13 मिनट पहलेलेखक: वर्षा राय
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दिवाली का त्योहार अपने साथ लेकर आता है खुशियों की चमक, रंगों की रौनक और दिलों की मिठास। जब बात होती है इस त्योहार की, तो सिर्फ रोशनी और पटाखों की आवाज ही नहीं, बल्कि अपने पसंदीदा सितारों की दिलचस्प बातें भी हमें उत्साहित कर देती हैं। इस बार, हमने खास तौर पर अरशद वारसी और जीतेंद्र कुमार से बात की, जिन्होंने खुलकर बताया कि उनके लिए कौनसा को-स्टार है ‘पटाखा’ और कौन ‘बम’ है। साथ ही, उन्होंने अपने ट्रेडिशनल दिवाली लुक, त्योहार की कुछ मजेदार आदतों और गिफ्टिंग एक्सपीरियंस के बारे में भी बता की है।

‘बॉलीवुड में असली पटाखा नरगिस ही है, बाहर से वो एक खूबसूरत लड़का है’- अरशद वारसी
आपकी नजर में आपका कौन-सा को-स्टार ‘पटाखा’ है और कौन ‘बम’ है?
अरशद वारसी- मुझे लगता है कि पटाखा है नरगिस फाखरी। बड़ी मजेदार एक्ट्रेस हैं। हाल ही में मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला और मैं कहूंगा कि वो बाहर से लड़की हैं लेकिन अंदर से एक खूबसूरत लड़का हैं।और बम कहूं तो हुमा कुरैशी है मेरे लिए। वो भी बहुत मजेदार और टैलेंटेड हैं।
जीतेंद्र कुमार- मेरे लिए बम तो अरशद वारसी सर हैं और पटाखा रघु सर।
इस दिवाली में आपका आउटफिट लुक क्या होने वाला है ट्रेडिशनल या कैजुअल?
अरशद वारसी- 100 प्रतिशत ट्रेडिशनल होगा, मैं हाल ही में लखनऊ गया था और वहां से चिकनकारी के कई कुर्ते लाया हूं, जो मैं खास दिवाली पर ही पहनने वाला हूं।

‘जीतेंद्र को दिवाली में सबसे ज्यादा पसंद है घर के कामकाज करना, मिठाई बनाने से लेकर मंदिर सजाने तक’
जीतेंद्र कुमार- ट्रेडिशनल, इसमें कोई शक नहीं है।
दिवाली में कोई ऐसा काम जो आप करना नहीं चाहते, लेकिन किसी कारणवश करना ही पड़ता है?
अरशद वारसी- मेरे लिए तो जुआ है, मुझे कार्ड्स खेलना बिल्कुल पसंद नहीं है। मैं एक बार एक बड़े आदमी की दिवाली पार्टी में गया। उन्होंने मुझसे कहा कि “अरशद, तुम कार्ड्स क्यों नहीं खेल रहे?” मैंने जवाब दिया कि “सर, आप मुझसे ऐसे ही पैसे ले लीजिए लेकिन मैं कार्ड्स नहीं खेलूंगा।” कार्ड्स खेलने में दिक्कत ये है कि एक तो बहुत देर तक बैठना पड़ता है और फिर अगर बैठ गए तो उठना मुश्किल होता है।
जीतेंद्र कुमार- मुझे दिवाली बहुत पसंद है, इसलिए घर के हर काम में मजा आता है चाहे मिठाई बनाना हो, दिये जलाने हो या मंदिर सजाना हो मैं सब कुछ बड़े दिल से करता हूं।

दिवाली पर ताश खेलने से अरशद को सख्त परहेज है। बोले- सब कहते हैं खेलो, मैं कहता हूं पैसे रख लो, लेकिन मुझे ताश मत पकड़ाओ!
क्या कभी दिवाली का गिफ्ट लेते हुए कहा है कि “अरे इसकी क्या जरूरत थी?”
अरशद वारसी- बिल्कुल नहीं, बल्कि मैं तो कहता हूं कि “थैंक यू, और अब एक और भेज दीजिए!”