
छठ पूजा केवल एक त्योहार ही नहीं है, बल्कि ये आस्था, संस्कृति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस कठिन व्रत में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. इन चारों दिनों में छठी मैया और सूर्य देव को अलग-अलग पारंपरिक पकवानों का भोग लगाया जाता है.

छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस दिन व्रती नदी में स्नान करती हैं और सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत का संकल्प लेती हैं. इस दिन सेंधा नमक और घी में बना अरवा चावल और लौकी की सब्जी प्रसाद के रूप में खाई जाती है.

खरना छठ पूजा का दूसरा दिन है. इस दिन व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखती हैं और शाम को विशेष भोग तैयार करके सूर्य देव की पूजा के बाद उसे ग्रहण करती हैं, जिसे ‘खरना’ या ‘लोहंडा’ कहते हैं. इसके बाद से 36 घंटों का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. रसिया या गुड़ की खीर इस दिन का प्रमुख प्रसाद है. इसे दिन खीर गुड़ और अरवा चावल से बनाया जाता है.

छठ पूजा का तीसरा दिन, यह छठ का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन ठेकुआ सहित कई तरह के पारंपरिक पकवानों से सूप यानी कि बांस का बर्तन सजाकर छठी मैया को अर्पित किया जाता है.

छठ पूजा का चौथा दिन यह व्रत का अंतिम दिन होता है, जब उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रती पारण करके व्रत खोलती हैं. प्रसाद में ठेकुआ, फल और अन्य पकवानों को सभी लोगों को बांटती हैं.
Published at : 22 Oct 2025 02:29 PM (IST)