Diwali 2025: भारत के अलग-अलग राज्यों में कैसे मनाया जाता है दिवाली का त्योहार? जानिए अनोखी परंपराओं के बारे में

Diwali 2025: भारत के अलग-अलग राज्यों में कैसे मनाया जाता है दिवाली का त्योहार? जानिए अनोखी परंपराओं के बारे में


इस साल दिवाली का त्योहार 20 अक्टूबर 2025, सोमवार के दिन मनाया जाएगा. देशभर में दिवाली के त्योहार को अलग अलग अंदाज में मनाया जाता है. आज के इस लेख में हम आपको भारत के प्रमुख शहरों और राज्यो में दिवाली कैसी मनाई जाती है? इसके बारे में बताने जा रहे हैं.

इस साल दिवाली का त्योहार 20 अक्टूबर 2025, सोमवार के दिन मनाया जाएगा. देशभर में दिवाली के त्योहार को अलग अलग अंदाज में मनाया जाता है. आज के इस लेख में हम आपको भारत के प्रमुख शहरों और राज्यो में दिवाली कैसी मनाई जाती है? इसके बारे में बताने जा रहे हैं.

गोवा में दिवाली का त्योहार श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध किए जाने के रूप में मनाया जाता है. दीवाली से एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी के दिन रावण दहन की तर्ज पर ही नरकासुर का पुतला जलाया जाता है. दिवाली के मौके पर गोवा और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में लोग नारियल के तेल को शरीर पर मलते हैं. इसके पीछे की मान्यता बताती है कि ऐसा करने से पापों की मुक्ति होती है.

गोवा में दिवाली का त्योहार श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध किए जाने के रूप में मनाया जाता है. दीवाली से एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी के दिन रावण दहन की तर्ज पर ही नरकासुर का पुतला जलाया जाता है. दिवाली के मौके पर गोवा और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में लोग नारियल के तेल को शरीर पर मलते हैं. इसके पीछे की मान्यता बताती है कि ऐसा करने से पापों की मुक्ति होती है.

कर्नाटक में दिवाली का त्योहार अलग परंपराओं के साथ निभाया जाता है. कर्नाटक में यह त्योहार बाली प्रतिपदा के रूप में मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के वामन अवतार द्वारा पाताल में राजा बाली एक दिन के लिए धरती पर जाने की अनुमति दी थी. इस दिन को मुख्य रूप से किसानों के द्वारा मनाया जाता है.

कर्नाटक में दिवाली का त्योहार अलग परंपराओं के साथ निभाया जाता है. कर्नाटक में यह त्योहार बाली प्रतिपदा के रूप में मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के वामन अवतार द्वारा पाताल में राजा बाली एक दिन के लिए धरती पर जाने की अनुमति दी थी. इस दिन को मुख्य रूप से किसानों के द्वारा मनाया जाता है.

पंजाब में दिवाली के दिन सिख समुदाय के लोग इस दिन बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं. सिख लोग इस दिन अपने घरों और गुरुद्वारों में दिए जलाते हैं. इसके अलावा एक दूसरे को उपहार भेंट करते हैं. पंजाब में दिवाली का त्योहार सर्दियों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है.

पंजाब में दिवाली के दिन सिख समुदाय के लोग इस दिन बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं. सिख लोग इस दिन अपने घरों और गुरुद्वारों में दिए जलाते हैं. इसके अलावा एक दूसरे को उपहार भेंट करते हैं. पंजाब में दिवाली का त्योहार सर्दियों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है.

कोलकाता में दिवाली के त्योहार को बड़े ही अलग अंदाज में मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल में दिवाली की रात यानी अमावस्या की रात्रि को काली पूजा का आयोजन किया जाता है. इस दिन कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर में भक्त बड़े ही धूमधाम से काली पूजा का आयोजन करते हैं. इसके अलावा पूरे कोलकाता में दुर्गा पूजा की ही तरह काली पूजा का पंडाल भी जगह-जगह लगाया जाता है.

कोलकाता में दिवाली के त्योहार को बड़े ही अलग अंदाज में मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल में दिवाली की रात यानी अमावस्या की रात्रि को काली पूजा का आयोजन किया जाता है. इस दिन कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर में भक्त बड़े ही धूमधाम से काली पूजा का आयोजन करते हैं. इसके अलावा पूरे कोलकाता में दुर्गा पूजा की ही तरह काली पूजा का पंडाल भी जगह-जगह लगाया जाता है.

उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में दिवाली के दिन देव दिवाली का आयोजन किया जाता है. बनारस शहर समेत तमाम घाटों को लाखों दिए से सजाया जाता है. मान्यता हैं कि इस दिन काशी के घाटों पर देवता दीपावली का उत्सव मनाने के लिए धरती पर आते हैं. काशी की दिवाली और होली काफी खास मानी जाती है.

उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में दिवाली के दिन देव दिवाली का आयोजन किया जाता है. बनारस शहर समेत तमाम घाटों को लाखों दिए से सजाया जाता है. मान्यता हैं कि इस दिन काशी के घाटों पर देवता दीपावली का उत्सव मनाने के लिए धरती पर आते हैं. काशी की दिवाली और होली काफी खास मानी जाती है.

ओडिशा में दिवाली के दिन गणेश, मां लक्ष्मी और पितरों की पूजा की जाती है. इस दिन लोग अपने पितरों क याद में कौरिया काठी की परंपरा का निर्वाह करते हैं. इस परंपरा में लोग अपनी पितरों की याद में जूट की लकड़ियों को जलाते हैं.

ओडिशा में दिवाली के दिन गणेश, मां लक्ष्मी और पितरों की पूजा की जाती है. इस दिन लोग अपने पितरों क याद में कौरिया काठी की परंपरा का निर्वाह करते हैं. इस परंपरा में लोग अपनी पितरों की याद में जूट की लकड़ियों को जलाते हैं.

महाराष्ट्र में भी दिवाली के मौके पर वासु बरस की परंपरा निभाई जाती है, जो गौ माता को समर्पित होता है. महाराष्ट्र में दिवाली के मौके पर चा पाडवा के नाम से जाना जाता है. महाराष्ट्र में दिवाली पर भाव बीज और तुलसी विवाह जैसी परंपराओं को निभाया जाता है.

महाराष्ट्र में भी दिवाली के मौके पर वासु बरस की परंपरा निभाई जाती है, जो गौ माता को समर्पित होता है. महाराष्ट्र में दिवाली के मौके पर चा पाडवा के नाम से जाना जाता है. महाराष्ट्र में दिवाली पर भाव बीज और तुलसी विवाह जैसी परंपराओं को निभाया जाता है.

गुजरात में दिवाली का त्योहार पुराना साल खत्म होने और नववर्ष के आगमन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. दिवाली के अगले दिन गुजराती नववर्ष बेस्तु वरस के रूप में मनाया जाता है. इस त्योहार की शुरुआत गुजरात में वाग बरस और बेस्तु बरस के रूप में मनाया जाता है.

गुजरात में दिवाली का त्योहार पुराना साल खत्म होने और नववर्ष के आगमन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. दिवाली के अगले दिन गुजराती नववर्ष बेस्तु वरस के रूप में मनाया जाता है. इस त्योहार की शुरुआत गुजरात में वाग बरस और बेस्तु बरस के रूप में मनाया जाता है.

Published at : 16 Oct 2025 12:10 PM (IST)



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