जम्मू और कश्मीर पुलिस की साइबर सेल ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने गुजरात के सूरत से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. उन्होंने जम्मू के एक व्यापारी को अपने जाल में फंसाकर 4.4 करोड़ रुपए लूट लिए थे. पुलिस ने सोमवार को आरोपियों के खिलाफ पहला आरोपपत्र अदालत में दाखिल कर दिया है.
जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) जोगिंदर सिंह ने बताया कि ये मामला 2 सितंबर को सामने आया था. पीड़ित व्यापारी ने साइबर पुलिस स्टेशन में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें बताया गया था कि कुछ अज्ञात लोगों ने खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसी का अधिकारी बताकर धमकाया और कहा उनके आधार कार्ड और सिम कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है.
इसके बाद पीड़ित व्यापारी को ‘डिजिटल अरेस्ट‘ करके उससे कई बैंक खातों में कुल 4 करोड़ 44 लाख 20 हजार रुपए ट्रांसफर करा लिए गए. ये पूरी रकम एक के बाद एक कई ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के जरिए गायब कर दी गई. पीड़ित लगातार वीडियो कॉल पर ठगों की निगरानी में रहा, जबकि आरोपी खुद को दिल्ली की साइबर सेल और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी बताते रहे.
इस मामले की शिकायत मिलने के बाद अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं और आईटी एक्ट की धारा 66डी के तहत केस दर्ज किया गया. इसके बाद मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी गई. पुलिस ने बैंक ट्रांजैक्शन, मोबाइल कम्युनिकेशन और डिजिटल फुटप्रिंट की गहन विश्लेषण किया. इसके बाद इस गिरोह के बारे में सुराग मिला.
पुलिस का पता चला कि साइबर ठगों का यह गिरोह गुजरात के सूरत से संचालित हो रहा है. वहां से ठगों ने जम्मू सहित कई राज्यों में ठगी की घटनाएं की हैं. इसके बाद एक विशेष जांच दल को सूरत भेजा गया. वहां एक सुव्यवस्थित अभियान चलाकर तीन आरोपियों चौहान मनीष अरुणभाई, अंश विठानी और किशोरभाई करमशीभाई दियोरिया को गिरफ्तार कर लिया गया.
तीनों आरोपियों को जम्मू लाया गया, जहां उनसे गहन पूछताछ चल रही है. इस दौरान कई अहम सुराग मिले हैं, जिनसे ठगी के इस नेटवर्क के वित्तीय कनेक्शन का खुलासा हुआ है. एसएसपी ने बताया कि यह गिरफ्तारी साइबर पुलिस जम्मू के लिए एक बड़ी सफलता है, क्योंकि ऐसे मामलों में अपराधी अक्सर सीमाओं के पार से काम करते हैं और डिजिटल ट्रेल मिटा देते हैं.
पुलिस ने आरोपियों से जुड़े विभिन्न बैंक खातों में 55 लाख 88 हजार 256 रुपए फ्रीज कर दिए हैं. वहीं, 6 लाख रुपए पहले ही पीड़ित के खाते में वापस जमा कराए जा चुके हैं. बाकी ठगी गई रकम को ट्रैक कर वापस लाने के प्रयास जारी हैं. पुलिस अब उन खातों और डिजिटल वॉलेट की भी पड़ताल कर रही है, जिनमें रकम को क्रिप्टोकरेंसी के जरिए ट्रांसफर किए जाने की आशंका है.
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