
लेकिन हाल के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में बैचलर्स डिग्री होल्डर्स के लिए जॉब मार्केट अब पहले जैसी नहीं रही. मजबूत जॉब मार्केट की कमी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते इस्तेमाल के कारण डिग्री होने के बावजूद स्टूडेंट्स नौकरी पाने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. छात्रों के पास डिग्री तो है, लेकिन उन्हें नौकरी देने वाली कंपनियों की संख्या कम होती जा रही है. इसका असर छात्रों पर वित्तीय और मानसिक दोनों तरह से पड़ रहा है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, चार वर्षीय कॉलेज डिग्री रखने वाले अमेरिकियों में 25 प्रतिशत लोग बेरोजगार हैं. यानी हर चार में से एक व्यक्ति के पास ग्रेजुएशन की डिग्री होने के बावजूद नौकरी नहीं है.

केवल 25 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले लगभग 19 लाख अमेरिकी, जिनके पास ग्रेजुएशन की डिग्री थी, सितंबर 2025 में बेरोजगार थे. यह आंकड़ा 1992 के बाद से अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है.

यूएस ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स (BLS) के अनुसार, बैचलर डिग्री होल्डर्स की बेरोजगारी दर सितंबर 2025 में बढ़कर 2.8 प्रतिशत हो गई है, जो पिछले साल की तुलना में आधा प्रतिशत अधिक है. हालांकि, ज्यादा उम्र वाले वर्कर्स में बेरोजगारी का स्तर उतना अधिक नहीं है, इसका मतलब है कि मुख्य रूप से युवा ग्रेजुएट्स ही इस बदलाव से प्रभावित हो रहे हैं.

20 से 24 वर्ष की उम्र वाले अमेरिकी युवाओं में बेरोजगारी दर सितंबर में 9.2 प्रतिशत थी, जो पिछले साल की तुलना में 2.2 प्रतिशत अंक अधिक है. यह वृद्धि न केवल ऐतिहासिक रूप से बड़ी है बल्कि मंदी के समय के बाद भी इतनी तेज नहीं देखी गई थी. इसका सीधा असर उन छात्रों पर पड़ता है जो अभी-अभी कॉलेज से स्नातक होकर जॉब ढूंढ रहे हैं.
Published at : 28 Nov 2025 07:04 AM (IST)