ICC टूर्नामेंट में भारत-पाकिस्तान मैच को खत्म करने की हुई मांग, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ने गजब डिमांड कर दी

ICC टूर्नामेंट में भारत-पाकिस्तान मैच को खत्म करने की हुई मांग, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ने गजब डिमांड कर दी



 इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल आथर्टन ने भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच को पूरी तरह से बंद करने की मांग की है. उनका कहना है कि आईसीसी टूर्नामेंट में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच नहीं होना चाहिए. उन्होंने इसके लिए 2025 एशिया कप का हवाला भी दिया, जिसमें दोनों देशों के बीच क्रिकेट मैच में काफी विवाद भी हुआ. 

‘द टाइम्स’ के लिए लिखे कॉलम में आथर्टन ने एशिया कप में हाल ही में हुए ‘हंगामे’ का हवाला दिया, जहां भारतीय टीम ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया था और एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के पाकिस्तानी प्रमुख मोहसिन नकवी विजेता ट्रॉफी अपने साथ लेकर चले गए थे, क्योंकि भारतीयों ने उनसे ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया था.

आथर्टन ने कहा, “भारत और पाकिस्तान 2013 से हर आईसीसी टूर्नामेंट के ग्रुप चरण में एक-दूसरे से भिड़ते रहे हैं, जिसमें तीन 50 ओवर के विश्व कप, पांच टी20 विश्व कप और तीन चैंपियंस ट्रॉफी शामिल हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि शुरुआती चरण एकल राउंड रोबिन रहा हो- जिसकी एक वजह भारत बनाम पाकिस्तान मुकाबले की अनिवार्यता है या फिर कई ग्रुप जहां मुकाबले के कार्यक्रम के लिए ड्रॉ का आयोजन बड़े सुव्यवस्थित तरीके से किया गया.”

आथर्टन ने लंदन के ‘द टाइम्स’ में लिखा, दोनों देशों के बीच कम मैचों (शायद आंशिक रूप से इसकी कमी) के कारण यह एक ऐसा मुकाबला है जिसका आर्थिक प्रभाव बहुत अधिक है. यही एक मुख्य कारण है कि आईसीसी टूर्नामेंटों के प्रसारण अधिकार इतने अधिक कीमती हैं. सबसे हालिया अधिकार 2023-27 चक्र के लिए लगभग तीन अरब डॉलर में. द्विपक्षीय मुकाबलों के महत्व में अपेक्षाकृत गिरावट के कारण आईसीसी प्रतियोगिताओं की आवृत्ति और महत्व बढ़ गया है और इसलिए भारत और पाकिस्तान के बीच मैच उन देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है जिनका अन्यथा खेल में कोई महत्व नहीं है.

आथर्टन ने कहा कि अब समय आ गया है कि दोनों चिर प्रतिद्वंद्वियों के बीच आईसीसी प्रतियोगिताओं में कम से कम एक बार भिड़ंत सुनिश्चित करने वाली ‘रणनीतिक रूप से समर्थित व्यवस्था’ को समाप्त किया जाए. हाल ही में हुए एशिया कप में ड्रॉ और कार्यक्रम ऐसा था कि तीन हफ्तों के इस टूर्नामेंट में दोनों टीमें हर रविवार को आमने-सामने होंगी.

उन्होंने कहा, ‘‘अगर क्रिकेट कभी कूटनीति का जरिया था तो अब यह स्पष्ट रूप से व्यापक तनाव और दुष्प्रचार का माध्यम बन गया है. किसी भी गंभीर खेल के लिए अपनी आर्थिक जरूरतों के हिसाब से टूर्नामेंट के मैच आयोजित करना किसी भी सूरत में उचित नहीं है और अब जब इस प्रतिद्वंद्विता का दूसरे तरीकों से फायदा उठाया जा रहा है तो इसका औचित्य और भी कम है.’’



Source link

Leave a Reply