प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मशहूर यूट्यूबर एल्विश यादव, गायक राहुल यादव उर्फ फाजिलपुरिया और दूसरे लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है. यह मामला मुख्य रूप से प्रोटेक्टेड वाइल्डलाइफ – सांपों और एक इगुआना—को कमर्शियल वीडियो और व्लॉग्स में इस्तेमाल करके पैसा कमाने से जुड़ा है.
यह चार्जशीट राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित ईडी ऑफिस ने फाइल की है. इसकी शुरुआत गुरुग्राम के बादशाहपुर थाने में दर्ज एफआईआर से हुई थी, जहां वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972 और एनिमल क्रूरता रोकथाम एक्ट, 1960 के तहत कार्रवाई की गई थी. ईडी की शिकायत में एल्विश यादव, फाजिलपुरिया, स्काई डिजिटल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और उसके डायरेक्टर गुरकरन सिंह धालीवाल को मुख्य आरोपी बनाया गया है. इन्हें गैरकानूनी कमाई को असली दिखाने के आरोप में जिम्मेदार ठहराया गया है.
प्रोटेक्टेड वाइल्डलाइफ का वीडियो में इस्तेमाल
जांच में सामने आया कि लाइव सांपों और इगुआना का दो वीडियो में इस्तेमाल किया गया.
1. “32 बोर” – फाजिलपुरिया के यूट्यूब चैनल पर एल्विश यादव के साथ रिलीज हुआ हरियाणवी गाना.
2. फाजिलपुरिया भाई के शूट पे रशियन से मुलाकात हो ही गई. एल्विश यादव के चैनल का एक व्लॉग.
जांच में पुष्टि हुई कि इन दोनों वीडियो में प्रोटेक्टेड वाइल्डलाइफ दिखाई गई थी, जो वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट की सेक्शन 51 के तहत गैरकानूनी है और PMLA के तहत सजा योग्य है.
अपराध से हुई कमाई का पता चला
चार्जशीट के मुताबिक, ईडी ने वीडियो से हुई कमाई को ट्रेस किया और जब्त कर लिया. “32 बोर” के कमर्शियल राइट्स के लिए स्काई डिजिटल इंडिया ने फाजिलपुरिया (राहुल यादव) को 50 लाख रुपये दिए. इसी वीडियो से स्काई डिजिटल को यूट्यूब के जरिए 1,24,067 रुपये की लाइफटाइम कमाई हुई. एल्विश यादव के व्लॉग से 84,000 रुपये की यूट्यूब कमाई हुई, जिसमें वही प्रोटेक्टेड स्पीशीज दिखाई गई थी.
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एजेंसी के मुताबिक, यह रकम क्रिमिनल एक्टिविटी से हुई कमाई है और कानून के हिसाब से ‘अपराध से मिली प्रॉपर्टी’ मानी जाती है.
रकम और प्रॉपर्टी जब्त
ईडी ने कुल पहचानी गई गैरकानूनी कमाई के बराबर संपत्ति अटैच कर ली है. फाजिलपुरिया की 50 लाख रुपये कीमत की बिजनौर (यूपी) की खेती की जमीन. स्काई डिजिटल इंडिया के नाम 1,24,068 रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट. एल्विश यादव की ICICI बैंक में 84,000 रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट.
आरोपियों की भूमिका
राहुल यादव उर्फ फाजिलपुरिया: “32 बोर” के क्रिएटर, जिन्होंने प्रोटेक्टेड स्पीशीज का इस्तेमाल किया. 50 लाख रुपये हासिल किए और अपराध से मिली संपत्ति को अपने पास रखा.
काई डिजिटल इंडिया: डिजिटल डिस्ट्रीब्यूटर और मोनेटाइजेशन पार्टनर, जिसने वीडियो अपलोड करने और कमाई करने में मदद की.
गुरकरन सिंह धालीवाल: कंपनी के डायरेक्टर, जिन्होंने कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन एग्रीमेंट पर साइन किए और फाजिलपुरिया को पेमेंट करवाया.
एल्विश यादव: व्लॉग में जिंदा सांप और इगुआना दिखाए और 84,000 रुपये की कमाई उन वीडियो से की.
ईडी का कहना है कि सभी आरोपी, गैरकानूनी कमाई को हासिल करने, अपने पास रखने और इस्तेमाल करने जैसी प्रोसेस में सक्रिय रूप से शामिल थे, जो मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की सेक्शन 3 और 4 के तहत सजा योग्य अपराध है.
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