Chhath Puja 2025 Arghya: छठ पूजा केवल पर्व नहीं बल्कि आस्था, समर्पण, श्रद्धा, तप, संयम और पवित्रता का प्रतीक है. चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में सूर्य देव को अर्घ्य देना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. बता दें कि, छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर को होगी और 28 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगी.
खास बात यह है कि, छठ पूजा में सूर्य देव को दो बार अर्घ्य देने की परंपरा है. छठ पर्व में सूर्य देवता को दो बार अर्घ्य देना परंपरा के साथ ही गहरा आध्यात्मिक संदेश भी देता है. आइये जानते हैं इसके बारे में-
छठ पूजा में दो बार सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा
छठ पूजा में सूर्य देव को दो बार अर्घ्य दिया जाता है. पहला अर्घ्य संध्या काल में अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. 27 अक्टूबर 2025 को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा. इसके बाद दूसरा अर्घ्य प्रातःकाल में उदयमान सूर्य को दिया जाता है, जोकि 28 अक्टूबर को है. ये दो अर्घ्य केवल पूजा की परंपरा नहीं, बल्कि गहरा आध्यात्मिक संदेश देते हैं.
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का अर्थ- पहला अर्घ्य सूर्यास्त के समय दिया जाता है. यह वह क्षण है जब दिन समाप्त होता है और सूर्य धीरे-धीरे अस्त हो रहा होता है. यह इस बात का संदेश देता है कि, जीवन में जो भी मिला, उसका आभार करें. यह अर्घ्य कृतज्ञता का प्रतीक है. साथ ही संध्या अर्घ्य यह भी सिखाता है कि- हर अंत का अर्थ हार या समाप्ति नहीं है, बल्कि एक नए आरंभ की भूमिका है.
उगते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व- दूसरा अर्घ्य, जिसे ऊषा अर्घ्य कहा जाता है. उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना नए प्रकाश, नई शुरुआत और नई ऊर्जा का होता है. इस अर्घ्य का अर्थ है नवजीवन और जागरण का प्रतीक है. यानी जैसे रात के अंधकार के बाद सूरज फिर से जीवन का संचार करता है.
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