उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को आयोजित ‘विकसित उत्तर प्रदेश’ समिट में स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने पर खास फोकस रहा. इस दौरान आयोजित ‘आयुष्मान भवः’ सेशन में राज्य के शीर्ष अफसरों और देश के दिग्गज हेल्थकेयर एक्सपर्ट्स ने शिरकत की.
मंच पर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित कुमार घोष, प्रमुख सचिव राजस्व रणवीर प्रसाद, पूर्व ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया डॉ. जी.एन. सिंह, यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल्स की मैनेजिंग डायरेक्टर उपासना अरोड़ा और मेदांता लखनऊ के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर मौजूद रहे.
देश में केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना के क्रियान्वयन पर बात करते हुए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित कुमार घोष ने कहा कि जब पब्लिक हेल्थ की बात करते हैं तो हमारा फोकस शिफ्ट होता है और ये जाकर रुकता है अंतिम पायदान के व्यक्ति पर. पब्लिक हेल्थ सिस्टम कोई नई बात नहीं है. इसके लिए शुरुआत से ही शासन और प्रशासन लगातार प्रयासरत रहा है. जैसे जैसे संसाधन बढ़े, तकनीक बदली, वैसे-वैसे नए नए विकल्प होते चले गए.
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब हम सर्विस में आए थे तो IRDP योजना होती थी. उसमें गरीब आदमी तक अनुदान कैसे पहुंचे, उसी में हमारी सारी मेहनत जाती थी. लेकिन आज की तारीख में हम सीधे योजनाओं का लाभ पहुंचा रहे हैं. आधार और डिजिटलाइजेशन का इसमें बड़ा योगदान है. कुछ इसी तरह की तकनीक को लेते हुए गरीब तबके के लोगों के लिए आयुष्मान योजना लाई गई है. इसमें हम साल में 5 लाख रुपये तक की मेडिकल मदद देते हैं.
सरकार द्वारा गरीबों को दिए जा रहे राशन के साथ फोर्टिफाइड चावल दिया जा रहा है. इस पर प्रमुख सचिव राजस्व रणवीर प्रसाद ने बताया कि जब हम विकसित यूपी की बात करते हैं तो गरीब तबके की भी बात होना जरूरी है कि इन्हें बेसिक चीजें मिलें. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है खाना. हमारा नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट एक बड़े तबके को राशन देने की गारंटी देता है. इसमें चावल और गेहूं दिया जाता है. स्टडी में सामने आया कि एनिमिया के मामले देश में बहुत ज्यादा हैं. इसलिए विभाग ने फोर्टिफाइड चावल के साथ FRK मिक्स करके देने का फैसला किया. इससे एनिमिया के मामलों में गिरावट आई.
स्वदेशी और दवाइयों आदि पर जीएसटी कटौती पर मेदांता लखनऊ के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ राकेश कपूर ने कहा कि ये बहुत ही अभूतपूर्ण कदम है. ड्रग्स और कंज्यूमेबल पर सब्सिडी दी जाती है तो ये बहुत बड़ी बात होगी मेडिकल में. इससे लोगों को सस्ते में इलाज मिल सकेगा. हेल्थ सेक्टर में बदलाव की बहुत जरूरत है. अधिकांश लोगों को लगता है कि हमें बड़े अस्पताल में जाना है. हमें अपने आसपास के मेडिकल कॉलेज पर भी भरोसा करने की जरूरत है. जहां हम छोटे इलाज और सर्जरी के लिए जा सकते हैं. लेकिन इनमें सरकार को भी ध्यान देने की जरूरत है कि सुविधाएं और डॉक्टर कैसे हैं वहां. सरकार को लोगों में विश्वास जगाने की जरूरत है.
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