
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सेना अब वॉट्सऐप जैसी विदेशी एप्स पर निर्भर नहीं है और ‘संभव’ को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए लगातार अपग्रेड किया जा रहा है. जनरल द्विवेदी के अनुसार मई में पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में सैनिकों, कमांडरों, वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं ने मिलकर एक राष्ट्रव्यापी रणनीति के तहत काम किया. उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक इंटेलिजेंस-आधारित कार्रवाई बताया जिसने भारत की आतंकवाद-रोधी नीति को नई दिशा दी.

जनवरी 2024 में लॉन्च हुआ ‘संभव’ आत्मनिर्भर भारत की भावना का प्रतीक है. यह एक एंड-टू-एंड सुरक्षित मोबाइल प्लेटफॉर्म है जो 5G तकनीक पर आधारित है और मल्टी-लेयर एन्क्रिप्शन से लैस है. इस सिस्टम के जरिए अधिकारी चलते-फिरते सुरक्षित तरीके से कनेक्ट रह सकते हैं और डॉक्यूमेंट, तस्वीरें या वीडियो बिना किसी लीक के आदान-प्रदान कर सकते हैं. वॉट्सऐप के विकल्प के रूप में इसमें M-Sigma नामक एक स्वदेशी एप भी शामिल है जो पूरी तरह सुरक्षित है.

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल नेटवर्क आसानी से जासूसी के शिकार हो सकते हैं और संवेदनशील जानकारी लीक होने का खतरा हमेशा बना रहता है. इसी समस्या का समाधान ‘संभव’ लेकर आया है जिसे नेटवर्क-एग्नॉस्टिक तरीके से डिजाइन किया गया है ताकि किसी भी परिस्थिति में सुरक्षित संचार सुनिश्चित हो सके. इस परियोजना को देश के प्रमुख शैक्षणिक और औद्योगिक संस्थानों के साथ मिलकर विकसित किया गया है.

अक्टूबर में चीन के साथ हुई सैन्य वार्ताओं के दौरान भी इस डिवाइस का इस्तेमाल किया गया था. फिलहाल करीब 30,000 से अधिक डिवाइस सेना के अधिकारियों को मुहैया कराए जा चुके हैं जो इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सेना अब संचार के लिए पूरी तरह अपने स्वदेशी और सुरक्षित सिस्टम पर भरोसा कर रही है.

दुनिया में अभी केवल अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के पास ही ऐसे डिफेंस कम्युनिकेशन सिस्टम हैं और अब भारत भी इस विशिष्ट क्लब का हिस्सा बन गया है. ‘संभव’ के आने से न सिर्फ सेना की विदेशी एप्स पर निर्भरता खत्म हुई है बल्कि डेटा सुरक्षा का स्तर भी कई गुना बढ़ गया है. यह मेड-इन-इंडिया मोबाइल आने वाले समय में भारत की सैन्य ताकत और डिजिटल आत्मनिर्भरता का सबसे अहम प्रतीक साबित हो सकता है.
Published at : 20 Sep 2025 01:54 PM (IST)