17 अक्टूबर 2025 की दोपहर 1 बजकर 36 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य देव अपनी नीच राशि तुला में 16 नवंबर 2025 तक रहेंगे। यह स्थिति सूर्य की शक्ति को कुछ कम कर देती है क्योंकि तुला राशि में सूर्य “नीच” माने जाते हैं। इस अवधि में आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और शासन-संबंधी कार्यों में कुछ बाधाएँ आ सकती हैं। लोगों को अपने कार्यों में संतुलन, संयम और कूटनीति अपनानी होगी। इस गोचर के दौरान अहंकार, वाणी की कठोरता और पिता या वरिष्ठ अधिकारियों से मतभेद से बचना चाहिए। राजनीति, प्रशासन और व्यवसाय क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह समय मिश्रित परिणाम देने वाला रहेगा।
12 राशियों पर सूर्य गोचर का प्रभाव
मेष राशि (Aries)
गोचर भाव: सप्तम (साझेदारी और विवाह भाव)
प्रभाव:
- दांपत्य जीवन में मतभेद या तनाव संभव है।
- व्यवसाय में पार्टनर से टकराव से बचें।
- कानूनी मामलों में धैर्य रखें।
- सार्वजनिक जीवन में छवि प्रभावित हो सकती है।
- सेहत का ध्यान रखें, सिरदर्द या थकान रह सकती है।
उपाय: सूर्य को अर्घ्य दें और “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
वृषभ राशि (Taurus)
गोचर भाव: षष्ठ (शत्रु, ऋण और रोग भाव)
प्रभाव:
- शत्रु और प्रतिस्पर्धी सक्रिय रहेंगे, पर अंततः आप विजय पाएंगे।
- कार्यस्थल पर संघर्ष और दबाव रहेगा।
- पेट और रक्तचाप से संबंधित दिक्कतें हो सकती हैं।
- आर्थिक मामलों में सावधानी रखें।
उपाय: तांबे के पात्र में जल भरकर सूर्य को अर्पित करें।
मिथुन राशि (Gemini)
गोचर भाव: पंचम (प्रेम, संतान और रचनात्मकता भाव)
प्रभाव:
- प्रेम संबंधों में गलतफहमी बढ़ सकती है।
- संतान के कारण मानसिक चिंता हो सकती है।
- विद्यार्थी ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई महसूस करेंगे।
- शेयर बाजार या सट्टा से दूर रहें।
उपाय: रविवार को गुड़ और गेहूं दान करें।
कर्क राशि (Cancer)
गोचर भाव: चतुर्थ (माता, घर, संपत्ति भाव)
प्रभाव:
- माता के स्वास्थ्य की चिंता हो सकती है।
- घर में तनाव या असंतुलन बढ़ सकता है।
- वाहन या प्रॉपर्टी से जुड़ा निर्णय टालना बेहतर होगा।
- नौकरी में परिवर्तन के संकेत हैं।
उपाय: घर में सूर्य के मंत्र का पाठ करें, और लाल वस्त्र धारण करें।
सिंह राशि (Leo)
गोचर भाव: तृतीय (साहस और संचार भाव)
प्रभाव:
- साहस और आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- भाइयों से मतभेद संभव हैं।
- छोटी यात्राएँ लाभदायक रहेंगी।
- राजनीति या नेतृत्व से जुड़ा लाभ संभव है।
उपाय: पिता या गुरुजनों का आशीर्वाद लें।
कन्या राशि (Virgo)
गोचर भाव: द्वितीय (धन और वाणी भाव)
प्रभाव:
- आय में अस्थिरता और खर्च में वृद्धि संभव है।
- वाणी में कठोरता से पारिवारिक विवाद हो सकते हैं।
- भोजन और स्वास्थ्य पर ध्यान रखें।
- निवेश सोच-समझकर करें।
उपाय: रविवार को गुड़ और गेहूं से बनी खीर का भोग लगाएं।
तुला राशि (Libra)
गोचर भाव: प्रथम (स्वयं और व्यक्तित्व भाव)
प्रभाव:
- आत्मविश्वास और ऊर्जा में कमी महसूस हो सकती है।
- तनाव और थकावट से बचें।
- पारिवारिक जीवन में गलतफहमी से बचें।
- कार्यक्षेत्र में दबाव रहेगा, पर कूटनीति से स्थिति संभालेंगे।
उपाय: सूर्य को लाल फूलों से अर्घ्य दें।
वृश्चिक राशि (Scorpio)
गोचर भाव: द्वादश (खर्च और विदेश भाव)
प्रभाव:
- अनावश्यक खर्च बढ़ेंगे।
- विदेश यात्रा या विदेश व्यापार में लाभ संभव है।
- नींद और मानसिक शांति कम होगी।
- गुप्त शत्रु सक्रिय हो सकते हैं।
उपाय: रविवार को गरीबों में तांबे का सिक्का दान करें।
धनु राशि (Sagittarius)
गोचर भाव: एकादश (लाभ और इच्छापूर्ति भाव)
प्रभाव:
- आय में वृद्धि और नए अवसर मिलेंगे।
- समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा।
- मित्रों से लाभ प्राप्त होगा।
- पिता या वरिष्ठों का सहयोग मिलेगा।
उपाय: सूर्य देव को लाल वस्त्र अर्पित करें।
मकर राशि (Capricorn)
गोचर भाव: दशम (कर्म और पद भाव)
प्रभाव:
- कार्यस्थल पर तनाव और वरिष्ठों से मतभेद संभव हैं।
- मेहनत ज्यादा, परिणाम देर से मिलेंगे।
- सम्मान या पदोन्नति में विलंब हो सकता है।
- पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
उपाय: रविवार को गुड़ और गेहूं का दान करें।
कुंभ राशि (Aquarius)
गोचर भाव: नवम (भाग्य और धर्म भाव)
प्रभाव:
- भाग्य का साथ कमजोर रहेगा।
- यात्राएँ बाधित हो सकती हैं।
- पिता या गुरु के साथ संबंधों में दूरी संभव है।
- धार्मिक गतिविधियों में मन कम लगेगा।
उपाय: सूर्य को अर्घ्य देते समय “ॐ आदित्याय नमः” का जाप करें।
मीन राशि (Pisces)
गोचर भाव: अष्टम (गोपनीयता, संकट और रूपांतरण भाव)
प्रभाव:
- स्वास्थ्य में गिरावट संभव है।
- मानसिक तनाव या भय बना रह सकता है।
- पारिवारिक मतभेद या छिपे शत्रु नुकसान पहुँचा सकते हैं।
- आध्यात्मिक साधना से मानसिक शांति मिलेगी।
उपाय: रविवार को सूर्य को जल चढ़ाएँ और मंदिर में तांबे का दान करें।
निष्कर्ष:
17 अक्टूबर से 16 नवंबर 2025 तक का समय आत्म-विश्लेषण, संयम और संतुलन का रहेगा। सूर्य तुला में नीच होते हैं, इसलिए इस अवधि में अहंकार और जल्दबाजी से बचना सबसे आवश्यक है। जो लोग सूर्य से संबंधित उपाय करेंगे — जैसे सूर्य को जल अर्पित करना, सूर्य मंत्र का जाप करना, या लाल रंग के वस्त्र धारण करना, उन्हें इस नीच गोचर के दुष्प्रभावों से राहत मिलेगी।
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