स्पोर्ट्स डेस्क4 मिनट पहले
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तीन बयान पढ़िए…
- हारना हमारे शब्दकोश में नहीं: रिकी पोंटिंग
- हम अपनी टीम रीबिल्ड नहीं करते, रीलोड करते हैं: इयान चैपल
- सिर्फ जीतना मकसद नहीं, हम डोमिनेट करना चाहते हैं: स्टीव वॉ
तीन पूर्व कप्तानों के ये बयान ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट की फिलोसॉफी बताते हैं। खेलो ऐसे जिसमें हारना कोई विकल्प ही न हो। टीम उतारो ऐसी जिससे प्रतिद्वंद्वी खौफ खाएं। और जीतो इस तरह कि उसकी गूंज भविष्य में होने वाले मुकाबलों में भी सुनाई दे।
पूरे ऑस्ट्रेलिया में करीब-करीब उतने ही लोग रहते हैं जितने दिल्ली या मुंबई जैसे हमारे एक शहर में। इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट की दुनिया का डॉन है।
इस समय भारतीय टीम क्रिकेट के डॉन को उसके डैन में चैलेंज करने गई है। दौरे पर तीन वनडे और पांच टी-20 मैच खेले जाने हैं। पहला मैच कल खेला जाएगा। आज पढ़िए क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के डोमिनेंस की पूरी कहानी। इस कहानी को तीन हिस्सों में जानेंगे।
- ऑस्ट्रेलिया की टीमें क्रिकेट में कितनी डोमिनेंट है
- ऑस्ट्रेलिया के इस डोमिनेंस के पीछे की वजहें
- ऑस्ट्रेलिया के डोमिनेंस को कौन चैलेंज कर सकता है
पार्ट-1: ऑस्ट्रेलिया का डोमिनेंस
27 ICC ट्रॉफी, नंबर-2 के पास इससे आधी यह जानने से पहले कि ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट में इतना डोमिनेंट क्यों है, इसकी थाह लगाना जरूरी है कि आखिर ऑस्ट्रेलिया कितना डोमिनेंट है।
देखिए ऑस्ट्रेलिया के पास मौजूद ICC ट्रॉफी की लिस्ट

ऑस्ट्रेलियन मेंस टीम ने 1100 से ज्यादा मैच जीते मेंस क्रिकेट में सिर्फ ऑस्ट्रेलिया की टीम ही अब तक एक हजार से ज्यादा मैच जीत पाई है। ऑस्ट्रेलिया की टीम जितने मैच हारती है, उससे करीब दोगुना जीतती है।

विमेंस क्रिकेट में भी सबसे ज्यादा जीत ऑस्ट्रेलिया के नाम मेंस की तरह विमेंस इंटरनेशनल क्रिकेट में भी ऑस्ट्रेलिया के नाम सबसे ज्यादा जीत है। ऑस्ट्रेलिया की महिलाओं ने अब तक तीनों फॉर्मेट मिलाकर 469 मैच जीते हैं। हार सिर्फ 131 मिली है। यानी ऑस्ट्रेलियन विमेंस टीम हर 1 हार पर 3 मैच जीतती है।
पार्ट-2: ऑस्ट्रेलिया के डोमिनेंस के पीछे 3 वजहें
वजह-1: मेंटालिटी, माइंडसेट और लिगेसी कंगारुओं की विन एट एनी कॉस्ट (किसी भी कीमत पर जीतना) वाला रवैया मैदान पर उनके कॉन्फिडेंस को दिखाता है। डॉन ब्रैडमैन और रिकी पोंटिंग जैसे खिलाड़ी ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के ‘DNA’ में बस गए हैं। सर डॉन ब्रैडमैन ने टेस्ट क्रिकेट 99.94 की औसत से 6996 रन बनाए।

2000 के शुरुआती दौर में स्टीव वॉ ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को जुझारू और कभी हार न मानने वाला तेवर दिया। रिकी पोंटिंग क्रिकेट में अटैकिंग अप्रोच लेकर आए। उनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने लगातार 2 वर्ल्ड कप और 2 चैंपियंस ट्रॉफी जीती। टीम ने टेस्ट में लगातार 16 मैच जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया।

वजह-2: स्पॉर्टिंग कल्चर- रग्बी, हॉकी में भी वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया एक स्पॉर्टिंग नेशन है। यहां स्कूलों में क्रिकेट के साथ हॉकी, रग्बी, बास्केटबॉल, स्विमिंग, टेनिस और फुटबॉल जैसे दुनिया के टॉप स्पॉर्ट्स का क्रेज भी रहता है। इन खेलों में एथलीट तैयार करने के लिए देश के हर बड़े शहर में वर्ल्ड क्लास स्टेडियम और मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। जिनमें ट्रेनिंग लेकर एथलीट्स ऑस्ट्रेलिया को कॉमनवेल्थ और ओलिंपिक लेवल पर भी हर बार मेडल दिलाते हैं।
कॉमनवेल्थ- 1001 गोल्ड के साथ नंबर-1 72 देशों के बीच हर 4 साल में एक बार होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में ऑस्ट्रेलिया नंबर-1 टीम है। यह ओलिंपिक के बाद सबसे बड़ा मल्टिनेशन टूर्नामेंट है। इसमें ऑस्ट्रेलिया के नाम 832 सिल्वर और 763 ब्रॉन्ज मिलाकर कुल 2596 मेडल हैं।
ओलिंपिक- 188 गोल्ड, टॉप-10 में शामिल 206 देशों में होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा मल्टिनेशन एथलीट टूर्नामेंट ओलिंपिक गेम्स है। इसमें भी ऑस्ट्रेलिया टॉप-10 टीमों का हिस्सा है। समर ओलिंपिक्स में 182 गोल्ड समेत 600 मेडल जीतकर देश 9वें नंबर पर है। वहीं विंटर ओलिंपिक्स मिलाकर ऑस्ट्रेलिया ने 188 गोल्ड समेत 619 मेडल जीते हैं।

वजह-3: डोमेस्टिक स्ट्रक्चर शेफील्ड शील्ड (फर्स्ट क्लास), मार्श कप (वनडे) और बिग बैश लीग (टी-20) जैसे डोमेस्टिक टूर्नामेंट ऑस्ट्रेलिया के प्लेयर्स की फैक्टरी हैं। ऑस्ट्रेलिया में बचपन से ही क्रिकेट और बाकी स्पोर्ट्स में आगे बढ़ने के लिए स्कॉलरशिप भी मिलती हैं।

स्टीवन स्मिथ, पैट कमिंस और उस्मान ख्वाजा जैसे खिलाड़ी न्यू साउथ वेल्स क्रिकेट की बेसिल सेलर्स प्रोग्राम से निकले। इन प्रोग्राम में प्लेयर्स को स्कॉलरशिप के साथ रहने, खाने और प्रैक्टिस के सारे इंतजाम मिलते हैं। जबकि भारत में इस तरह के स्कॉलरशिप प्रोग्राम स्टेट या नेशनल लेवल पर पहुंचने के बाद ही मिलने शुरू होते हैं।

पार्ट-3: 21वीं सदी में भारत ही दे रहा चैलेंज
21वीं सदी के मेंस क्रिकेट में टीम इंडिया ने सबसे ज्यादा 651 मैच जीते। ऑस्ट्रेलिया 633 जीत के साथ दूसरे नंबर पर है, लेकिन इसमें भी 66.35 के विनिंग परसेंटेज के साथ ऑस्ट्रेलिया टॉप पर आ जाता है। भारत ने 1 जनवरी 2001 के बाद से 64.39% मुकाबले जीते हैं।
21वीं सदी में ऑस्ट्रेलिया तो उतनी ही मजबूत है, जितनी पहले थी, लेकिन टीम को अब भारत से कड़ी चुनौती मिलने लगी है। टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया में 2 बार टेस्ट सीरीज जीत चुकी है और उन्हें उन्हीं के घर में टी-20 और वनडे सीरीज भी हराई है।
इन सबके बावजूद ऑस्ट्रेलिया टीम 6 में से 4 वनडे वर्ल्ड कप जीत चुकी है। इतना ही नहीं, टीम के पास 1 टी-20 वर्ल्ड कप, 1 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप और 2 चैंपियंस ट्रॉफी भी हैं। दूसरी ओर भारत ने 1 वनडे वर्ल्ड कप, 2 टी-20 वर्ल्ड कप और 3 चैंपियंस ट्रॉफी जीती हैं।
ओवरऑल भारत से कम जीत के बावजूद 21वीं सदी में ऑस्ट्रेलिया ने 8 और ICC टाइटल जीत लिए हैं। इनमें भी 2 बार तो ऑस्ट्रेलिया ने भारत को ही फाइनल हराकर टाइटल जीता, जबकि टीम इंडिया एक बार भी ऑस्ट्रेलिया को फाइनल नहीं हरा सकी। विमेंस क्रिकेट में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराना जरूर शुरू कर दिया, लेकिन बड़े टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया से आगे आज भी कोई नहीं।

कनक्लूजन: इमोशंस कम, गेम पर फोकस ज्यादा
ऑस्ट्रेलिया और भारत के स्पॉर्टिंग कल्चर में सबसे बड़ा अंतर इमोशंस का है। ऑस्ट्रेलिया ने जब 2023 में भारत को भारत में फाइनल हराकर वनडे वर्ल्ड कप जीता था तो इंडियन फैंस का दिल टूट गया। कंगारू कप्तान पैट कमिंस जब ट्रॉफी लेकर ऑस्ट्रेलिया पहुंचे तो एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करने के लिए गिने-चुने फैंस ही आए।
दूसरी ओर, भारत ने जब 2024 का टी-20 वर्ल्ड कप जीता तो टीम को एयरपोर्ट पर रिसीव करने के लिए हजारों दर्शक पहुंच गए। इतना ही नहीं, 2 साल में एक बार होने वाले वर्ल्ड कप की जीत सेलिब्रेट करने के लिए BCCI ने ओपन बस परेड तक करा दी। जिसमें शामिल होने के लिए लाखों दर्शक मुंबई की सड़कों पर उतर आए। ऐसा ही कुछ 2025 में पहली बार IPL जीतने वाली RCB के विक्ट्री सेलिब्रेशन में भी हुआ।
स्पॉर्ट्स में चैंपियन बनने पर जीत सेलिब्रेट करने का कल्चर बहुत पुराना है, लेकिन एक ओर ऑस्ट्रेलिया है, जहां वनडे वर्ल्ड कप जीतना भी आम बात है। दूसरी ओर, भारत है, जहां 20 ओवर का वर्ल्ड कप जीतने पर भी सेलिब्रेशन में इमोशंस हावी हो जाते हैं। ऑस्ट्रेलियंस इमोशंस से ज्यादा अपने गेम पर फोकस करते हैं, इसीलिए ज्यादातर मामलों में आगे हैं। टीम इंडिया इमोशंस दर्शाने में तो आगे हैं, लेकिन जब तक यहां के फैंस और प्लेयर्स इमोशंस को पीछे नहीं करेंगे, तब तक क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया की बराबरी कर पाना मुश्किल ही रहेगा।