हिंदी सिनेमा के वरिष्ठ अभिनेता गोवर्धन असरानी का आज शाम लगभग 4 बजे लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. यह जानकारी उनके भतीजे अशोक असरानी ने दी. एक वक्त था जब वो कॉमेडी रोल का दूसरा नाम बन गए थे. असरानी का कॉमेडी रोल में अमूल्य योगदान रहा है. वो मूल रूप से जयपुर के रहने वाले थे. असरानी सेंट जेवियर्स स्कूल जयपुर से पढ़े थे. हालांकि करीब 3 बजे के आस-पास असरानी के इंस्टाग्राम अकाउंट से दिवाली की शुभकानाएं दी गईं थीं.
गोवर्धन असरानी के PA, बाबूभाई ने इंडिया टुडे को बताया, “असरानी साहब को चार दिन पहले जुहू स्थित भारतीय आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों ने हमें बताया कि उनके फेफड़ों में पानी जमा हो गया था और आज, 20 अक्टूबर को दोपहर लगभग 3.30 बजे उनका निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है.”
जब उनसे पूछा गया कि परिवार ने इतनी जल्दी अंतिम संस्कार क्यों किया, तो उन्होंने बताया कि अभिनेता शांति से जाना चाहते थे और उन्होंने अपनी पत्नी मंजू से कहा था कि उनकी मौत को कोई बड़ा मुद्दा न बनाएं. यही वजह है कि परिवार ने अंतिम संस्कार के बाद ही उनके निधन के बारे में जानकारी दी.” परिवार जल्द ही एक बयान जारी कर सकता है, हालांकि एक प्रार्थना सभा की भी योजना बनाई जा रही है.
गोवर्धन असरानी ने कई दशकों तक हिंदी सिनेमा में अहम रोल प्ले किए और दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई. फिल्मी जगत और उनके प्रशंसकों में उनके निधन की खबर से गहरे शोक का माहौल है. गोवर्धन असरानी के मरने की खबर पुष्टि उनके भतीजे अशोक असरानी ने की. अब से तीन महीने पहले गोवर्धन असरानी की झूठी खबर फैली थी. जिसमें ये कहा गया था कि 15 जुलाई 2025 को गोवर्धन असरानी की मौत हो गई. हालांकि इस खबर की पड़ताल की गई तो ये खबर फर्जी पाई गई थी.
पिछले कई दशकों में गोवर्धन असरानी ने हिंदी सिनेमा को कई यादगार किरदार दिए और दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई। उनका करियर 50 साल से भी लंबा था और उन्होंने 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. 1970 के दशक में उनका चरम समय था, जब वे सबसे भरोसेमंद और लोकप्रिय किरदार वाले अभिनेता के रूप में जाने जाते थे. उन्होंने ‘मेरे अपने’, ‘कोशिश’, ‘बावर्ची’, ‘परिचय’, ‘अभिमान’, ‘चुपके चुपके’, ‘छोटी सी बात’, ‘रफू चक्कर’ जैसी फिल्मों में अहम भूमिका निभाई.
उनकी कॉमिक टाइमिंग और संवाद बोलने का तरीका दर्शकों को हमेशा याद रहेगा. अभिनय के अलावा असरानी ने कुछ फिल्मों में निर्देशन और कहानी लेखन भी किया. उन्होंने ‘चल मुरारी हीरो बनने’, ‘सल्लाम मेमसाब’ जैसी फिल्मों को निर्देशित किया. गुजराती सिनेमा में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा दिखाई. हाल ही में वे ‘धमाल’ जैसी हास्य फिल्मों में भी काम करते रहे। उनका योगदान हिंदी सिनेमा में लंबे समय तक याद किया जाएगा. उनके परिवार, सहयोगियों और फैंस इस खबर से बेहद दुखी हैं.
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