धन-समृद्धि के लिए करें मां लक्ष्मी के 108 पवित्र नामों का स्मरण

धन-समृद्धि के लिए करें मां लक्ष्मी के 108 पवित्र नामों का स्मरण



“जहां मां लक्ष्मी का वास होता है, वहां दरिद्रता नहीं टिक सकती।”

सनातन धर्म में मां लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य, समृद्धि और सुख की देवी माना गया है। उनकी कृपा से ही व्यक्ति के जीवन में वैभव, सफलता और सुख-शांति आती है। शास्त्रों में कहा गया है कि मां लक्ष्मी के 108 नामों का श्रद्धापूर्वक स्मरण करने से समस्त आर्थिक कष्ट दूर होते हैं और जीवन में नित्य वृद्धि होती है।

यदि प्रतिदिन समय न मिले, तो सप्ताह में एक दिन शुक्रवार, जो कि देवी लक्ष्मी को समर्पित है, उस दिन इन नामों का जप विशेष फलदायी माना गया है।

पूजन विधि

  • प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • घर के पूजास्थल को स्वच्छ करके वहां मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

  • गाय के घी का दीपक जलाएं और उसमें लाल धागे की बत्ती तथा केसर या हल्दी डालें।

  • सफेद या गुलाबी पुष्प चढ़ाएं।

  • मां लक्ष्मी को खीर, बताशे या मेवे का भोग लगाएं।

  • इसके पश्चात श्रद्धा एवं एकाग्रता के साथ 108 नामों का जप करें।

मां लक्ष्मी के 108 पवित्र नाम और उनके अर्थ

  1. प्रकृति – सम्पूर्ण सृष्टि की जननी

  2. विकृति – प्रकृति का दूसरा रूप

  3. विद्या – ज्ञान स्वरूपा देवी

  4. सर्वभूतहितप्रदा – सभी प्राणियों को सुख देने वाली

  5. श्रद्धा – भक्ति और विश्वास की मूर्ति

  6. विभूति – ऐश्वर्य और वैभव की देवी

  7. सुरभि – दिव्य सुगंध और सौंदर्य से युक्त

  8. परमा – परम स्वरूपा, सर्वोच्च शक्ति

  9. हंसिका – पवित्रता और कोमलता की प्रतीक

  10. पद्ममालाधरा – कमलों की माला धारण करने वाली

  11. पद्मिनी – कमल में निवास करने वाली

  12. पद्मा – कमल समान सुंदरी

  13. शुचि – निर्मल और पवित्र

  14. स्वाहा – यज्ञ में अर्पण की शक्ति

  15. स्वधा – पितरों को तृप्त करने वाली शक्ति

  16. सुधा – अमृत स्वरूपा देवी

  17. धन्या – धन और पुण्य प्रदान करने वाली

  18. हिरण्यप्राकारा – स्वर्णिम आभा वाली

  19. समृद्धि – सफलता और प्रगति की दात्री

  20. चन्द्रिका – चन्द्रमा जैसी शीतलता देने वाली

  21. चन्द्ररोपामुखी – चन्द्र समान मुख वाली

  22. चन्द्रिका – प्रकाशमयी और मनोहर

  23. विष्णुपत्नी – भगवान विष्णु की पत्नी

  24. प्रसूता – सम्पूर्ण जगत की जननी

  25. नारायणी – भगवान नारायण की शक्ति

  26. नामरूपाधिका – नाम और रूप से परे स्वरूप

  27. देवी – दिव्य स्वरूपिणी

  28. लोकश्रीः – लोक की ऐश्वर्यदात्री

  29. लोकजननी – लोकों की माता

  30. महा–लक्ष्मी – सम्पूर्ण ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री

  31. सम्पत्प्रदा – धन–सम्पत्ति देने वाली

  32. समृद्धा – भरपूर संपन्नता वाली

  33. सम्प्रिया – सभी को प्रिय लगने वाली

  34. सौम्या – कोमल और सौम्य स्वभाव की देवी

  35. सुव्रता – श्रेष्ठ व्रतों का पालन करने वाली

  36. सुवासिनी – सुहागिन स्त्रियों की रक्षक

  37. सुरूचि – उत्तम रुचि और सौंदर्य की अधिष्ठात्री

  38. सुन्दरि – परम रूपवती

  39. सुवर्णलता – स्वर्ण के समान देदीप्यमान

  40. सुभगा – सौभाग्य प्रदान करने वाली

  41. सर्वमङ्गला – सभी के लिए मंगलदायिनी

  42. सदा–सुखदा – सदा सुख देने वाली

  43. सर्वसिद्धिप्रदा – सभी सिद्धियाँ देने वाली

  44. सर्वकामप्रदा – सभी इच्छाएँ पूर्ण करने वाली

  45. सर्वदुःखनिवारिणी – सब दुःखों को दूर करने वाली

  46. धनदायिनी – धन प्रदान करने वाली

  47. धनलक्ष्मी – धन की अधिष्ठात्री देवी

  48. धान्यलक्ष्मी – अन्न–समृद्धि देने वाली

  49. गजलक्ष्मी – हाथियों के संग पूजित स्वरूप

  50. सन्तानलक्ष्मी – संतान सुख देने वाली

  51. धैर्यलक्ष्मी – धैर्य और शांति की देवी

  52. वीरलक्ष्मी – पराक्रम की शक्ति

  53. विजयलक्ष्मी – विजय और सफलता देने वाली

  54. राजलक्ष्मी – राज्य और प्रतिष्ठा देने वाली

  55. वैभवलक्ष्मी – वैभव और वैदिक ऐश्वर्य की देवी

  56. मोहिनी – मनमोहक स्वरूपा

  57. मङ्गलप्रदा – मंगल और कल्याण देने वाली

  58. महा–शक्तिः – परम शक्ति स्वरूपा

  59. महा–देवी – सर्वोच्च देवी

  60. महा–रूपा – विशाल रूप वाली

  61. महा–पद्मा – महान कमल में विराजमान

  62. महेश्वरी – शिव की भी अधिष्ठात्री

  63. महाप्रभा – महान तेज से युक्त

  64. महा–पद्मालय – कमल में निवास करने वाली

  65. सत्य – सत्य स्वरूपा देवी

  66. सत्यरूपिणी – सत्य की प्रतिमूर्ति

  67. सत्यात्मिका – सत्य में स्थित

  68. सत्यभामा – सत्य भाव से पूज्य

  69. सत्यदेहा – सत्य से निर्मित देह वाली

  70. सत्यगर्भा – सत्य में स्थित हृदय वाली

  71. सत्यलक्षणा – सत्य के लक्षणों से युक्त

  72. पुण्या – पुण्य स्वरूपा देवी

  73. पुण्यरूपिणी – पुण्य का साक्षात रूप

  74. पुण्यकीर्ति – पुण्य की महिमा से प्रसिद्ध

  75. पुण्यदा – पुण्य देने वाली

  76. पवित्रा – पवित्रता की मूर्ति

  77. परमात्मिका – परमात्मा की शक्ति

  78. प्रजाप्रिया – सृष्टि की प्रिय माता

  79. प्रसन्ना – सदा प्रसन्न रहने वाली

  80. प्रभावती – तेज और प्रभा से युक्त

  81. प्रभा – प्रकाशमयी

  82. प्रमुदिता – आनंदमयी स्वरूपा

  83. प्रजाधारिणी – सृष्टि को धारण करने वाली

  84. प्रिय – सभी की प्रिय देवी

  85. प्रीति – प्रेम की अधिष्ठात्री

  86. प्रियदर्शिनी – सुंदर दृष्टि वाली

  87. प्रमोदा – आनन्द और हर्ष की मूर्ति

  88. प्रमादिनी – चंचल और जीवंत शक्ति

  89. भव्या – शुभ और मंगलमयी

  90. भद्रा – कल्याण और शुभ देने वाली

  91. भास्वती – प्रकाश फैलाने वाली

  92. भवप्रदा – मोक्ष देने वाली

  93. भक्तिप्रिया – भक्तों को प्रिय

  94. भोगप्रदा – भोग और ऐश्वर्य देने वाली

  95. भाविनी – सच्ची भावना की देवी

  96. भवप्रसूता – संसार की जननी

  97. भुवनेश्वरी – समस्त लोकों की अधिष्ठात्री

  98. शान्ता – शांत स्वरूपिणी

  99. शुभदा – शुभ फल देने वाली

  100. शुभप्रदा – सौभाग्य देने वाली

  101. शोभा – सौंदर्य और आकर्षण की देवी

  102. सौम्या – सौम्यता की प्रतिमूर्ति

  103. सत्यवती – सत्य में स्थित देवी

  104. स्वरूपिणी – स्वरूप सिद्ध देवी

  105. सर्वज्ञा – सर्व ज्ञान की देवी

  106. सर्वमङ्गला – सम्पूर्ण कल्याण की अधिष्ठात्री

  107. सर्वसम्पत्तिप्रदा – सम्पूर्ण संपत्ति देने वाली

  108. श्री महालक्ष्मी – समस्त ऐश्वर्य, सौंदर्य और कल्याण की देवी

पाठ विधि

  • शुक्रवार, पूर्णिमा या दीपावली की रात्रि को श्रेष्ठ समय माना गया है।

  • ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र से आरंभ करें।

  • कमल के आसन पर बैठकर घी का दीपक जलाएं।

  • चांदी, तांबे या पीतल की थाली में जप करें।

  • अंत में “श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रं सम्पूर्णं” कहकर प्रार्थना करें।

श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्

देव्युवाच
देवदेव! महादेव! त्रिकालज्ञ! महेश्वर!
करुणाकर देवेश! भक्तानुग्रहकारक! ‖
अष्टोत्तर शतं लक्ष्म्याः श्रोतुमिच्छामि तत्त्वतः ‖

ईश्वर उवाच
देवि! साधु महाभागे महाभाग्य प्रदायकम् ।
सर्वैश्वर्यकरं पुण्यं सर्वपाप प्रणाशनम् ‖
सर्वदारिद्र्य शमनं श्रवणाद्भुक्ति मुक्तिदम् ।
राजवश्यकरं दिव्यं गुह्याद्-गुह्यतरं परम् ‖
दुर्लभं सर्वदेवानां चतुष्षष्टि कलास्पदम् ।
पद्मादीनां वरांतानां निधीनां नित्यदायकम् ‖
समस्त देव संसेव्यं अणिमाद्यष्ट सिद्धिदम् ।
किमत्र बहुनोक्तेन देवी प्रत्यक्षदायकम् ‖
तव प्रीत्याद्य वक्ष्यामि समाहितमनाश्शृणु ।
अष्टोत्तर शतस्यास्य महालक्ष्मिस्तु देवता ‖
क्लीं बीज पदमित्युक्तं शक्तिस्तु भुवनेश्वरी ।
अंगन्यासः करन्यासः स इत्यादि प्रकीर्तितः ‖

ध्यानम्
वंदे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां
हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैः नानाविधैः भूषितां ।
भक्ताभीष्ट फलप्रदां हरिहर ब्रह्माधिभिस्सेवितां
पार्श्वे पंकज शंखपद्म निधिभिः युक्तां सदा शक्तिभिः ‖

सरसिज नयने सरोजहस्ते धवल तरांशुक गंधमाल्य शोभे ।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवन भूतिकरि प्रसीदमह्यम् ‖


प्रकृतिं, विकृतिं, विद्यां, सर्वभूतहितप्रदां ।
श्रद्धां, विभूतिं, सुरभिं, नमामि परमात्मिकाम् ‖ 1 ‖

वाचं, पद्मालयां, पद्मां, शुचिं, स्वाहां, स्वधां, सुधां ।
धन्यां, हिरण्ययीं, लक्ष्मीं, नित्यपुष्टां, विभावरीम् ‖ 2 ‖

अदितिं, दितिं, दीप्तां, वसुधां, वसुधारिणीं ।
नमामि कमलां, कांतां, क्षमां, क्षीरोद सम्भवाम् ‖ 3 ‖

अनुग्रहपरां, बुद्धिं, अनघां, हरिवल्लभां ।
अशोका, अमृतां, दीप्तां, लोकशोक विनाशिनीम् ‖ 4 ‖

नमामि धर्मनिलयां, करुणां, लोकमातरम् ।
पद्मप्रियां, पद्महस्तां, पद्माक्षीं, पद्मसुंदरीम् ‖ 5 ‖

पद्मोद्भवां, पद्ममुखीं, पद्मनाभप्रियां, रमां ।
पद्ममालाधरां, देवीं, पद्मिनीं, पद्मगंधिनीम् ‖ 6 ‖

पुण्यगंधां, सुप्रसन्नां, प्रसादाभिमुखीं, प्रभां ।
नमामि चंद्रवदनां, चंद्रां, चंद्रसहोदरीम् ‖ 7 ‖

चतुर्भुजां, चंद्ररूपां, इन्दिरा, मिंदुशीतलां ।
आह्लादजननीं, पुष्टिं, शिवां, शिवकरीं, सतीम् ‖ 8 ‖

विमलां, विश्वजननीं, तुष्टिं, दारिद्र्यनाशिनीं ।
प्रीतिपुष्करिणीं, शान्तां, शुक्लमाल्यांबरां, श्रियम् ‖ 9 ‖

भास्करीं, बिल्वनिलयां, वरारोहां, यशस्विनीं ।
वसुंधरा, मुदारांगां, हरिणीं, हेममालिनीम् ‖ 10 ‖

धनधान्यकरीं, सिद्धिं, स्त्रैणसौम्यां, शुभप्रदां ।
नृपवेश्मगतांन्दां, वरलक्ष्मीं, वसुप्रदाम् ‖ 11 ‖

शुभां, हिरण्यप्राकारां, समुद्रतनयां, जयां ।
नमामि मङ्गलां देवीं, विष्णु वक्षःस्थलस्थिताम् ‖ 12 ‖

विष्णुपत्नीं, प्रसन्नाक्षीं, नारायणसमाश्रिताम् ।
दारिद्र्यध्वंसिनीं, देवीं, सर्वोपद्रववारिणीम् ‖ 13 ‖

नवदुर्गां, महाकालीं, ब्रह्मविष्णुशिवात्मिकां ।
त्रिकालज्ञानसंपन्नां, नमामि भुवनेश्वरीम् ‖ 14 ‖

लक्ष्मीं क्षीरसमुद्रराज तनयां श्रीरङ्गधामेश्वरीम् ।
दासीभूत समस्तदेव वनितां लोकैक दीपाङ्कुराम् ‖
श्रीमन्मंद कटाक्ष लब्ध विभवद्-ब्रह्मेन्द्र गङ्गाधरां ।
त्वां त्रैलोक्यकुटुंबिनीं सरसिजां वंदे मुकुन्दप्रियाम् ‖ 15 ‖

मातर्नमामि! कमले! कमलायताक्षि!
श्री विष्णु हृत्-कमलवासिनि! विश्वमातः!
क्षीरोदजे कमल कोमल गर्भगौरि!
लक्ष्मी! प्रसीद सततं समतां शरण्ये ‖ 16 ‖

त्रिकालं यो जपेत् विद्वान् षण्मासं विजितेंद्रियः ।
दारिद्र्य ध्वंसनं कृत्वा सर्वमाप्नोत्-ययत्नतः ।
देवीनाम् सहस्रेषु पुण्यमष्टोत्तरं शतं ।
येन श्रिय मवाप्नोति कोटिजन्म दरिद्रतः ‖ 17 ‖

भृगुवारे शतं धीमान् पठेत् वत्सरमात्रकं ।
अष्टैश्वर्य मवाप्नोति कुबेर इव भूतले ‖
दारिद्र्य मोचनं नाम स्तोत्रमम्बापरं शतं ।
येन श्रिय मवाप्नोति कोटिजन्म दरिद्रतः ‖ 18 ‖

भुक्त्वातु विपुलान् भोगान् अन्ते सायुज्यमाप्नुयात् ।
प्रातःकाले पठेन्नित्यं सर्व दुःखोपशान्तये ।
पठंतु चिंतयेद्देवीं सर्वाभरण भूषिताम् ‖ 19 ‖

इति श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं सम्पूर्णम्

श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली (108 नाम हिंदी में अर्थ सहित)
















































































































क्रमांक नाम अर्थ / भावार्थ
1 ॐ प्रद्युम्ना-पत्नी नमः श्रीकृष्ण के रूप प्रद्युम्न की पत्नी
2 ॐ पद्मा नमः कमल के समान सुंदर
3 ॐ पद्ममाला-धारिणी नमः कमलों की माला धारण करने वाली
4 ॐ पद्मप्रिय नमः कमल को प्रिय मानने वाली
5 ॐ पद्महस्ता नमः हाथों में कमल धारण करने वाली
6 ॐ पद्माक्षी नमः कमल के समान नेत्रों वाली
7 ॐ पद्मसुंदरी नमः कमल के समान सुंदरता वाली
8 ॐ पद्मालय नमः कमल में निवास करने वाली
9 ॐ पद्ममुखी नमः कमल के समान मुख वाली
10 ॐ पद्मनाभप्रिया नमः भगवान विष्णु (पद्मनाभ) को प्रिय
11 ॐ पद्मवासिनी नमः कमल में निवास करने वाली
12 ॐ पद्मिनी नमः कमल की अधिष्ठात्री देवी
13 ॐ पद्मगंधा नमः कमल की सुगंध वाली
14 ॐ पद्ममालाधारिणी नमः कमलों की माला धारण करने वाली
15 ॐ श्री नमः ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री
16 ॐ हरिवल्लभा नमः भगवान विष्णु की प्रिय पत्नी
17 ॐ चंचला नमः सदा गतिशील और परिवर्तनशील
18 ॐ भोगदा नमः सुख और भोग प्रदान करने वाली
19 ॐ शुभा नमः मंगलमयी, शुभ फल देने वाली
20 ॐ जया नमः विजय की प्रतीक
21 ॐ मंगला नमः शुभता की मूर्ति
22 ॐ विष्णुप्रिया नमः भगवान विष्णु की प्रिय पत्नी
23 ॐ वैश्णवी नमः विष्णु की शक्ति
24 ॐ सर्वदेव नमस्कृता नमः सभी देवताओं द्वारा पूजित
25 ॐ सर्वज्ञा नमः सब कुछ जानने वाली
26 ॐ सर्वमंगला नमः सभी प्रकार की शुभता वाली
27 ॐ सर्वसिद्धिप्रदा नमः सभी सिद्धियाँ देने वाली
28 ॐ सर्वसम्पत्तिप्रदा नमः सब प्रकार की संपत्ति देने वाली
29 ॐ सर्वकामप्रदा नमः सभी इच्छाएँ पूरी करने वाली
30 ॐ सर्वलोकेश्वरी नमः सभी लोकों की अधिष्ठात्री
31 ॐ चंद्रवदना नमः चन्द्रमा समान मुख वाली
32 ॐ चंद्रलेखा-विभूषिता नमः चन्द्र किरणों से शोभित
33 ॐ चंद्रप्रभा नमः चन्द्रमा की आभा से दीप्त
34 ॐ चंद्रवर्णा नमः चन्द्र के समान उज्ज्वल
35 ॐ चंद्रस्मिता नमः चन्द्र जैसी मुस्कान वाली
36 ॐ इन्द्रसेविता नमः इन्द्र द्वारा पूजित
37 ॐ इन्द्रलोकवासिनी नमः इन्द्रलोक में निवास करने वाली
38 ॐ इन्द्राणी नमः इन्द्र की भी पूज्या
39 ॐ अम्बा नमः माता स्वरूपिणी
40 ॐ अनन्ता नमः अनंत स्वरूपिणी
41 ॐ अनघा नमः निष्कलंक, पवित्र
42 ॐ आनन्दा नमः आनंद देने वाली
43 ॐ ईश्वरी नमः परमेश्वरी, देवी स्वरूप
44 ॐ जगन्माता नमः सम्पूर्ण जगत की माता
45 ॐ महालक्ष्मी नमः सर्व ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री
46 ॐ भद्रा नमः शुभ फल देने वाली
47 ॐ भास्वरा नमः तेजस्विनी, प्रकाशमान
48 ॐ करुणा नमः दया की मूर्ति
49 ॐ कीर्तिदा नमः यश प्रदान करने वाली
50 ॐ धनदा नमः धन देने वाली
51 ॐ धर्मनिष्ठा नमः धर्म में स्थित रहने वाली
52 ॐ दुःखनाशिनी नमः दुःखों का नाश करने वाली
53 ॐ दयामूर्ति नमः दया स्वरूपिणी
54 ॐ दानप्रदा नमः दान देने वाली
55 ॐ धरणी नमः धैर्य और स्थिरता की मूर्ति
56 ॐ नित्यपुष्टा नमः सदैव पुष्ट (बलवान)
57 ॐ नित्यशुद्धा नमः सदा शुद्ध
58 ॐ नित्यशोभा नमः सदा शोभायमान
59 ॐ पार्वती नमः शक्ति स्वरूपिणी
60 ॐ पुण्यदा नमः पुण्य प्रदान करने वाली
61 ॐ पुरंदरप्रिय नमः इन्द्र की प्रिय
62 ॐ पवित्रा नमः पवित्रता की देवी
63 ॐ प्रमुदिता नमः सदा प्रसन्न रहने वाली
64 ॐ प्रजाधारा नमः सृष्टि की धारिणी
65 ॐ प्रिय नमः सबको प्रिय लगने वाली
66 ॐ रम्या नमः सुंदर और रमणीय
67 ॐ रमापत्नी नमः भगवान हरि की पत्नी
68 ॐ रत्नगर्भा नमः रत्नों की अधिष्ठात्री
69 ॐ रूपा नमः सुंदर रूप वाली
70 ॐ रूपलावण्यशालिनी नमः रूप और लावण्य से युक्त
71 ॐ रत्नप्रदा नमः रत्न देने वाली
72 ॐ श्रीकरा नमः श्री (संपत्ति) प्रदान करने वाली
73 ॐ श्रीवत्सवक्षसा नमः विष्णु के वक्षस्थल पर विराजमान
74 ॐ शुभप्रदा नमः शुभ फल देने वाली
75 ॐ शान्ता नमः शांत स्वरूपिणी
76 ॐ सिद्धा नमः सिद्धियों की अधिष्ठात्री
77 ॐ सौम्या नमः कोमल और सौम्य स्वभाव
78 ॐ सुभगा नमः सौभाग्य देने वाली
79 ॐ सुमङ्गला नमः मंगलमय स्वरूप
80 ॐ सुलभा नमः शीघ्र प्रसन्न होने वाली
81 ॐ सुवासिनी नमः सुहागन स्त्रियों की रक्षक
82 ॐ सुवर्णमालिनी नमः स्वर्णमाला धारण करने वाली
83 ॐ सुशीला नमः सदाचारिणी
84 ॐ सुव्रता नमः श्रेष्ठ व्रतों की पालनकर्ता
85 ॐ सुवर्णवर्णा नमः स्वर्ण के समान आभा वाली
86 ॐ हरिप्रिया नमः विष्णु की प्रिय पत्नी
87 ॐ महालक्ष्मी नमः महान ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री
88 ॐ नित्यश्री नमः सदा श्री (समृद्धि) से युक्त
89 ॐ कौशल्या नमः कल्याण की दात्री
90 ॐ सौभाग्यदायिनी नमः सौभाग्य देने वाली
91 ॐ मोक्षप्रदा नमः मोक्ष प्रदान करने वाली
92 ॐ जीवनदायिनी नमः जीवन देने वाली शक्ति
93 ॐ सरस्वतीप्रिया नमः ज्ञान की अधिष्ठात्री सरस्वती की प्रिय
94 ॐ कामप्रिया नमः प्रेम और अनुराग की देवी
95 ॐ तेजस्विनी नमः प्रकाशमान स्वरूप
96 ॐ ऐश्वर्यप्रदा नमः ऐश्वर्य देने वाली
97 ॐ कल्याणदा नमः कल्याण करने वाली
98 ॐ धनलक्ष्मी नमः धन की अधिष्ठात्री
99 ॐ गजलक्ष्मी नमः हाथियों के साथ पूजित स्वरूप
100 ॐ विजयलक्ष्मी नमः विजय देने वाली देवी
101 ॐ धान्यलक्ष्मी नमः अन्न और समृद्धि देने वाली
102 ॐ वीरलक्ष्मी नमः पराक्रम और बल की दात्री
103 ॐ सौभाग्यलक्ष्मी नमः शुभता और सौभाग्य की देवी
104 ॐ संतानलक्ष्मी नमः संतान सुख देने वाली
105 ॐ ज्ञानलक्ष्मी नमः ज्ञान देने वाली
106 ॐ अदिति नमः अनंत स्वरूपिणी माता
107 ॐ अचला नमः अडिग, स्थिर स्वरूप
108 ॐ महालक्ष्मी नमः सर्व ऐश्वर्य और कल्याण की अधिष्ठात्री

पाठ विधि

  • शुक्रवार, पूर्णिमा या दीपावली की रात्रि को श्रेष्ठ समय माना गया है।

  • “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र से आरंभ करें।

  • कमल के आसन पर बैठकर घी का दीपक जलाएं।

  • चांदी, तांबे या पीतल की थाली में जप करें।

  • अंत में “श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रं सम्पूर्णं” कहकर प्रार्थना करें।

मां लक्ष्मी के 108 नामों के स्मरण से मिलने वाले लाभ

  • आर्थिक तंगी और कर्ज से मुक्ति

  • नौकरी और व्यापार में तरक्की

  • घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार

  • सुख-शांति और मानसिक संतुलन

  • लक्ष्मी कृपा से नित्य उन्नति

विशेष सुझाव

  • शुक्रवार के दिन व्रत रखें तो उत्तम फल मिलता है

  • इस दिन सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है

  • शाम को दीपावली की तरह घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं

  • संध्या के समय विष्णु-लक्ष्मी मंत्रों का जाप करें

निष्कर्ष

मां लक्ष्मी के 108 नामों का जप न केवल धन-संपदा देता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में शुभता, संतुलन और आत्मिक शांति भी लाता है। यह एक ऐसा आध्यात्मिक उपाय है जो किसी भी जाति, वर्ग या स्थिति के व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने की शक्ति देता है।

“मां लक्ष्मी की उपासना में श्रद्धा और नियमितता हो, तो जीवन स्वयं ही समृद्धि का मार्ग पकड़ लेता है।”



Source link

Leave a Reply