Kali Puja 2025: काली पूजा मां काली को समर्पित बेहद प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से यह पर्व कार्तिक माह में मनाया जाता है, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से काली पूजा का पर्व अक्टूबर या नवंबर महीने में आता है. इस साल काली पूजा 20 अक्टूबर 2025, सोमवार के दिन है.
काली पूजा, जिसे श्याम पूजा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में इसका काफी महत्व है. यह त्योहार मां दुर्गा की उग्र रूप मां काली को समर्पित है, जो शक्ति, सुरक्षा और बुराई के विनाश का प्रतीक माना जाता है.
काली पूजा का महत्व
इस दिन मां काली की पूजा अर्चना करने मात्र से ही नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है.
यह त्योहार उत्तर भारत समेत पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में मुख्य रूप से मनाया जाता है. इसके अलावा कई जगहों पर दीवाली की रात को काली पूजा का आयोजन किया जाता है.
कैसे मनाएं काली पूजा?
कई लोगों का मानना है कि, काली मां की पूजा तंत्र-मंत्र से जुड़े लोग ही करते हैं, जबकि ये पूरी तरह से निराधार है. देवी काली की पूजा हर कोई अपने घर पर मंत्रों और धार्मिक अनुष्ठानों द्वारा कर सकता है.
मां काली को भोग में फल, मिठाई, मछली, मांस और दाल का भोग लगाया जाता है. भारत के कोलकाता और गुवाहटी में ये त्योहार विशेष रूप से मनाया जाता है.
काली पूजा 2025 शुभ मुहूर्त और समय (Kali Puja 2025 Time And Shubh Muhurat)
काली पूजा निशिता काल में- रात 11 बजकर 55 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 44 मिनट तक (21 अक्टूबर से 22 अक्टूबर 2025) |
अमावस्या तिथि आरंभ- 21 अक्टूबर 2025 को सुबह 6:29 बजे |
अमावस्या तिथि समाप्त- 22 अक्टूबर को सुबह 4:55 बजे |
काली पूजा 2025 सामग्री ( Kali Puja 2025 Samagri)
- भगवान गणेश की मूर्ति, भगवान विष्णु की मूर्ति और मां काली की प्रतिमा
- धूप-दीप
- तांत्रिक प्रतीकों
- चावल
- दरबा घासट
- चंदन पाउडर
मां काली की आरती (Maa Kali Aarti 2025)
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनो पर माता भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पडो माँ करके सिंह सवारी॥
तेरे भक्त जनो पर माता भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पडो माँ करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
माँ-बेटे का है इस जग मे बडा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
माँ-बेटे का है इस जग मे बडा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखडे निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे मन में छोटा सा कोना॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे मन में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को सवांरती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
मां काली मंत्र (Maa Kali Manta 2025)
मां काली बीज मंत्र- ॐ क्रीं काली
काली माता मंत्र- ॐ श्री महा कालिकायै नमः
कालिका-येई मंत्र- ॐ क्लीं कालिका
काली गायत्री मंत्र- ॐ महा कल्यै च विद्महे स्मसन वासिन्यै च धीमहि तन्नो काली प्रचोदयात
दक्षिणा काली ध्यान मंत्र- ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं दक्षिणा कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं ह्रीं
पंद्रह अक्षरों वाला मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं आद्य कालिका परं ईश्वरी स्वाहा
काली माँ की प्रार्थना के लिए मंत्र- क्रिंग क्रिंग क्रिंग हिंग क्रिंग दक्षिणे कालिके क्रिंग क्रिंग क्रिंग ह्रिंग ह्रिंग हंग हंग स्वाहा
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