माता वैष्णो देवी मेडिकल इंस्टीट्यूट में एडमिशन प्रक्रिया पर VHP का सवाल, एलजी से हस्तक्षेप की मांग – VHP questions admission process at Mata Vaishno Devi Medical Institute

माता वैष्णो देवी मेडिकल इंस्टीट्यूट में एडमिशन प्रक्रिया पर VHP का सवाल, एलजी से हस्तक्षेप की मांग – VHP questions admission process at Mata Vaishno Devi Medical Institute


विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में प्रवेश प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए दावा किया है कि पहले बैच में 50 छात्रों में से केवल 6 हिंदू हैं, जबकि 44 मुस्लिम हैं. संगठन ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है.

VHP के महामंत्री बजरंग बागड़ा ने  एक नवंबर को  उपराज्यपाल को लिखे पत्र में कहा, ‘हमें पता चला है कि मेडिकल एक्सीलेंस इंस्टीट्यूट के पहले बैच के 50 छात्रों में से केवल 6 हिंदू हैं, जबकि 44 मुस्लिम हैं.’

उन्होंने ये भी दावा किया कि नर्सिंग कॉलेज के अधिकांश फैकल्टी मेंबर्स मुस्लिम या ईसाई हैं. बागड़ा ने कहा कि ये फैक्ट्स न केवल धार्मिक मान्यताओं के विपरीत है, बल्कि स्थानीय और व्यापक हिंदू समुदाय की भावनाओं को गहराई से आहत करता है.

पत्र में बागड़ा ने कहा, ‘हम वर्तमान में मेडिकल कॉलेज के प्रवेश प्रक्रिया की आंतरिक प्रकृति से पूरी तरह अवगत नहीं हैं, लेकिन माता वैष्णो देवी जैसे पवित्र संस्थान में प्रवेश प्रणाली को धार्मिक संवेदनशीलताओं, सांस्कृतिक विरासत और भविष्य की समाज की अपेक्षाओं को उचित रूप से समायोजित करना चाहिए.’

नियुक्तियों की करें समीक्षा

उन्होंने श्रीमाता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से अपेक्षा जताई कि वह स्थिति की गंभीरता को समझते हुए प्रवेश और नियुक्ति नीतियों की तत्काल समीक्षा करे, ताकि संस्थान की धार्मिक प्रतिबद्धता, संतुलन और भक्तों तथा समाज की अपेक्षाओं का संरक्षण हो.

VHP नेता ने मांग की कि इन सभी संस्थानों में केवल हिंदू शिक्षक और स्टाफ की नियुक्ति की जाए. उन्होंने कहा, ‘ये भी उचित है कि बोर्ड केवल ऐसे लोक कल्याणकारी परियोजनाओं का कार्यान्वयन करे जो माता रानी के भक्तों और समर्पित हिंदू समुदाय की भावनाओं को आहत न करें.’

बजरंग दल का प्रदर्शन

पिछले हफ्ते राष्ट्रीय बजरंग दल ने जम्मू में विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें नवस्थापित श्रीमाता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने की मांग की गई थी. इससे जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं के लिए सीटों के आरक्षण को सक्षम बनाने का उद्देश्य था.

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