दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए बॉक्सर नूपुर श्योराण।
इंग्लैंड के लिवरपुल में आयोजित वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2025 मे सिल्वर मेडल विजेता भिवानी की बॉक्सर नूपुर श्योराण ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। इस दौरान नूपुर श्योराण ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के अनुभव को सांझा किया। साथ ही कहा कि फाइनल की हार से उन्हें
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नूपुर श्योराण ने कहा कि उनका लक्ष्य भारत के लिए ओलिंपिक में मेडल लाना है। इसके लिए पहले आने वाले अन्य प्रतियोगिताओं में भाग लेकर भारत को पदक दिलाने के लिए कड़ा अभ्यास करेंगी। हर खिलाड़ी का ओलिंपिक में मेडल का सपना होता है, उसके लिए वे अभ्यासरत हैं।

बॉक्सर नूपुर श्योराण का घर पहुंचने के बाद स्वागत किया गया।
बॉक्सर नूपुर श्योराण से बातचीत पत्रकार : वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप का कैसा सफर रहा और क्या अनुभव रहा? नूपुर श्योराण : बहुत अच्छा अनुभव रहा, वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप का। काफी बढ़िया था। मेरा सिल्वर मेडल आया था तो यह भी पता चला कि क्या कमियां थी और किस चीज पर ध्यान देना है।
पत्रकार : फाइनल बाउट हार गए थे। इसलिए क्या सीखने को मिला और क्या सुधार करेंगे? नूपुर श्योराण : फाइनल बाउट मेरी पोलैंड की खिलाड़ी के साथ थी। जो 3-2 से हारी थी। मेरे कोच एवं पिता संजय श्योराण से यही डिस्कस कर रहे थे कि आने वाले नवंबर में वर्ल्ड कप है। उसके बाद एशियन चैंपियनशिप है। वे कमियां दूर करनी है और कौशिक करेंगे कि गोल्ड मेडल लेकर आएं।
पत्रकार : बाउट के दौरान क्या अनुभव रहा और क्या टेक्निक अपनाई? नूपुर श्योराण : टेक्निक पर काम ही कर रहे थे, इसलिए परफॉर्मेंस आई है। इससे पहले वर्ल्ड कप में गोल्ड आया था। तो वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल। टेक्निक थी उनको और बेहतर करेंगे और जो कमियां थी, उनको सुधारेंगे।
पत्रकार : क्या लक्ष्य लेकर चल रहे हैं? नूपुर श्योराण : लक्ष्य तो अब वर्ल्ड कप और एशियन चैंपियनशिप है। उसके बाद एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स भी हैं। उसके बार 2028 में ओलिंपिक भी होना है। अभी उसी की तैयारी में लगेंगे। ट्रेनिंग तो सुबह ढाई घंटे और शाम को ढाई घंटे करती हैं।
पत्रकार : कितने सालों का अनुभव रहा, जो यहां तक पहुंचे और किन-किन का सहयोग रहा? नूपुर श्योराण : स्पोट तो सबका रहा, जितने भी मेरे आसपास के लोग हैं। मीडिया का भी पूरा हाथ रहा है। जब मैं छोटी-सी थी, जब मेरी जिला या राज्य स्तरीय गेम में मेडल आता था तो मीडियाकर्मी मेरी बाइट लेने आते थे। उससे बहुत कुछ होता है। बहुत मोटिवेशन मिलता है। जब मैं छोटी थी तो बहुत अच्छा लगता था और यही लगता था कि आगे चलकर कुछ करना है।
पत्रकार : भारत को ओलिंपिक मेडल दिलाने के लिए नूपुर खुद में क्या सुधार करेंगी? नूपुर श्योराण : 50 प्रतिशत संभावना है कि मेरा वेट कैटेगरी (भारवर्ग) प्लस 80 वह ओलिंपिक में होगा। अगर नहीं होता है और 75 किलोग्राम भारवर्ग होगा तो हम उसके लिए तैयारी करेंगी और वेट कम करेंगे।
पत्रकार : दूसरी बेटियों को क्या संदेश देना चाहेंगी जो फिलहाल खेलों में शुरुआत कर रही हैं? नूपुर श्योराण : मैं यही संदेश देना चाहूंगी कि जो काम करने लगे हुए हो उसे खुलकर करें किसी बंदिश में ना करें। समाज के कुछ नियम होते हैं, उनको हमें फॉलो करना पड़ता है। लेकिन जो काम कर रहे हैं, वह चाहे पढ़ाई कर रहे हो या खेल कर रहे हो तो उसे पर पूरा शतप्रतिशत दें।

जानकारी देती हुई बॉक्सर नूपुर श्योराण।
भारत के लिए पहला मेडल किया था पक्का बता दें कि वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 4 से 14 सितंबर तक इंग्लैंड के लिवरपुल में आयोजित की गई। जिसमें भिवानी स्थित गुरु द्रोणाचार्य कैप्टन हवा सिंह बॉक्सिंग अकादमी की बॉक्सर नूपुर श्योराण ने 80 प्लस किलोग्राम भारवर्ग में खेलते हुए भारत के लिए पहला मेडल पक्का किया था। अपने प्रतिद्वंद्वी बॉक्सरों को हराते हुए फाइनल तक पहुंची। लेकिन फाइनल मुकाबले में उन्हें पोलैंड की बॉक्सर से हार का सामना करना पड़ा और सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा।
साढ़े 7 साल पहले की थी बॉक्सिंग शुरू नूपुर श्योराण ने बॉक्सिंग की करीब साढ़े 7 साल पहले शुरू की। वहीं अब वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए सुबह और शाम को ढाई-ढाई घंटे प्रैक्टिस करती थी। साथ ही डाइट का भी ध्यान रखती हैं। वे खेल के साथ-साथ पढ़ाई में मैं काफी अच्छी रही। 12वीं में 92 प्रतिशत अंक थे। वह वर्ल्ड चैंपियनशिप 2023 में भी खेलीं, लेकिन 5वें नंबर पर रहीं।
कैप्टन हवासिंह की पोती भिवानी में एक ही परिवार की तीन पीढ़ियों ने बॉक्सिंग को इंटरनेशनल चैंपियन दिए हैं। भिवानी में बॉक्सिंग की शुरुआत करने वाले और बॉक्सिंग के लिए भिवानी को प्रसिद्ध करने वाले कैप्टन हवा सिंह की पोती नूपुर श्योराण हैं। कैप्टन हवा सिंह ने 1966 और 1970 में दो बार एशियन खेलों में गोल्ड मेडल जीते थे। साल 1961 से 1972 तक उन्होंने लगातार 11 बार हैवीवेट वर्ग में राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती। उन्होंने बॉक्सिंग छोड़ने के बाद कई बॉक्सर तैयार किए। वहीं कैप्टन हवासिंह को अर्जुन अवॉर्ड और द्रोणाचार्य अवॉर्ड भी मिले हैं।
कैप्टन हवासिंह के बेटे संजय श्योराण भी इंटरनेशनल चैंपियन रह चुके हैं। उन्होंने एशियन खेलों में मेडल जीता था। सरकार ने उन्हें भीम अवॉर्ड से सम्मानित भी किया। फिलहाल वे गुरु द्रोणाचार्य कैप्टन हवा सिंह बॉक्सिंग अकादमी में कोचिंग दे रहे हैं। वहीं संजय श्योराण की पत्नी मुकेश रानी भी बास्केटबॉल की खिलाड़ी रही हैं और एशियाई चैंपियनशिप में पदक विजेता हैं।