Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि में मां दुर्गा की भक्ति का अनोखा तरीका गरबा! जानें उत्पत्ति, महत्व और रहस्य!

Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि में मां दुर्गा की भक्ति का अनोखा तरीका गरबा! जानें उत्पत्ति, महत्व और रहस्य!


शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होते ही लोगों के दिमाग में माता रानी की भक्ति करने के साथ गरबा करने का भी ख्याल आता है. गरबा एक ऐसा पवित्र नृत्य (Dance) जो भगवती देवी के सम्मान में किया जाता है. इस दौरान सभी भक्त एक अखंड ज्योति के चारों और घूमते हैं और उत्सव मानते हैं. आइए जानते हैं आखिर गरबा की उत्पत्ति हुई कैसे?

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होते ही लोगों के दिमाग में माता रानी की भक्ति करने के साथ गरबा करने का भी ख्याल आता है. गरबा एक ऐसा पवित्र नृत्य (Dance) जो भगवती देवी के सम्मान में किया जाता है. इस दौरान सभी भक्त एक अखंड ज्योति के चारों और घूमते हैं और उत्सव मानते हैं. आइए जानते हैं आखिर गरबा की उत्पत्ति हुई कैसे?

गरबा शब्द गर्भा से आया है, जिसका मतलब गर्भ होता है. कहने का तात्पर्य है, कि यह सृष्टि आदि गर्भ, शक्ति के स्थान का प्रतिनिधित्व करता है, जहां से ब्रह्मांड ने जन्म लिया है. गरबा खेलते वक्त केंद्र में एक दीपक होता है. यह दिव्य ज्योति मां की आस्था का प्रतीक होता है, जो अस्तित्व के गर्भ में स्थित एक शाश्वत प्रकाश है.

गरबा शब्द गर्भा से आया है, जिसका मतलब गर्भ होता है. कहने का तात्पर्य है, कि यह सृष्टि आदि गर्भ, शक्ति के स्थान का प्रतिनिधित्व करता है, जहां से ब्रह्मांड ने जन्म लिया है. गरबा खेलते वक्त केंद्र में एक दीपक होता है. यह दिव्य ज्योति मां की आस्था का प्रतीक होता है, जो अस्तित्व के गर्भ में स्थित एक शाश्वत प्रकाश है.

गरबा खेलते समय सभी लोग गोलाकार होकर नृत्य करते हैं, जो जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र का प्रतिनिधित्व करती है. दीपक के चारों और भक्त उसी तरह घूमते हैं, जिस प्रकार सभी ग्रह सूर्य के चारों और घूमते हैं.

गरबा खेलते समय सभी लोग गोलाकार होकर नृत्य करते हैं, जो जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र का प्रतिनिधित्व करती है. दीपक के चारों और भक्त उसी तरह घूमते हैं, जिस प्रकार सभी ग्रह सूर्य के चारों और घूमते हैं.

गरबा एक उत्साही लगातार चलने वाला लोक नृत्य है. जिसमें नर्तकों का बाहरी घेरा मंडल में लगातार गोल-गोल घूमकर नृत्य करते हैं. गरबा खेलते समय हाथ और पैर की लय शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक मानी जाती हैं.

गरबा एक उत्साही लगातार चलने वाला लोक नृत्य है. जिसमें नर्तकों का बाहरी घेरा मंडल में लगातार गोल-गोल घूमकर नृत्य करते हैं. गरबा खेलते समय हाथ और पैर की लय शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक मानी जाती हैं.

गरबा नवरात्रि के दौरान किया जाता है, जो नवदुर्गा की पवित्र रातें होती हैं. प्रत्येक रात्रि का गरबा देवी के एक रूप के सम्मान में किया जाता है. जो साधक के भीतर की ऊर्जा को नृत्य के जरिए जगाती है.

गरबा नवरात्रि के दौरान किया जाता है, जो नवदुर्गा की पवित्र रातें होती हैं. प्रत्येक रात्रि का गरबा देवी के एक रूप के सम्मान में किया जाता है. जो साधक के भीतर की ऊर्जा को नृत्य के जरिए जगाती है.

गरबा बेशक आनंदमय उत्सव प्रतीत होता है, लेकिन वह साधना का एक गुप्त रूप है. इस दौरान आपका शरीर मंदिर बन जाता है और अनुष्ठान का काम नृत्य करता है और केंद्र में जल रही ज्योति देवता की भूमिका निभाती है.

गरबा बेशक आनंदमय उत्सव प्रतीत होता है, लेकिन वह साधना का एक गुप्त रूप है. इस दौरान आपका शरीर मंदिर बन जाता है और अनुष्ठान का काम नृत्य करता है और केंद्र में जल रही ज्योति देवता की भूमिका निभाती है.

Published at : 26 Sep 2025 06:30 AM (IST)



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