समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव और मुस्लिम कद्दावर नेता आज़म खान अब जेल से बाहर आ चुके हैं. 23 महीने बाद सीतापुर की जेल से आज़म खान रिहा होकर बाहर निकले तो उनके स्वागत के लिए सपा का कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा. इस बात का मलाल आज़म खान की बातों में दिखा, जिसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अब खुद रामपुर जाकर उनसे मिलने का फ़ैसला किया है, लेकिन यह मुलाकात अभी ना होकर 8 अक्टूबर को तय की गई है.
आज़म खान की रिहाई के दौरान भले ही अखिलेश यादव सीतापुर जेल उनका स्वागत करने न पहुंचे हों, लेकिन मायावती की लखनऊ में होने वाली रैली से ठीक एक दिन पहले रामपुर जाकर आज़म से मिलने का कार्यक्रम बनाया. अखिलेश ने आज़म खान से मिलने की 8 अक्टूबर की तारीख तय की है.
अखिलेश यादव, आज़म खान से रामपुर जाकर मुलाकात करेंगे. आज़म से अखिलेश की होने वाली मुलाकात सियासी तौर पर काफ़ी अहम मानी जा रही है, जिस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं.
आज़म खान से मिलने रामपुर जा रहे अखिलेश
लखनऊ से सीतापुर की दूरी महज़ 88 किलोमीटर है. सीतापुर की जेल में आज़म खान 23 महीने तक बंद रहे, लेकिन इस दौरान अखिलेश उनसे सिर्फ़ एक बार ही मिलने गए. मंगलवार को आज़म जेल से बाहर निकले तो सपा का कोई बड़ा नेता उनका स्वागत करता नज़र नहीं आया. इस बात का मलाल आज़म खान ने मीडिया से ज़ाहिर किया.
आज़म खान ने कहा कि अगर वह बड़े नेता होते तो उन्हें रिसीव करने कोई बड़ा नेता आता, छोटे नेता के लिए कोई नहीं आता. यही बात उन्होंने दूसरे दिन रामपुर में भी दोहराई, लेकिन बुधवार की शाम सूरज ढला भी नहीं था कि अखिलेश ने रामपुर जाकर आज़म से मुलाकात फाइनल कर दी.
अखिलेश यादव 8 अक्टूबर की सुबह 10 बजे अमौसी एयरपोर्ट से बरेली एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरेंगे. बरेली से सड़क मार्ग से अखिलेश यादव सीधे रामपुर आज़म खान के घर पहुंचेंगे. आज़म खान के साथ अखिलेश यादव एक घंटे तक बातचीत करेंगे. इसके बाद अखिलेश वापस बरेली होते हुए लखनऊ लौट जाएंगे. माना जा रहा है कि एक घंटे की यह मुलाकात सपा की मुस्लिम सियासत के लिए काफ़ी अहम है.
आज़म-अखिलेश की मुलाकात कैसे हुई फाइनल
अखिलेश यादव मुलाकात से पहले आज़म खान के मूड को भांपना चाह रहे थे, क्योंकि आज़म ने सपा के कई नेताओं से सीतापुर जेल में मिलने से मना कर दिया था. ऐसे में अखिलेश यादव पहले आज़म खान के मिजाज़ का अंदाज़ा लगा लेना चाहते थे और फिर उसके बाद किसी तरह का कोई कदम बढ़ाने का फ़ैसला किया.
जेल से रिहा होने के बाद मंगलवार को आज़म भले ही अखिलेश के ज़िक्र पर चुप्पी साध ली थी, लेकिन बुधवार को नरम नज़र आए. अखिलेश यादव का नाम आने पर उन्होंने कहा कि वो बड़े नेता हैं, अगर मेरे बारे में कुछ कहते हैं तो उनका बड़प्पन है. यह भी कहा, वो नेताजी की औलाद हैं, हमें भी उतने ही अज़ीज़ हैं, जितने वो नेताजी के रहे होंगे. हम उतनी ही उनसे मोहब्बत करते हैं, उनका भला चाहते हैं, उनकी सरकार चाहते हैं.
आज़म खान के नरम तेवर के बाद ही अखिलेश यादव ने उनसे मिलने का प्रोग्राम बनाया. यह फ़ैसला दोनों नेताओं के बीच एक पूर्व विधायक के फ़ोन से हुई लंबी बातचीत के बाद सामने आया है. सूत्रों के मुताबिक़, आज़म खान और अखिलेश यादव के बीच फ़ोन पर बात हुई. इस बातचीत के बाद आज़म खान से अखिलेश ने रामपुर जाकर मिलने का फ़ैसला किया.
बसपा में शामिल होने के सवाल पर आज़म खान ने कहा कि हमारे पास चरित्र नाम की एक चीज़ है. इसका मतलब यह नहीं कि हमारे पास कोई पद या ओहदा हो. लोग हमें प्यार करें, इज़्ज़त दें और यह साबित हो कि हम बिकाऊ माल नहीं हैं, यही काफ़ी है. इस बात ने साफ़ कर दिया है कि आज़म खान किसी भी सूरत में सपा छोड़ने वाले नहीं हैं, जिसने अखिलेश को रामपुर आकर उनसे मिलने को मजबूर कर दिया.
आज़म खान से अखिलेश की मुलाकात के मायने
अखिलेश यादव की 8 अक्टूबर को आज़म खान से होने वाली मुलाकात को उत्तर प्रदेश में सियासी तौर पर काफ़ी अहम माना जा रहा है. आज़म खान और उनका परिवार सपा प्रमुख अखिलेश यादव से इसलिए नाराज़ बताया जा रहा था, क्योंकि उनके संघर्ष के समय उन्हें सपा ने अकेले छोड़ दिया था. पिछले दो साल से आज़म जेल में हैं और क़रीब 104 मुक़दमे दर्ज हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इन दो सालों में महज़ एक बार मुलाकात की है, लेकिन उनकी रिहाई के लिए कोई आंदोलन नहीं किया और इस बुरे वक्त में उन्हें अकेला छोड़ दिया.
2024 के लोकसभा चुनाव में आज़म खान को सपा में कोई अहमियत नहीं दी और उनके कई क़रीबी नेताओं को भी टिकट नहीं दिया गया. रामपुर सीट पर आज़म खान की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ प्रत्याशी उतारा गया, जिसका दर्द भी आज़म खान ने जेल से बाहर आने के बाद बयाँ किया. मुरादाबाद के पूर्व सांसद एचटी हसन को लेकर उन्होंने कहा कि जब मैं रामपुर में अपने किसी आदमी को टिकट नहीं दिला पाया, तो किसी और का टिकट कैसे कटवा सकता था.
आज़म खान के जेल से बाहर आने और उनकी नाराज़गी सपा के लिए सियासी टेंशन बन सकती थी. आज़म सपा के सबसे बड़े मुस्लिम नेता हैं. सपा के सामने मुसलमानों को जोड़े रखने में चुनौती है. अखिलेश यादव पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान से 23 महीने के बाद मुलाकात करने रामपुर जाएंगे. इस तरह आज़म से मिलकर अखिलेश ने सियासी संदेश देने का प्लान बनाया है.
मायावती की रैली से एक दिन पहले मुलाकात
अखिलेश यादव ने बसपा की लखनऊ में होने वाली रैली से एक दिन पहले आज़म खान से मिलने का कार्यक्रम बनाया है. इस तरह से अखिलेश, आज़म के बसपा में शामिल होने की तमाम अटकलों पर विराम लगा देना चाहते हैं और इसके पीछे बड़ा सियासी संदेश देने की रणनीति भी है. हालाँकि, आज़म खान ने सियासी अटकलों का लगभग-लगभग खंडन कर दिया है.
मायावती 9 अक्टूबर को कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर लखनऊ में एक बड़ी रैली करके मिशन-2027 का आगाज़ करने जा रही हैं. इस रैली में कई नेता बसपा का दामन थाम सकते हैं. ऐसे में मायावती की रैली से ठीक एक दिन पहले अखिलेश यादव का रामपुर जाना इस बात का साफ़ संकेत है कि सपा किसी भी सूरत में आज़म खान के सियासी प्रभाव क्षेत्र में सेंध नहीं लगने देना चाहती. इसे सपा की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है ताकि आज़म खान और उनके समर्थकों को पार्टी के साथ मज़बूती से जोड़े रखा जा सके.
अखिलेश यादव 8 अक्टूबर को आज़म खान और उनके परिजनों से भी मुलाकात करेंगे. अखिलेश की यह मुलाकात आज़म से न सिर्फ़ व्यक्तिगत रिश्तों को मज़बूत करने के लिए है बल्कि सियासी समीकरणों को साधने की है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपा की यह सक्रियता आज़म खान को लेकर चल रही राजनीतिक अटकलों को विराम देने और मुस्लिम वोट बैंक को साधे रखने की रणनीति का हिस्सा है.
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