RJD- 51 यादव, 19 मुस्लिम, BJP- 21 राजपूत, 16 भूमिहार… बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों का जातीय समीकरण समझिए – Bihar election caste equation jati ticket distribution rjd my bjp forward caste jdu obc ntcppl

RJD- 51 यादव, 19 मुस्लिम, BJP- 21 राजपूत, 16 भूमिहार… बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों का जातीय समीकरण समझिए – Bihar election caste equation jati ticket distribution rjd my bjp forward caste jdu obc ntcppl


बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई है. एनडीए और महागठबंधन दोनों खेमों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है. टिकट बंटवारे में सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के जातीय समीकरण पर खास ध्यान रखा है. 

आरजेडी ने अपने आधार वोट बैंक को साधने के लिए MY तबके से सबसे ज्यादा उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है जबकि जेडीयू ने नीतीश कुमार की नीतियों पर चलते हुए पिछड़ा और अति पिछड़ा वाले समीकरण को साधते हुए उम्मीदवारों का चुनाव किया है. बीजेपी ने भी उम्मीदवारों के चयन में सामाजिक समीकरण का ख्याल रखा है. 

RJD की सोशल इंजीनियरिंग

सबसे पहले बात आरजेडी की. राष्ट्रीय जनता दल ने कुल 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इनमें सबसे अधिक उम्मीदवार यादव जाति और मुस्लिम बिरादरी से हैं. जाहिर है तेजस्वी यादव की तरफ से ए टू जेड के दावे के बावजूद आरजेडी ने MY समीकरण का सबसे अधिक ख्याल रखा है. आरजेडी ने अपने 143 उम्मीदवारों में से यादव जाति से 51 उम्मीदवार उतारे हैं. इसके अलावा मुस्लिम बिरादरी से आने वाले 19 उम्मीदवारों को भी आरजेडी ने टिकट दिया है.

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MY समीकरण को आरजेडी का पुराना आधार और वोट बैंक  माना जाता है और मौजूदा चुनाव में लगभग 50 फीसदी टिकट इसी समीकरण को साधते हुए दिए गए हैं. बाकी बची आधी सीटों पर आरजेडी ने सामान्य वर्ग से 14 उम्मीदवारों को मैदान में उतरा है. आरजेडी ने एनडीए के वोट बैंक में सेंधमारी के लिए कुशवाहा जाति से आने वाले 11 उम्मीदवारों को इस बार टिकट दिया है.

कुशवाहा उम्मीदवारों को आरजेडी से मैदान में उतारने का फायदा तेजस्वी यादव को बीते लोकसभा चुनाव में मिला था. तेजस्वी ने एक बार फिर से इसी प्रयोग को विधानसभा चुनाव में दोहराया है. इतना ही नहीं राजद ने अति पिछड़ा उम्मीदवारों को भी ठीक-ठाक सीटें दी हैं. सुरक्षित सीटों पर दलित उम्मीदवारों को भी मौका मिला है.

JDU- बैकवर्ड 37, OBC-22

उधर जेडीयू ने नीतीश कुमार के पिछड़ा–अति पिछड़ा मॉडल पर काम करते हुए मौजूदा विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व इसी दो तबके से आने वाले उम्मीदवारों को दिया है. जेडीयू ने अपने 101 उम्मीदवारों में से पिछड़ा वर्ग के 37 और अति पिछड़ा तबके से आने वाले 22 उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इसमें कुशवाहा जाति से 13 और कुर्मी जाति से 12 उम्मीदवार शामिल हैं. 8 यादव उम्मीदवारों को भी जेडीयू ने मैदान में उतारा है. धानुक जाति से आने वाले 8 उम्मीदवारों को जेडीयू ने मौका दिया है.

सामान्य वर्ग के 22 उम्मीदवारों को जेडीयू ने मौका दिया है. इनमें भूमिहार जाति से 9 उम्मीदवार, राजपूत जाति से 10 उम्मीदवार, ब्राह्मण से 1 और एक कायस्थ उम्मीदवार शामिल है. इतना ही नहीं जेडीयू ने चार मुस्लिम उम्मीदवार भी मैदान में उतारे हैं. दलित बिरादरी को भी जदयू ने मौका दिया है मुसहर और मांझी समाज से आने वाले 5 उम्मीदवारों को जेडीयू ने टिकट दिया है जबकि रविदास समाज से 5 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. अति पिछड़ी जातियों को भी जेडीयू ने अपने टिकट बंटवारे में प्रतिनिधित्व दिया है. जेडीयू के कुल 101 उम्मीदवारों में अलग-अलग जातियों से आने वाली 13 महिला उम्मीदवार भी शामिल हैं.

बीजेपी- 21 राजपूत, 16 भूमिहार

बीजेपी ने अपने 101 उम्मीदवारों में सभी वर्गों को सामाजिक समीकरण के मुताबिक मौका दिया है. बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट में सबसे अधिक संख्या सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की है. बीजेपी ने कुल 49 सामान्य वर्ग के उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं इसमें सबसे अधिक राजपूत जाति के 21 उम्मीदवार, भूमिहार जाति के 16 उम्मीदवार, ब्राह्मण जाति से 11 उम्मीदवार और एक कायस्थ उम्मीदवार शामिल हैं.

बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट में पिछड़ा वर्ग के 24 उम्मीदवार शामिल हैं, इसमें 6 यादव, 5 कुशवाहा, 2 कुर्मी, 4 बनिया, 3 कलवार, 3 सूढ़ी, 1 मारवाड़ी और 1 चनऊ जाति से है. अति पिछड़ा समाज के कुल 16 उम्मीदवारों को बीजेपी ने मौका दिया है. इसमें निषाद जाति से 1, तेली से 5, केवट जाति से 1, बिंद जाति से 1, धानुक जाति से 1, कानू जाति से 3, नोनिया जाति से 1, चंद्रवंशी जाति से 1, डांगी से 1 और चौरसिया जाति से 1 उम्मीदवार शामिल है.

बीजेपी ने अनुसूचित जाति में सबसे अधिक उम्मीदवार पासवान जाति को दिए हैं. पासवान जाति के 7 उम्मीदवार, रविदास जाति के 3 और  1 मुसहर जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. इसके अलावा अनुसूचित जनजाति का 1 उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में है. 

इसके अलावे महागठबंधन में कांग्रेस, वीआईपी और लेफ्ट ने अपने जातीय और सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखकर उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. एनडीए के साथ खड़े चिराग पासवान, तन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा ने भी अपने-अपने सामाजिक जातीय समीकरण के हिसाब से उम्मीदवारों को टिकट दिया है.

विधानसभा चुनाव में बड़े प्लेयर के तौर पर आरजेडी, बीजेपी और जेडीयू ने उम्मीदवारों के चयन में जिस तरह जातीय और सामाजिक समीकरण का ख्याल रखा है उसका कितना फायदा इन बड़ी पार्टियों को मिलता है इसके लिए 14 नवंबर तक के इंतजार करना होगा.लेकिन फिलहाल सभी बड़े दलों का प्रयास यही है कि जातीय–सामाजिक समीकरण के जरिए विरोधी खेमे में सेंधमारी हो सके. 

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