एशिया का सबसे लोकप्रिय देवता कौन है? बहुरंगी आस्था में छिपे हैं कई गहरे राज!

एशिया का सबसे लोकप्रिय देवता कौन है? बहुरंगी आस्था में छिपे हैं कई गहरे राज!


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एशिया केवल भूगोल का सबसे बड़ा महाद्वीप नहीं है, बल्कि यह आस्था और संस्कृति का विशाल केंद्र भी है. यहां करोड़ों लोग अलग-अलग धर्मों का पालन करते हैं, जिनके देवता, पैगंबर और दार्शनिक प्रतीक अलग-अलग रूपों में पूजे जाते हैं.

सवाल उठता है कि इतने विविधताओं के बीच एशिया के सबसे लोकप्रिय देवता कौन से हैं? इसका उत्तर केवल धार्मिक भावनाओं से नहीं, बल्कि प्रमाण और तर्क से भी खोजना होगा. लोकप्रियता का निर्धारण तीन आधारों पर किया जा सकता है जैसे अनुयायियों की संख्या, सांस्कृतिक प्रभाव और अनुष्ठानों की व्यापकता.

हिंदू धर्म: राम, कृष्ण और भगवान शिव की विराटता

भारत और नेपाल की विशाल आबादी के कारण हिंदू देवता एशिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक प्रतीक हैं. श्रीराम और श्रीकृष्ण की कथाएं न केवल भारत में, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया तक गूंजती हैं.

थाईलैंड में रामकथा रामकीएन के रूप में आज भी लोकसंस्कृति का हिस्सा है, जबकि इंडोनेशिया और कंबोडिया के नृत्य-नाटकों में रामायण जीवंत है. श्रीकृष्ण की बाललीलाएं, गीता का उपदेश और भक्ति आंदोलन की लहर ने उन्हें हर वर्ग का आराध्य बना दिया.

भगवान शिव को महादेव कहा जाता है. काशी विश्वनाथ से लेकर कैलाश पर्वत तक उनका प्रतीक हर जगह मिलता है. दक्षिण भारत, नेपाल, श्रीलंका और यहां तक कि बाली (इंडोनेशिया) में भी शिव की पूजा होती है.

वहीं, देवी दुर्गा और काली शक्ति की आराधना के रूप में बंगाल, असम और नेपाल में विशेष महत्त्व रखती हैं. दुर्गा पूजा तो आज सांस्कृतिक महोत्सव के रूप में पूरी दुनिया में पहचानी जाती है.

बौद्ध धर्म: करुणा और ज्ञान का प्रसार

भारत में जन्मे सिद्धार्थ गौतम बुद्ध ने एशिया की आध्यात्मिक दिशा बदल दी. बुद्ध का मध्यम मार्ग आज भी चीन, जापान, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, कोरिया और तिब्बत तक लोगों की आस्था का केंद्र है. गौतम बुद्ध केवल धार्मिक गुरु नहीं, बल्कि करुणा और ज्ञान के प्रतीक हैं.

बौद्ध परंपरा में अवलोकितेश्वर, जिन्हें चीन और जापान में गुआनयिन कहा जाता है, सबसे लोकप्रिय हैं. करुणा की यह देवी लाखों मंदिरों और मूर्तियों के रूप में दिखाई देती हैं.

चीन और जापान में हर साल करोड़ों लोग गुआनयिन के मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं. प्योर लैंड परंपरा में अमिताभ बुद्ध भी अत्यधिक पूजनीय हैं, जिनकी आराधना विशेषकर चीन और जापान में होती है.

इस्लाम: अल्लाह की इबादत

इस्लाम में किसी देवता की पूजा नहीं होती, केवल अल्लाह की इबादत होती है. नबी मुहम्मद को अंतिम पैगंबर माना जाता है और उनका आदर पूरी मुस्लिम दुनिया में समान रूप से है.

एशिया में सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या है. इंडोनेशिया, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, ईरान और तुर्की को मिलाकर लगभग 1.2 अरब मुसलमान इस महाद्वीप में रहते हैं. इस दृष्टि से केवल संख्यात्मक आधार पर देखें तो अल्लाह एशिया के सबसे अधिक पूजित और लोकप्रिय ईश्वर हैं. पांच वक्त की नमाज, रमजान, हज और ईद जैसे अनुष्ठान इस आस्था को और गहरा करते हैं.

चीन और पूर्वी एशिया के लोक देवता

चीन का धार्मिक परिदृश्य बौद्ध और ताओ परंपराओं का संगम है. यहां लोक देवताओं की पूजा गहरी जड़ें जमाए हुए है. गुआन यू, जिन्हें वफादारी और न्याय का देवता माना जाता है, पुलिस थानों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और मंदिरों में पूजे जाते हैं.

जेड सम्राट यानी यू हुआंग दादी को स्वर्ग का सर्वोच्च शासक माना जाता है. वहीं समुद्र की देवी माज़ू ताइवान और तटीय चीन में विशेष रूप से पूजनीय हैं. लाखों मछुआरे और व्यापारी उनके मंदिरों में जाकर आशीर्वाद लेते हैं.

जापान का शिंतो और अमातेरासु

जापान का शिंतो धर्म हजारों कामी (देवताओं और आत्माओं) पर आधारित है. इनमें सूर्य देवी अमातेरासु का स्थान सर्वोच्च है. जापानी शाही परिवार स्वयं को उनका वंशज मानता है और राष्ट्रीय ध्वज पर बना उगता सूर्य अमातेरासु का प्रतीक है. जापान की संस्कृति और पहचान अमातेरासु से गहराई से जुड़ी हुई है.

सांस्कृतिक और जनसंख्या आधारित निष्कर्ष

अगर केवल जनसंख्या के आधार पर देखें तो एशिया में अल्लाह की पूजा करने वाले मुसलमान सबसे अधिक हैं. हिंदू धर्म के राम, कृष्ण और शिव भी करोड़ों लोगों के आराध्य हैं. गौतम बुद्ध और गुआनयिन का प्रभाव चीन, जापान और दक्षिण-पूर्व एशिया में गहरा है. वहीं जापान की राष्ट्रीय पहचान में अमातेरासु सर्वोच्च स्थान रखती हैं.

प्रमाण और तर्क

इन देवताओं की लोकप्रियता को केवल जनसंख्या से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक प्रमाणों से भी समझा जा सकता है. कंबोडिया का अंकोरवाट शिव और विष्णु का भव्य मंदिर है, जो उनकी ऐतिहासिक लोकप्रियता को दिखाता है.

बोरबुदुर (इंडोनेशिया) दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है. जापान का इसे श्राइन अमातेरासु को समर्पित है. भारत में काशी विश्वनाथ और वृंदावन आज भी करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं. इसी तरह मक्का और मदीना हर साल लाखों मुसलमानों की हज यात्रा का गंतव्य होते हैं.

एशिया की बहुरंगी आस्था

एशिया की धार्मिक आत्मा बहुस्तरीय है. यहां एकेश्वरवाद भी है, बहुदेववाद भी है और दार्शनिक परंपराएं भी हैं. संख्या के आधार पर अल्लाह सबसे लोकप्रिय हैं. सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के आधार पर राम, कृष्ण और शिव एशिया की पहचान हैं. करुणा और ज्ञान के प्रतीक बुद्ध पूरे महाद्वीप में फैले हुए हैं. गुआनयिन और अमातेरासु स्थानीय स्तर पर बेहद लोकप्रिय हैं.

यानी एशिया में देवता केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि वे संस्कृति, इतिहास और पहचान के जीवित स्तंभ भी हैं. यही विविधता इस महाद्वीप को आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बनाती है.

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