रियलिटी चेक: दिल्ली में प्रदूषण पर ‘डेटा का खेल’! कहीं पेड़ों में छिपे AQI स्टेशन, कहीं डिस्प्ले बोर्ड बंद – Delhi Air Menace AQI Display Boards Defunct Data in Doubt ntc

रियलिटी चेक: दिल्ली में प्रदूषण पर ‘डेटा का खेल’! कहीं पेड़ों में छिपे AQI स्टेशन, कहीं डिस्प्ले बोर्ड बंद – Delhi Air Menace AQI Display Boards Defunct Data in Doubt ntc


दिल्ली की हवा हर साल दिवाली के बाद जहर हो जाती है. लेकिन इस बार सवाल सिर्फ प्रदूषण के स्तर पर नहीं, बल्कि प्रदूषण मापने वाली व्यवस्था की विश्वसनीयता पर उठ रहा है. आजतक के रियलिटी चेक में राजधानी के कई इलाकों में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन (AQI स्टेशन) और डिस्प्ले बोर्ड या तो खराब पाए गए या पेड़ों के बीच इस तरह लगाए गए कि सही आंकड़े मिल ही नहीं सकते. सरकारी वेबसाइटों पर दिख रहे आंकड़ों और जमीनी हकीकत में भी गंभीर खामियां मिलीं.

1. नरेला: हरित क्षेत्र में स्टेशन डिस्प्ले बोर्ड खराब

बाहरी दिल्ली के नरेला के आईटीआई परिसर में लगे एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन का दृश्य चौंकाने वाला है. स्टेशन को पेड़ों के बीच लगाया गया है, जहां हवा पहले से साफ रहती है. स्टेशन के ठीक सामने एंटी-स्मोक गन चल रही थी यानी प्रदूषण मापने से पहले ही हवा को साफ कर दिया गया.

दिवाली के बाद यहां विशेष सफाई अभियान चलाया गया, ताकि स्टेशन के आसपास धूल के कण कम हों और रिपोर्ट ‘सुधरी’ दिखे. डिस्प्ले बोर्ड इतना धुंधला है कि उस पर कोई भी डेटा स्पष्ट नहीं पढ़ा जा सकता. स्थानीय एमसीडी कर्मचारी दयाचंद ने बताया कि दो दिन पहले से यहां सफाई शुरू की गई है.

2. आया नगर: डेढ़ साल से बंद डिस्प्ले मशीन

मौसम विज्ञान विभाग के दफ्तर के बाहर आया नगर का AQI डिस्प्ले बोर्ड पिछले 18 महीनों से बंद है. गार्ड ने बताया कि मशीन काफी समय से काम नहीं कर रही, हालांकि अंदर की मशीनें सक्रिय बताई जाती हैं लेकिन वहां बाहरी लोगों को एंट्री नहीं हैं. इससे साफ है कि जिस डेटा को जनता तक पहुंचना चाहिए, वह केवल विभागों की फाइलों तक सीमित है. दिल्ली के कई AQI स्टेशन ऐसे ही हैं. या तो मशीनें खराब हैं या बोर्ड काम नहीं कर रहे.

3. आरके पुरम: छत पर छिपा बोर्ड, दीपावली से बंद

आरके पुरम के केंद्रीय विद्यालय परिसर में AQI डिस्प्ले बोर्ड भवन की छत पर पेड़ों से ढका हुआ है. यह न केवल लोगों की नजर से दूर है, बल्कि 22 अक्टूबर से बंद पड़ा है. विद्यालय के गार्ड ने बताया कि दीपावली के बाद से ही बोर्ड बंद पड़ा है. जबकि, यही बोर्ड आम लोगों को प्रदूषण स्तर बताने के लिए लगाया गया था.

4. बवाना: पेड़ों के बीच स्टेशन, बोर्ड खराब

महर्षि वाल्मीकि अस्पताल परिसर में लगा AQI स्टेशन घने पेड़ों के बीच स्थापित है. डिस्प्ले बोर्ड करीब 200 मीटर दूर है और वो भी खराब. स्थानीय लोगों ने बताया कि फैक्ट्रियों वाले बवाना इलाके में वास्तविक प्रदूषण बहुत अधिक है, लेकिन स्टेशन पेड़ों के बीच लगाकर आंकड़ों को कृत्रिम रूप से अच्छा दिखाने की कोशिश की गई है. यह स्टेशन AAP सरकार के वक्त लगाया गया था, यानी आंकड़ों का यह खेल पुराना है.

5. पंजाबी बाग: बोर्ड बंद, वेबसाइट पर डेटा 300+

पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग इलाके में सर्वोदय कन्या विद्यालय के अंदर लगा AQI मॉनिटर 23 अक्टूबर दोपहर 12 बजे पूरी तरह बंद मिला. एक घंटे तक इंतजार करने के बाद भी मशीन ने कोई रीडिंग नहीं दिखाई. आश्चर्य की बात है कि उसी समय CPCB की वेबसाइट पर पंजाबी बाग का AQI 300+ दर्ज था. स्थानीय गार्ड ने बताया कि दिवाली की रात अधिकारी आए थे, लेकिन उसके बाद कोई देखने नहीं आया. यानी ग्राउंड पर मशीन बंद, लेकिन वेबसाइट पर डेटा चलता रहा.

6. कड़कड़डूमा और शाहदरा: बोर्ड फ्रीज, मॉनिटरिंग बंद

कड़कड़डूमा कोर्ट के पास CPCB के बाहर लगा डिस्प्ले बोर्ड 22 अक्टूबर की तारीख पर अटका हुआ मिला यानी डेटा अपडेट नहीं हो रहा. शाहदरा का AQI सेंटर भी कई दिनों से बंद है जबकि यह स्थानीय विधायक संजय गोयल के घर के सामने ही स्थित है. सूत्रों के अनुसार सेंसर में खराबी और मेंटेनेंस में देरी के कारण मॉनिटरिंग सिस्टम ठप है. इस बीच इलाके में कूड़ा जलाने और वाहनों के धुएं से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है.

7. नजफगढ़: साइट पर डेटा चालू, वेबसाइट पर बंद

खेरा डाबर के चौधरी ब्रह्म प्रकाश अस्पताल परिसर में AQI स्टेशन पूरी तरह चालू मिला. डिस्प्ले पर डेटा लगातार अपडेट हो रहा था लेकिन CPCB वेबसाइट पर वही स्टेशन ऑफलाइन दिखा.

स्टेशन ऑपरेटर ने बताया कि यह ऑटोमेटेड सिस्टम है, जो 24 घंटे चलता है, लेकिन वेबसाइट पर सर्वर तकनीकी खराबी के कारण डेटा नहीं दिख रहा था.

8. ओखला फेस-2: चालू स्टेशन, संतुष्ट लोग

ओखला औद्योगिक क्षेत्र के फेस-2 में AQI स्टेशन सही तरह से काम करता मिला. डिस्प्ले और वेबसाइट दोनों पर डेटा मैच करता हुआ पाया गया. लोगों ने कहा कि स्टेशन लगातार चल रहा है, बाहर पानी का छिड़काव और सफाई होती रहती है. यानी राजधानी में कुछ स्टेशन ठीक काम कर रहे हैं, लेकिन बहुतों की स्थिति ब्लाइंड स्पॉट जैसी है.

इस पूरे मामले पर क्या बोले अधिकारी

अनिल गुप्ता, सदस्य, DPCC और CPCB ने बताया कि दिल्ली में 40 AQI स्टेशन हैं, जिनमें से 39 काम कर रहे हैं. कभी-कभी दिवाली जैसे आयोजनों के बाद मशीनें अस्थायी रूप से बंद हो जाती हैं. यह सामान्य मेंटेनेंस की प्रक्रिया है, कोई डेटा छिपाने की कोशिश नहीं होती. तकनीकी कारणों से कभी-कभी स्टेशन की रीडिंग अपडेट नहीं होती.

वहीं मोहन पी. जॉर्ज, पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक, DPCC और सलाहकार, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने कहा कि AQI स्टेशन किसी भी तरह की बाधा से मुक्त होने चाहिए. उन्हें ऐसे क्षेत्रों में नहीं लगाना चाहिए जहां पेड़ या इमारतें हवा के प्रवाह को रोकें. एक स्टेशन को साल में कम से कम 340 दिन काम करना चाहिए, ताकि डेटा विश्वसनीय रहे. आमतौर पर PM2.5 और PM10 का डेटा हर घंटे अपडेट होना चाहिए.

(मिलन शर्मा, सुशांत मेहरा, अमरजीत सिंह, अमरदीप कुमार, राजेश खत्री, ओपी शुक्ला, मनोरंजन, भरत कुमार, आशुतोष कुमार के इनपुट के साथ)

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