
पुष्य नक्षत्र वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र माना जाता है. इसका स्वामी शनि ग्रह होता है और इसका प्रतीक “गाय का थन” है, जो पालन-पोषण और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. ज्योतिष में इसे 100 दोषों को दूर करने वाला नक्षत्र माना गया है. पुराने समय से ही मान्यता है कि इस नक्षत्र में शुभ कार्य करने से इसका फल गई गुना बड़ जाता है.

पुष्य नक्षत्र शुभ और बलवान होने के कारण इसे नक्षत्रों का सम्राट कहा जाता है, क्योंकि इसकी शुभता अन्य सभी नक्षत्रों से अधिक मानी जाती है. इस दिन किए गए कार्यों में बाधाएं कम आती हैं और सफलता के योग ज्यादा बनते हैं. किसी व्यक्ति को कोई नया व्यापार शुरू करना हो या किसी शुभ कार्य की शुरुआत करनी हो तो पुष्य नक्षत्र का समय बेहद मंगलकारी माना जाता है. इस समय दान की गई वस्तुओं को अक्षत हो जाती हैं.

इस साल पुष्य नक्षत्र कार्तिक कृष्ण अष्टमी के दिन मंगलवार को दोपहर 3:42 से शुरू होगा, जो अगले दिन बुधवार 15 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3:19 तक रहेगा. इस नक्षत्रों को कुछ खास कार्यों को करने के लिए ही शुभ माना गया है. जैसे गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, निवेश या कोई बड़ा निर्णय, इस दिन किए गए कामों में सकारात्मक परिणाम अधिक मिलता है. यही वजह है कि लोग इस दिन विशेष योजनाएं बनाते हैं.

पुष्य नक्षत्र में आकाशीय ऊर्जा विशेष रूप से सक्रिय रहती है और शनि की नियंत्रित शक्ति और गुरु की कृपा इस नक्षत्र में मिलकर इसे और प्रभावशाली बना देती हैं. यही कारण है कि इस दिन किया गया कोई भी प्रयास लंबे समय तक फल देता है और व्यक्ति के जीवन में प्रगति का मार्ग खोलता है.

धार्मिक नजरिए से भी पुष्य नक्षत्र का विशेष स्थान दिया गाया है. कई हिंदू परिवार इस दिन देवी-देवताओं की विशेष पूजा, हवन और दान-पुण्य के कार्य करते हैं. माना जाता है कि इस नक्षत्र में पूजा-पाठ और दान करने से कई गुना फल मिलता है और जीवन में सकारात्मकता को भी बढ़ाता है.
Published at : 13 Oct 2025 05:30 PM (IST)