ऑस्ट्रेलिया ने पर्थ वनडे में भारतीय टीम को 7 विकेट से हरा दिया है. बारिश से प्रभावित इस मैच में भारतीय टीम ने निर्धारित 26 ओवरों में 136 रन बनाए थे, जिसके बाद DLS नियम के कारण ऑस्ट्रेलिया को 131 रनों का टारगेट मिला. कंगारू टीम ने 29 गेंद शेष रहते इस लक्ष्य को हासिल कर लिया. यहां जानिए भारतीय टीम के खराब प्रदर्शन और उसकी हार के 5 सबसे बड़े कारण क्या रहे.
भारत की हार के 5 बड़े कारण
पर्थ की पिच को समझ नहीं पाई टीम इंडिया
मैच में बारिश आने से पहले ही पिच में असामान्य उछाल देखने को मिल रहा था. रोहित शर्मा कई बार बीट भी हुए. नतीजन अधिकांश बल्लेबाजों को रन बनाने में परेशानी हुई. राहुल ने 38 रन और अक्षर पटेल ने 31 रन बनाए. उनके अलावा कोई भारतीय बल्लेबाज 20 रनों का आंकड़ा भी नहीं छू पाया. दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया ने सिर्फ 44 रन पर 2 विकेट गंवा दिए थे. फिर भी उसने 6 के रन रेट से स्कोरबोर्ड को आगे बढ़ाया. ऑस्ट्रेलिया ने दिखाया कि यहां रन बन सकते थे.
बैटिंग ऑर्डर सही नहीं
भारतीय टीम का बैटिंग ऑर्डर नंबर-4 तक वैसा ही रहा, जहां बल्लेबाजों को खेलने की आदत है. नंबर-5 पर केएल राहुल का वनडे औसत 56 से ज्यादा का है, फिर भी अक्षर पटेल को उनसे ऊपर भेजा गया. वहीं नितीश कुमार रेड्डी जिस तरह की बैटिंग कर रहे थे, उसे देख लगा जैसे उन्हें छठे क्रम पर उतारा गया होता तो शायद टीम इंडिया बड़े स्कोर की तरफ बढ़ सकती थी. छठे नंबर पर वाशिंगटन सुंदर को उतारा गया.
खराब शॉट सेलेक्शन
सबसे पहले विराट कोहली की बात करें तो वो ऑफ-स्टंप के बाहर की गेंद पर बल्ला अड़ाने की वजह से आउट हुए. कोहली खाता तक नहीं खोल पाए. कप्तान शुभमन गिल लेग साइड की ओर जाती गेंद के खिलाफ अपने बल्ले को नियंत्रण में नहीं रख पाए और विकेटकीपर को कैच थमा बैठे. वाशिंगटन सुंदर भी आमतौर पर बढ़िया बैटिंग करते हैं, लेकिन स्लोवर गेंद को ना पढ़ पाने के कारण अपना विकेट फेंक बैठे.
बुरी तरह ढह गया टॉप ऑर्डर
मैच में बारिश आने से पहले ही भारतीय बल्लेबाज संघर्ष करने लगे थे. टॉप ऑर्डर का बुरी तरह ढहना टीम इंडिया की हार का एक बड़ा कारण रहा. 25 रन तक विराट कोहली, रोहित शर्मा और शुभमन गिल तीनों आउट हो चुके थे. 50 के स्कोर से पहले भारत 4 विकेट गंवा चुका था. इसका असर निचले क्रम के बल्लेबाजों पर पड़ा.
क्या कुलदीप यादव को खिलना चाहिए था?
भारतीय टीम ने अक्षर पटेल और वाशिंगटन सुंदर के रूप में 2 स्पिन गेंदबाजी विकल्प प्लेइंग इलेवन में रखे थे. ये दोनों बैटिंग कर सकते हैं, शायद इसी कारण उन्हें एडवांटेज मिला. मगर पर्थ की पिच समय-समय पर रिस्ट स्पिनरों के लिए प्रभावी साबित हुई है. पटेल और सुंदर चाहे अलग-अलग हाथ से गेंदबाजी करते हैं, लेकिन उनका पेस लगभग एक समान रहता है, ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को उन्हें पढ़ने में ज्यादा दिक्कत नहीं आती. इस पिच पर कुलदीप की फ्लाइटेड और टॉप-स्पिन गेंदें घातक सिद्ध हो सकती थीं.
यह भी पढ़ें:
दिवाली पर जीत का तोहफा नहीं दे सकी टीम इंडिया, ऑस्ट्रेलिया ने जीता पहला वनडे; मिचेल मार्श चमके