‘यह हमारे लिए आत्मघाती घाव है…’, ट्रंप के H-1B वीजा शुल्क को अमेरिकी सांसद ने बताया खतरनाक फैसला – Congresswoman Sydney Kamlager Dove warns Trump’s H 1B fee US India ties ntc

‘यह हमारे लिए आत्मघाती घाव है…’, ट्रंप के H-1B वीजा शुल्क को अमेरिकी सांसद ने बताया खतरनाक फैसला – Congresswoman Sydney Kamlager Dove warns Trump’s H 1B fee US India ties ntc


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर का नया शुल्क लगाने के फैसले की अमेरिका में ही तीखी आलोचना हो रही है. डेमोक्रेटिक सांसद सिडनी कैमलेगर-डव ने चेतावनी दी है कि यह कदम “अमेरिकी प्रतिस्पर्धा को तबाह कर देगा, अमेरिकी व्यवसायों को चोट पहुंचाएगा और अमेरिका-भारत संबंधों को और नुकसान पहुंचाएगा.”

कैलिफोर्निया की डेमोक्रेट सांसद ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति अमेरिकी अर्थव्यवस्था की कीमत पर आप्रवासियों और वैश्विक प्रतिभा को निशाना बना रहे हैं. उन्होंने कहा, “अमेरिकी श्रमिक ट्रंप की बढ़ती बेरोजगारी और मुद्रास्फीति से पीड़ित हैं. हानिकारक और ज़ेनोफोबिक नीतियों के बजाय इसे ठीक क्यों नहीं करते?”

कैमलेगर-डव ने कहा कि यह नीति न केवल विदेशी प्रतिभाओं के लिए हानिकारक है बल्कि अमेरिकी कंपनियों और विश्वविद्यालयों के लिए भी नुकसानदेह होगी, जो सालों से इस प्रोग्राम पर निर्भर हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति ट्रंप “इमिग्रेंट्स और ग्लोबल टैलेंट” को निशाना बनाकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था और इनोवेशन को चोट पहुंचा रहे हैं.

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भारत के लिए बड़ा झटका

बाइडेन-युग का H-1B कार्यक्रम अमेरिकी टेक कंपनियों और विश्वविद्यालयों के लिए विदेशों से उच्च कुशल श्रमिकों को लाने के लिए एक जीवनरेखा रहा है. इस कार्यक्रम के आवेदकों में भारत सबसे बड़ा स्रोत है. विशेषज्ञों के अनुसार, इस भारी भरकम शुल्क से भारत समेत अन्य देशों के तकनीकी और शोध प्रतिभाओं का रुख दूसरे बाज़ारों की ओर हो सकता है.

इस घोषणा ने भारत के आईटी उद्योग को पहले ही हिलाकर रख दिया है और भारत की आईटी इंडस्ट्री को एक ही दिन में 10 अरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा.

कमालगर-डव ने जोर देकर कहा कि यह नीति सिर्फ विदेशी श्रमिकों को नहीं, बल्कि अमेरिकी कंपनियों को भी नुकसान पहुंचाएगी जो उनकी विशेषज्ञता पर निर्भर हैं. उन्होंने कहा, “यह एक आत्मघाती घाव है जो अमेरिकी नवाचार और आर्थिक नेतृत्व को कमजोर करता है.”

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AILA ने भी की आलोचना

‘अमेरिकन इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन’ (AILA) के अध्यक्ष जेफ जोसेफ ने भी ट्रंप की नई वीजा नीति की निंदा की और इसे “असंवेदनशील और क्रूर” बताया. उन्होंने कहा कि इस कदम से न केवल तकनीकी क्षेत्र, बल्कि छोटे व्यवसायों सहित अन्य उद्योगों को भी नुकसान होगा, जिन्हें महत्वपूर्ण श्रमिकों की आवश्यकता है.

हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का वादा कर चुके हैं, लेकिन यह फैसला दोनों देशों के रिश्तों में और खटास ला सकता है.

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