पश्चिम बंगाल में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंदर तैनात नर्स पर हुए जानलेवा हमले के बाद स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा फिर से गंभीर सवाल उठ रहे हैं. ताजा मामला बीरभूम जिले के मोहम्मदबाजार स्थित कैजुली प्रखंड प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (बीपीएचसी) का है. जहां बुधवार देर शाम नशे में धुत एक युवक ने एक नर्स पर बेरहमी से हमला कर दिया. इस हमले में वो नर्स गंभीर रूप से घायल हो गई.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पीड़िता की पहचान रीना मंडल के रूप में हुई है. वह अपनी ड्यूटी के बाद घर जाने की तैयारी कर रही थी. तभी नशे में धुत एक स्थानीय व्यक्ति स्वास्थ्य केंद्र में घुस आया और दवाइयां मांगने लगा. जब रीना मंडल ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, तो दोनों पक्षों में बहस छिड़ गई. इसी दौरान अचानक गुस्से में आकर युवक ने पत्थर उठाकर नर्स पर कई वार किए, जिससे उसके सिर में गंभीर चोटें आईं.
रीना की चीखें सुनकर स्थानीय निवासी मौके पर पहुंचे और हमलावर को पकड़ने में कामयाब रहे, इसके बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया. आरोपी की पहचान उसी इलाके के निवासी राजीब कहार के रूप में हुई है. घायल नर्स को तुरंत सूरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों को उसके सिर में 22 टांके लगाने पड़े. उसकी हालत गंभीर है.
इस हमले से इलाके में व्यापक आक्रोश फैल गया है, जिससे अस्पतालों के अंदर स्टाफ की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है. स्थानीय निवासियों और स्वास्थ्य कर्मियों ने कड़े सुरक्षा उपायों की मांग करते हुए सवाल उठाया कि अगर नर्सें अस्पताल परिसर में सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिक कैसे सुरक्षित महसूस कर सकते हैं?
बीरभूम में नर्स पर हमला दुर्भाग्य से कोई अकेली घटना नहीं है. स्वास्थ्य कर्मियों, खासकर महिलाओं की सुरक्षा, पश्चिम बंगाल में बार-बार और गंभीर चिंता का विषय बन गई है, हाल ही में कई हाई-प्रोफाइल और परेशान करने वाले मामले सामने आए हैं. राज्य में चिकित्सा कर्मचारियों में बढ़ती चिंता को दर्शाने वाले कुछ हालिया हाई-प्रोफाइल हमले पर एक नजर डालते हैं-
उलुबेरिया में महिला डॉक्टर पर हमला
अक्टूबर में ही हावड़ा के उलुबेरिया स्थित शरत चंद्र चट्टोपाध्याय सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला जूनियर डॉक्टर पर एक होमगार्ड और दो अन्य लोगों ने हमला किया था और बलात्कार की धमकी दी थी. वे सभी एक मरीज के रिश्तेदार थे. आरोपियों की पहचान शेख बाबूलाल (एक ट्रैफिक होमगार्ड), शेख सम्राट और शेख हसीबुर के रूप में हुई है. पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. प्रसूति वार्ड के अंदर हुई इस घटना ने अस्पताल की सुरक्षा और कार्यस्थलों पर लैंगिक हिंसा को लेकर फिर से आक्रोश पैदा कर दिया.
जूनियर डॉक्टर का रेप-मर्डर
कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ये दुखद मामला ऐसी घटनाओं की सबसे प्रमुख मिसाल है, जहां एक 31 वर्षीय महिला स्नातकोत्तर रेजिडेंट डॉक्टर के साथ अस्पताल परिसर में बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई. अपराध एक बड़े सरकारी अस्पताल परिसर में हुआ था, डॉक्टरों और नर्सों ने बेहतर सुरक्षा की मांग करते हुए राज्यव्यापी और राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया था. अंततः मामला सीबीआई को सौंप दिया गया.
ड्यूटी पर तैनात नर्स से छेड़छाड़
सितंबर 2024 में बीरभूम में ही ड्यूटी पर तैनात नर्स से छेड़छाड़ का मामला सामने आया था. मोहम्मदबाजार की घटना से कुछ हफ़्ते पहले, बीरभूम ज़िले के इलमबाजार ब्लॉक अस्पताल में एक नर्स के साथ एक पुरुष मरीज़ ने कथित तौर पर छेड़छाड़ की थी और देर रात सलाइन ड्रिप लगाते समय उसके साथ गाली-गलौज की थी. इस घटना में जहां मरीज़ ने कथित तौर पर नर्स को अनुचित तरीके से छुआ था, अस्पताल के कर्मचारियों ने चौबीसों घंटे सुरक्षा की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था.
अस्पताल में हमला और तोड़फोड़
सितंबर 2024 में ही उत्तर 24 परगना के सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हमला और तोड़फोड़ की गई थी. एक मृतक मरीज़ के परिजनों द्वारा हमला किए जाने और पिटाई किए जाने के बाद जूनियर डॉक्टरों और नर्सों ने ‘काम बंद करो’ आंदोलन शुरू कर दिया था. भीड़ की हिंसा में कई कर्मचारी घायल हो गए और अस्पताल की संपत्ति की भारी तोड़फोड़ हुई, जिससे सुरक्षा उपायों की विफलता फिर से उजागर हुई थी.
नर्सों पर भीड़ का हमला
नवंबर 2024 में कोलकाता के विद्यासागर स्टेट जनरल हॉस्पिटल में नर्सों पर भीड़ का हमला चर्चा का विषय बन गया था. दिल का दौरा पड़ने से एक मरीज की मौत के बाद, परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों की एक बड़ी भीड़ ने अस्पताल में तोड़फोड़ की थी और कम से कम तीन नर्सों को घायल कर दिया था. यह घटना प्रशासन द्वारा पिछले हाई-प्रोफाइल अपराधों के बाद सुरक्षा बढ़ाने के बार-बार दिए गए आश्वासन के बावजूद हुई.
इस तरह बार-बार होने वाले मामले हिंसा के उस पैटर्न को रेखांकित करते हैं, जिसने पश्चिम बंगाल के चिकित्सा समुदाय को गहराई से झकझोर दिया है, जिसके कारण बार-बार विरोध प्रदर्शन, न्यायिक जांच और स्वास्थ्य सेवा सुरक्षा प्रोटोकॉल को सख्त किए जाने की मांग उठ रही है.
(बीरभूम से तपससेन गुप्ता का इनपुट)
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