बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की घोषणा के बाद पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि वोट की गिनती जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर है. यह पहले ही हम लोगों की जीत है जनता की जीत होगी.
पप्पू यादव ने कहा कि इस चुनाव में मुख्यमंत्री या किसी व्यक्ति का मुद्दा नहीं है, बल्कि बिहार और बिहारी का मुद्दा है. उन्होंने एनडीए पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पिछले 16 वर्षों में उन्होंने बिहार की दुर्गति की है और मुख्य मुद्दे पलायन और बेरोजगारी हैं.
#WATCH पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की घोषणा पर पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा, “वोट की गिनती जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन के दिन है। ये पहले ही हम लोगों की जीत है। जनता की जीत होगी।”
RJD नेता तेजस्वी यादव के बयान पर उन्होंने कहा, “CM मुद्दा नहीं है,… pic.twitter.com/m8eK5LSToq
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 6, 2025
बीजेपी के कार्यक्रमों के बाद ही क्यों तय हुई चुनाव की तिथियां- पप्पू यादव
पप्पू यादव ने चुनाव आयोग पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने इतना बेशर्म चुनाव आयोग कभी नहीं देखा. पप्पू ने दावा किया कि बीजेपी कार्यालय ने चुनाव कार्यक्रम भेजा था, जिसे मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पढ़ा. उन्होंने कहा कि अपूर्ण मेट्रो के उद्घाटन के तुरंत बाद चुनाव तिथियों की घोषणा की गई, जिससे निष्पक्षता पर संदेह पैदा होता है और पूरी बिहार की जनता इसके प्रति जागरूक है.
रोजगार और पलायन जैसे मुद्दे ही है चुनाव के मूल केंद्र
निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने राजद नेता तेजस्वी यादव के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि CM मुद्दा नहीं है, व्यक्ति मुद्दा नहीं है. बिहार और बिहारी मुद्दा है, जनता मुद्दा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जनता की रोजमर्रा की समस्याएं, रोजगार और पलायन जैसे मुद्दे ही चुनाव के मूल केंद्र में होने चाहिए.
इससे पहले पप्पू यादव ने कांग्रेस पार्टी का समर्थन करते हुए कहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कम से कम सौ सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि 2025 में एनडीए गठबंधन हारेगा और महागठबंधन की सरकार बनेगी. पप्पू ने अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी (JAP) के कांग्रेस में विलय पर भी जोर दिया.
पप्पू यादव के बयान से बिहार की राजनीति में हलचल
पप्पू यादव के बयान से बिहार की राजनीति में हलचल मची है. उनके आरोपों ने चुनाव आयोग और सत्ताधारी गठबंधन की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने चुनाव की तिथियों और आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता जताई, जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि इस बार चुनाव में जनता की भावनाओं और मुद्दों पर ध्यान केंद्रित रहेगा.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पप्पू यादव का यह बयान केवल आलोचना नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का हिस्सा है. उन्होंने महागठबंधन और विपक्षी दलों के लिए यह संदेश दिया कि जनता की वास्तविक समस्याओं को ही चुनाव में प्रमुखता दी जानी चाहिए. इस बयान के बाद अब चुनावी माहौल और अधिक गर्म हो गया है और सभी दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं.