Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर्व की शुरुआत हो चुकी है. देशभर में यह पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस साल शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2025 तक चलने वाली है.
इस मौके पर आज हम आपको महाभारत काल से जुड़ी एक रोचक कथा सुनने जा रहे हैं, कैसे कुंती पुत्र अर्जुन ने कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान मां दुर्गा के उन स्वरूपों की वंदना की थी, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं.
अर्जुन की जीत के पीछे मां दुर्गा का आशीर्वाद
मान्यताओं के मुताबिक महाभारत काल में कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान जब अर्जुन ने कौरवों की विशाल सेना देखी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा, ‘हे पार्थ! अगर युद्ध में विजय चाहते हो, तो सबसे पहले मां दुर्गा का स्मरण और स्तुति करो.’
श्रीकृष्ण की बात को मानते हुए अर्जुन रथ से उतरे और मां भगवती की स्तुति करने लगे. इस दौरान अर्जुन ने मां दुर्गा के उन नामों का स्मरण किया, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं. आइए जानते हैं, उन्होंने अपनी स्तुति में किन देवियों का नाम लिया?
अर्जुन ने युद्ध के मैदान में दुर्गा मां की स्तुति करते हुए कहा कि, हे आर्य! हे सिद्धियों की अधिष्ठात्री देवी! आप ही भद्रकाली हो, आप ही महाकाली हो और चंडिका के उग्र रूप में भी आप पूजनीय और सम्मानित हो.
आप संकटों से पार कराने वाली माता हो. हाथों में त्रिशूल, खड्ग, ढाल धारण करती हो.
आप ही कात्यायनी, कराली, विजया और जया हो. आप ही श्रीकृष्ण की बहन और नंद गोत्र की कुल कन्या हो.
हे कौशिकी! हे महिषासुर मर्दिनी! आप उमा, शाकम्भरी, माहेश्वरी, कृष्णा, वीरूपाक्षी और धूम्राक्षी के रूप में सृष्टि का कल्याण करती हो.
हे जगदंबा! आप ही वेद माता हो, आप ही सावित्री और सरस्वती हो.
आप स्वाह, सुविधा, कला, काष्ठा और वेदांत के रूप में जानी जाती हो.
हे मां! आप तुष्टि, पुष्टि, कृति, लज्जा, लक्ष्मी और माया शक्ति स्वरूपा हो.
हे महादेवी! मैंने आपकी स्तुति शुद्ध मन से की है. मुझे आपका आशीर्वाद मिलें, ताकि रणभूमि में मेरी विजय सुनिश्चित हो.
मां दुर्गा ने अर्जुन को दिया विजयभव का आशीर्वाद
कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में अर्जुन की इस सौम्य और हृदय स्पर्शी स्तुति से मां भगवती प्रसन्न हुई और आकाश में प्रकट होकर बोली, हे अर्जुन! तुम नर रूप हो और तुम्हारे साथ नारायण अर्थात् श्रीकृष्ण हैं, ऐसे में तुम्हारी विजय निश्चित है. इस युद्ध के मैदान में तुम अपने शत्रुओं को परास्त कर दोगे.
यहां तक कि, इस युद्ध के मैदान में अगर तुम्हारे सामने स्वयं इंद्र भी आ जाए, तो भी तुम्हारी विजय सुनिश्चित है. इतना कहते ही मां दुर्गा अंतर्ध्यान हो गई.
महाभारत काल की इस कथा से एक बात तो तय होती है, कि यह सृष्टि मां दुर्गा के अधीन हैं. कण से लेकर मन तक मां दुर्गा का निवास है. मां के इन शुद्ध और पवित्र नामों के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं.
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