, उनके अनुसार, ऐसा नहीं था।
कक्कड़ ने कहा, “असलियत यह थी कि ऐश्वर्या उस वक्त नई थीं। उनका करियर अभी शुरू ही हुआ था। वह थोड़ी रॉ थीं। जबकि सुष्मिता ज्यादा पॉलिश्ड थीं क्योंकि उन्होंने कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई की थी। इसी वजह से जब इंग्लिश में सवाल-जवाब हुआ तो सुष्मिता का प्रदर्शन बेहतर रहा। ऐश्वर्या उतनी फ्लूएंट नहीं थीं।”
प्रहलाद ने आगे बताया कि ऐश्वर्या शुरुआत में इंग्लिश बोलने में सहज नहीं थीं।
उन्होंने कहा, “करियर के शुरुआती दौर में उन्हें इंग्लिश में खुद को संभालने का कॉन्फिडेंस नहीं था। इसलिए वह इंटरव्यू तुलु, कोंकणी और हिंदी में देती थीं, लेकिन इंग्लिश में नहीं। लोग समझते थे कि वह रूड हैं। जबकि सच्चाई यह थी कि वह डरती थीं।”