अक्टूबर 2025 को ग्रहों की चाल असाधारण होने वाली है. यह महीना पूरे वर्ष का सबसे हलचल भरा समय साबित हो सकता है क्योंकि सिर्फ 18 दिनों में पांच बड़े ग्रह अपनी चाल बदल रहे हैं.
ज्योतिष के अनुसार, जब इतने ग्रह एक ही महीने में गोचर करते हैं तो यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर बड़ी हलचल का संकेत देता है. कैसे? समझते हैं-
9 अक्टूबर 2025: शुक्र का कन्या राशि में गोचर: संबंधों में दूरी
शुक्र जब कन्या राशि में आता है, तो यह उसका नीच स्थान होता है. इस स्थिति को वैदिक ग्रंथों में शुभ नहीं माना गया है क्योंकि यह प्रेम, सौंदर्य, और वैभव के भावों को कमजोर करता है.
इस दौरान रिश्तों में गलतफहमियां बढ़ेंगी. पति-पत्नी, प्रेमी-प्रेमिका या साझेदारों के बीच अनबन हो सकती है. लोग अपने संबंधों में भावनात्मक रूप से थके हुए महसूस करेंगे. कला, फैशन और मनोरंजन से जुड़ा उद्योग सुस्ती महसूस करेगा. व्यापारिक दृष्टि से भी यह समय थोड़ा धीमा रह सकता है.
शास्त्रों में कहा गया है कि नीचस्थः शुक्रः कलहं ददाति, यानी नीच शुक्र विवाद और मनमुटाव देता है. इसलिए यह समय भावनात्मक और आर्थिक दोनों ही दृष्टि से सावधानी भरा रहेगा.
17 अक्टूबर 2025: सूर्य का तुला राशि में प्रवेश: सत्ता में असंतुलन और नेतृत्व संकट
9 तारीख के बाद 17 अक्टूबर को सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेगा. यह भी सूर्य का नीच भाव होता है. जब सूर्य नीच होता है तो आत्मविश्वास, नेतृत्व और निर्णय क्षमता में कमी आती है.
इस काल में देश-दुनिया की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. सत्ता में बैठे लोगों को चुनौती मिलेगी, सरकारों के भीतर विरोध के स्वर उठ सकते हैं. प्रशासनिक स्तर पर भी भ्रम या देरी जैसी स्थितियां बन सकती हैं. किसी बड़े नेता की प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिह्न लगना या पद परिवर्तन भी संभव है.
ज्योतिष शास्त्र में उल्लेख है कि तुलायां नीतिहानिः सूर्ये अर्थात तुला राशि में सूर्य के नीच होने से नीति और व्यवस्था का ह्रास होता है. यह समय व्यक्तिगत स्तर पर भी अहंकार परीक्षण का रहेगा. जो व्यक्ति दूसरों को दबाकर आगे बढ़ना चाहते हैं, उनके सामने चुनौतियां आएंगी.
19 अक्टूबर 2025: बृहस्पति का कर्क राशि में गोचर धर्म, न्याय और नीति का पुनर्जागरण
17 तारीख तक का समय तनाव और भ्रम का रहेगा, लेकिन 19 अक्टूबर को एक बड़ा सकारात्मक बदलाव होगा. इस दिन बृहस्पति (गुरु) अपनी उच्च राशि कर्क में प्रवेश करेगा. यह ग्रह-स्थिति इस महीने की दिशा पूरी तरह बदल देगी.
बृहस्पति उच्च का होकर ज्ञान, नीति, धर्म और अर्थ के क्षेत्र में नई रोशनी फैलाएगा. शिक्षा, बैंकिंग, कानून और धर्म से जुड़े क्षेत्रों में सुधार या नई नीतियां बन सकती हैं. लोगों में अध्यात्म और नैतिकता की भावना मजबूत होगी. जो लोग लंबे समय से परेशान थे, उन्हें अब समाधान की दिशा दिखेगी.
यह स्थिति समाज में संतुलन और आस्था को फिर से स्थापित करेगी. ज्योतिष के अनुसार कर्कस्थो बृहस्पतिः शुभं सर्वजनाय ददाति यानी कर्क में स्थित बृहस्पति सभी के लिए कल्याणकारी होता है.
24 अक्टूबर 2025: बुध का वृश्चिक राशि में प्रवेश रहस्य, रणनीति और मीडिया में हलचल
बुध को बुद्धि, संवाद और व्यापार का ग्रह कहा गया है. 24 अक्टूबर को यह वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा, जो गूढ़ता और रहस्य की राशि है. इस गोचर के बाद सूचनाओं, मीडिया और संचार से जुड़ी गतिविधियां तेज होंगी.
यह समय रहस्यों के खुलासे का है. राजनीतिक या कॉर्पोरेट जगत से जुड़ी कोई बड़ी बात उजागर हो सकती है. लोग अपने शब्दों और संवाद का इस्तेमाल बहुत सोच-समझकर करें, क्योंकि एक गलत बयान या संदेश बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है.
बुध का यह गोचर बैंकिंग, टेक्नोलॉजी और मीडिया से जुड़ी कंपनियों के लिए उतार-चढ़ाव ला सकता है. जो लोग शोध या रणनीति के क्षेत्र में हैं, उनके लिए यह अवसर भी देगा.
27 अक्टूबर 2025: मंगल का वृश्चिक राशि में प्रवेश शक्ति, निर्णय और परिवर्तन का विस्फोट
महीने के अंत में सबसे बड़ा और निर्णायक गोचर होगा. 27 अक्टूबर को मंगल अपनी ही राशि वृश्चिक में प्रवेश करेगा. जब कोई ग्रह अपनी स्वगृही स्थिति में आता है, तो उसकी शक्ति दोगुनी हो जाती है. इसलिए यह काल अत्यंत ऊर्जावान और निर्णायक रहेगा.
मंगल साहस, निर्णय और युद्ध का ग्रह है. इस गोचर से रक्षा, पुलिस, सेना और उद्योग से जुड़े क्षेत्रों में नई नीतियां बन सकती हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह समय तनाव, सीमावर्ती गतिविधि या किसी सशस्त्र संघर्ष के संकेत भी दे सकता है. व्यक्तिगत जीवन में यह काल आत्मविश्वास और लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनुकूल रहेगा.
शास्त्र कहता है स्वगृहे स्थो मंगलो जयदः यानी स्वगृही मंगल विजय प्रदान करता है.जो व्यक्ति लंबे समय से किसी संघर्ष में थे, उन्हें अब जीत की संभावना मिलेगी.
तिथि | ग्रह | स्थिति | प्रमुख प्रभाव |
9 अक्टूबर | शुक्र | नीच | प्रेम और बाजार में गिरावट |
17 अक्टूबर | सूर्य | नीच | सत्ता और अहंकार में संघर्ष |
19 अक्टूबर | बृहस्पति | उच्च | धर्म, नीति और ज्ञान में उन्नति |
24 अक्टूबर | बुध | वृश्चिक | रहस्यों और संवाद में तीव्रता |
27 अक्टूबर | मंगल | स्वगृही | निर्णय, साहस और शक्ति का उदय |
अक्टूबर का पूरा महीना दर्शाता है कि पहले भ्रम, फिर जागरण का समय है. पहले शुक्र और सूर्य के नीच होने से मानसिक और सामाजिक अस्थिरता देंगे, लेकिन बृहस्पति के उच्च और मंगल के स्वगृही होते ही बैलेंस स्थापित होगा.
अर्थव्यवस्था, राजनीति और समाज पर असर
इस ग्रह परिवर्तन का असर केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं रहेगा. कई सेक्टर इससे विशेष रूप से प्रभावित होते दिख रहे हैं-
- अर्थव्यवस्था: 9 से 17 अक्टूबर के बीच बाज़ार में गिरावट के संकेत, निवेशकों में घबराहट. लेकिन 19 अक्टूबर के बाद बृहस्पति उच्च होने से आर्थिक सुधार की स्थिति बन सकती है.
- राजनीति: सूर्य के नीच और मंगल के स्वगृही होने का संयोजन सत्ता परिवर्तन या नई रणनीति का संकेत देता है. बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. इस चुनाव को महज एक राज्य का चुनाव न समझा जाए. इसके परिणाम भी देश की दिशा को तय करेंगे.
- समाज: शुक्र के नीच और बुध के वृश्चिक में होने से रिश्तों और संवाद में कटुता आएगी, लेकिन बृहस्पति के प्रभाव से पुनः संतुलन बनेगा.
- प्रकृति: सूर्य और मंगल के प्रभाव से मौसम में असामान्यता और भूकंपीय हलचल की संभावना भी रहेगी.
अव्यवस्था पर दिखेगा सबसे बड़ा असर
अक्टूबर 2025 केवल ग्रह परिवर्तन का महीना नहीं, बल्कि ऊर्जा परिवर्तन का संकेत है. शुक्र और सूर्य जहां हमें हमारे कमजोर पक्षों से रूबरू कराएंगे, वहीं बृहस्पति और मंगल नई दिशा देंगे. यह महीना हमें यह सिखाएगा कि पतन के बाद ही उत्थान होता है.
ज्योतिषीय दृष्टि से यह समय धैर्य, आत्मसंयम और कर्म की परीक्षा का है. जो लोग इस काल में संतुलन बनाकर रखेंगे, नवंबर 2025 से उनके जीवन में स्थिरता और सफलता का दौर शुरू होगा.
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