
CC का पूरा नाम है Carbon Copy. इसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब आप एक ही ईमेल को मुख्य प्राप्तकर्ता (main recipient) के अलावा किसी और व्यक्ति को भी भेजना चाहते हैं. जैसे मान लीजिए आप अपने बॉस को कोई रिपोर्ट भेज रहे हैं और चाहते हैं कि आपकी टीम के किसी दूसरे सदस्य को भी वही ईमेल दिखाई दे. ऐसे में आप उसे CC में डालते हैं.

मुख्य व्यक्ति (To में लिखा नाम) और CC में जो भी लोग हैं दोनों को ईमेल की एक ही कॉपी मिलती है. सब लोग देख सकते हैं कि ईमेल किस-किस को भेजी गई है. इसका सीधा मतलब है कि CC पारदर्शी (visible) कॉपी होती है जिसे सब प्राप्तकर्ता देख सकते हैं.

वहीं, BCC का पूरा नाम है Blind Carbon Copy. यह सुनने में भले ही CC जैसा लगे लेकिन इसका काम बिल्कुल अलग है. अगर आप किसी को ईमेल भेज रहे हैं और चाहते हैं कि एक या अधिक व्यक्ति उस मेल की कॉपी देखें लेकिन बाकी लोगों को पता न चले तो आप उन्हें BCC में डालते हैं.

उदाहरण के लिए अगर किसी कंपनी को आप एक ही मेल कई क्लाइंट्स को भेजना चाहते हैं पर यह नहीं चाहते कि क्लाइंट A को क्लाइंट B का ईमेल पता दिखे तो आप सभी को BCC में डालते हैं. हर व्यक्ति को मेल मिलता है लेकिन कोई यह नहीं देख सकता कि और किसे मेल भेजा गया है. इसका मतलब है कि BCC एक गोपनीय कॉपी (Hidden Copy) होती है.

कई लोग ईमेल भेजते समय सभी को To या CC में डाल देते हैं जिससे सभी ईमेल एड्रेस सबके सामने आ जाते हैं. यह न सिर्फ प्रोफेशनल एटीकेट के खिलाफ है बल्कि प्राइवेसी का उल्लंघन भी है. खासतौर पर जब आप किसी ऑफिस, स्कूल या क्लाइंट लिस्ट को मेल भेज रहे हों तो हमेशा सोच-समझकर तय करें कि किसे CC में और किसे BCC में रखना है.

ईमेल में CC और BCC दोनों का इस्तेमाल जानकारी साझा करने और गोपनीयता बनाए रखने के लिए होता है. फर्क बस इतना है कि CC पारदर्शी कॉपी है और BCC छिपी हुई. जो लोग इन दोनों का सही इस्तेमाल समझ लेते हैं वे न केवल प्रोफेशनल ईमेल करने में माहिर हो जाते हैं बल्कि अपनी ऑनलाइन प्राइवेसी और इमेज दोनों को सुरक्षित रख सकते हैं.
Published at : 07 Oct 2025 01:58 PM (IST)