Importance of Kalava: हिंदू धर्म में कलावे का इस्तेमाल रक्षा सूत्र के तौर पर किया जाता है. पंडित या मंदिर के पुजारी कलाई पर कलावा बांधने के दौरान विशेष तरह के मंत्रों का उच्चारण करते हैं.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, शादी से पहले लड़कियों के सीधे हाथ पर कलावा क्यों बांधा जाता है? और विवाह के पश्चात कलावा उल्टे हाथ पर क्यों? आइए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब ढूंढते हैं.
शादी से पहले सीधे हाथ में क्यों बांधा जाता है कलावा
अविवाहित लड़कियों को ब्रह्मचारी का रूप माना जाता है, इसलिए शादी से पहले लड़कियों के सीधे हाथ पर कलावा बांधा जाता है. सीधे हाथ का संबंध कर्म और अनुशासन से होता है, जो किसी भी ब्रह्मचारी व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी होता है.
वही विवाह होने के बाद स्त्रियां अर्धांगनि बन जाती हैं और वो आधा अंग बाएं तरफ होता है, इसलिए शादी के बाद किसी भी महिला के उल्टे हाथ में ही कलावा बांधा जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे का ज्योतिषीय रहस्य?
शादी के बाद उल्टे हाथ में क्यों बांधा जाता है कलावा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सीधे हाथ का संबंध सूर्य नाड़ी, जिसे पिंगला नाड़ी भी कहते है, से होता है. सीधे हाथ में कलावा बांधने से आत्मविश्वास और शक्ति में इजाफा होता है, जो किसी भी ब्रह्मचारी पुरुष और स्त्री के लिए जरूरी है.
वहीं चंद्र नाड़ी का संबंध उल्टे हाथ से होता है, जिसे ईडा नाड़ी भी कहते हैं. यह आपके वैवाहिक जीवन और सौम्यता को दर्शाता है. इसी वजह से शादी के बाद स्त्रियों के उल्टे हाथ में कलावा बांधा जाता है.
कलावा को कितने बार लपेटना चाहिए?
कलावे को कलाई पर तीन बार लपेटना चाहिए, जो कि तीन प्रकृति (वात, पित्त और कफ) को दर्शाता है. यह त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) को भी दर्शाता है. यह त्रिऋण (देवऋण,ऋषिऋण और पितृ ऋण) का भी प्रतीक है. इसीलिए कलावे को तीन बार ही लपेटना चाहिए.
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