‘पापा घर ले चलो…’. यही आखिरी शब्द थे मेरी बेटी के. यह कहते हुए 2 साल की योजिता ठाकरे के पिता सुशांत की आंखें भर आईं. छिंदवाड़ा की दो साल की बच्ची दो ही दिनों में किडनी फेलियर का शिकार बन गई. परिवार ने इलाज में करीब 13 लाख रुपए खर्च किए, पर योजिता की नन्ही जिंदगी बच नहीं सकी. सरकार ने अब उसके परिवार को 4 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान किया है, लेकिन पिता सुशांत ठाकरे कहते हैं, इससे मेरी बेटी वापस नहीं आ सकती.
प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं पिता
छिंदवाड़ा के सुशांत ठाकरे एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं. आजतक से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनकी दो साल की बेटी योजिता जब भी बीमार होती, तो वे नियमित रूप से डॉक्टर ठाकुर के पास इलाज के लिए जाते थे. 8 सितंबर की शाम को जब बेटी को बुखार आया, तो सुशांत डॉक्टर ठाकुर को खोजते हुए क्लिनिक पहुंचे, लेकिन वे वहां मौजूद नहीं थे. मजबूर होकर उन्होंने पास के ही डॉक्टर प्रवीण सोनी से संपर्क किया. डॉ. सोनी ने योगिता को कुछ दवाइयां दीं और चार टाइम दवा देने की सलाह देकर घर भेज दिया.
9 सितंबर की सुबह बुखार तो कम हुआ, लेकिन योगिता की तबीयत और बिगड़ गई. उसने 3 बार हरे रंग की उल्टियां की. सुशांत दोबारा बेटी को लेकर डॉक्टर प्रवीण सोनी के पास पहुंचे. जांच के बाद डॉक्टर प्रवीण ने तुरंत कहा कि योगिता की किडनी में इंफेक्शन है और छिंदवाड़ा में इसका इलाज संभव नहीं इसलिए इसे नागपुर ले जाओ.
सुशांत बेटी को लेकर नागपुर निकल पड़े
सुशांत तुरंत अपनी बेटी को लेकर नागपुर निकल पड़े. वहां जिस अस्पताल जाने के लिए डॉक्टर सोनी ने कहा था, वहां पहुंचने पर पता चला कि वहां डायलिसिस की सुविधा नहीं है, जिसके बाद योजिता को उसी देर रात नेल्सन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. वहां 22 दिन तक लगातार इलाज चला और इस दौरान योजिता का 16 बार डायलिसिस हुआ और हर गुजरते दिन के साथ पिता की उम्मीद और इलाज का बिल दोनों बढ़ते गए.
—- समाप्त —-