हैक हो जाता है EVM? जानिए कौन सी टेक्नोलॉजी इसे बनाती है सुरक्षित

हैक हो जाता है EVM? जानिए कौन सी टेक्नोलॉजी इसे बनाती है सुरक्षित



EVM: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर देश में अक्सर बहस होती रहती है कुछ लोग कहते हैं कि EVM पूरी तरह सुरक्षित है तो कुछ सवाल उठाते हैं कि क्या इसे हैक किया जा सकता है. सच्चाई यह है कि EVM को डिज़ाइन करते समय सरलता और ऑफिस़लाइन (standalone) ऑपरेशन को प्राथमिकता दी गई है लेकिन सुरक्षा की परतें और ऑडिट मैकेनिज्म इसे और मज़बूत बनाते हैं.

EVM का बेसिक डिज़ाइन और सुरक्षा का पहला स्तर

भारत के EVMs हार्डवेयर-आधारित और ऑफलाइन काम करने के लिए बनाए गए हैं यानी वे किसी नेटवर्क या इंटरनेट से जुड़े नहीं होते. इनका सर्किट, मेमोरी और वोट स्टोरेज लोकल किस्म का होता है इसलिए रिमोट हैकिंग के लिए इंटरनेट एक्सेस जैसी सुविधा मौजूद ही नहीं रहती. यही डिज़ाइन EVM की सबसे बुनियादी सुरक्षा परत है.

VVPAT

EVM के साथ लगाए जाने वाले VVPAT (Voter-Verified Paper Audit Trail) सिस्टम से मतदाता को अपनी पसंद की कागज़ी रसीद दिखाई जाती है और ये पेपर रॉल बाद में गिने जा सकते हैं. अगर किसी शंका की बात उठे तो VVPAT की गिनती कर EVM के रिकॉर्ड की पुष्टि की जाती है यह एक बहुत बड़ा ऑडिट-लेयर है जो किसी तकनीकी विवाद में निर्णायक साबित होता है.

शोध और सुरक्षा सवाल

कई अंतरराष्ट्रीय और भारतीय शोधपत्रों ने दिखाया है कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम में सैद्धांतिक तौर पर कमजोरियां हो सकती हैं अगर मशीन को भौतिक तौर पर खोल कर उसमें छेड़छाड़ की जाए या स्टोरेज के दौरान सुरक्षा न बरती जाए. इसलिए सुरक्षा केवल मशीन के अंदरूनी डिज़ाइन तक सीमित नहीं बल्कि पूरे चुनाव, निर्माण, स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट, पोलिंग-स्टेशन हैंडलिंग और काउंटरिंग पर निर्भर करती है. इन पहलों में निगरानी, पार्टी प्रतिनिधियों की उपस्थिति और पोस्ट-इलेक्शन C&V (Checking & Verification) प्रक्रियाएं शामिल हैं.

क्या भारत में सचमुच हैकिंग की रिपोर्टें आई हैं?

समय-समय पर ऐसे दावे आते रहे हैं और कुछ व्यक्तियों ने हैक करने का दावा भी किया है पर चुनाव आयोग और बाद के सत्यापन में कई बार ऐसी बातें निराधार पाई गईं. चुनाव आयोग ने बार-बार कहा है कि EVM-VVPAT सिस्टम मजबूत और भरोसेमंद है और चुनावों की जांचों में भी कोई छेड़छाड़ नहीं मिली.

कौन-सी टेक्नोलॉजी और प्रक्रियाएँ EVM को सुरक्षित बनाती हैं?

नेटवर्क न होने से रिमोट अटैक मुश्किल. परमिशन-आधारित प्रोग्रामिंग और हैश-जांच मशीनों की फर्मवेयर और मेमोरी पर कंट्रोल रखा जाता है. VVPAT ऑडिट-ट्रेल जो किसी भी मतगणना में मिलान के लिए काम आता है. बाय-पार्टी प्रोटोकॉल और सख्त लॉजिस्टिक्स (सिंक किए हुए स्टोरेज, गोदामों की निगरानी, पार्टी निरीक्षक) ये सब मिलकर सुरक्षा की कई परतें बनाते हैं.

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