क्‍यों आई रुपये में गिरावट? US से ट्रेड डील… नए लेबर कोड, एजेंडा आजतक में एक्‍सपर्ट्स ने क्‍या-क्‍या बताया – Agenda Aajtak Shamika Ravi and Sumita Dawra on Rupees Fall US trade New Lbour Reform tutd

क्‍यों आई रुपये में गिरावट? US से ट्रेड डील… नए लेबर कोड, एजेंडा आजतक में एक्‍सपर्ट्स ने क्‍या-क्‍या बताया – Agenda Aajtak Shamika Ravi and Sumita Dawra on Rupees Fall US trade New Lbour Reform tutd


एजेंडा आजतक में इकोनॉमी एडवाइजरी काउंसिल की शमिका रवि और लेबर मिनिस्‍ट्री की पूर्व सेक्रेटरी सुमिता डावरा ने नए लेबर कोड से लेकर रुपये में गिरावट, ट्रेड डील और भारतीय इकोनॉमी ग्रोथ समेत अन्‍य मुद्दों पर बात की. 

शमिका रवि ने भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर कहा कि नंबर और सेक्‍टर्स दोनों तरीके से भारत से तेजी से ग्रोथ कर रहा है. भारत में तेजी से रिफॉर्म हो रहे हैं, जिस कारण इकोनॉमी ग्रोथ में मजबूती आ रही है. भारतीय इकोनॉमी में क्षमता बहुत है और हमे तेजी से ग्रोथ पर लगातार काम करते रहना चाहिए. 

कंपनी और कर्मचारियों के लिए बड़ा सुधार
लेबर मिनिस्‍ट्री की पूर्व सच‍िव सुमिता डावरा ने कहा कि सरकार का यह फैसला बहुत ही अच्‍छा है. आप फ्यूचर में देखेंगे कि यह कितना बड़ा लाभ लेकर आएगा . यह कंपनियों और कर्मचारियों दोनों के लिए सही है. मजदूरों के लिए यह रिफॅार्म वेलफेयर में सुधार लाएगा. वहीं कंपनियों के लिए बिजनेस करने में आसानी होगी. उन्‍होंने कहा कि पहले कुछ ही सेक्‍टर्स में मिनिमम सैलरी की पॉलिसी थी, लेकिन अब इस रिफॉर्म से सभी सेक्‍टर्स में होगी, जो बहुत ही बड़ा सुधार है. इसके अलावा, महिलाओं को लेकर बड़ा बदलाव नाइट शिफ्ट में काम करने की मंजूरी है. इससे देश की प्रोडक्‍ट‍िविटी बढ़ेगी. यह कंपनी और कर्मचारी दोनों के लिए बड़ा रिफॉर्म है. 

अगर इकोनॉमी अच्‍छी है तो रुपया क्‍यों गिर रहा है?
इकोनॉमिस्‍ट शमिका रवि ने कहा कि रुपये में गिरावट को लेकर कंफ्यूज होने की जरूरत नहीं है. हमारी अर्थव्‍यवस्‍था मजबूत बनी हुई है. हमारा डिजिटल पेमेंट दुनिया में नई क्रांति लेकर आया है. सर्विस सेक्‍टर तेजी से ग्रो कर रहा है, जबकि इंफ्रा में भी मजबूती आई है. भारत हर सेक्‍टर्स में मजबूती से आगे बढ़ रहा है. डॉलर रिजर्व भी तेजी से बढ़ा है. इतना ही नहीं महंगाई भी कम हुई है. भारत की जीडीपी में घरेलू योगदान करीब 70 फीसदी का है, जबकि जापान जैसे देश में जीडीपी में उनका डोमेस्टिक कंट्रीब्‍यूशन 30 फीसदी रहा है. ऐसे में भारतीय मार्केट मजबूत से और मजबूत बनता जा रहा है. 

भारत और अमेरिका की डील को लेकर क्‍या बोलीं
डावरा ने कहा कि भारत में डोमेस्टिक डिमांड मजबूत है, लेकिन अमेरिका भी हमारे लिए एक बड़ा मार्केट है. इसे नजरअंदा नहीं किया जा सकता है. हमारे देश से बहुत से प्रोडक्‍ट अमेरिका में एक्‍सपोर्ट हो रहे हैं. कपड़ा से लेकर जेम्‍स एंड ज्‍वेलरी तक का अमेरिका में ज्‍यादा डिमांड है. हालांकि टैरिफ लगने से इनपर प्रभाव पड़ा है, लेकिन रिफॉर्म के बाद घरेलू मार्केट मजबत बना हुआ है. साथ ही कई और मार्केट तक पहुंच मिली है, जिस कारण 8.2 फीसदी का जीडीपी ग्रोथ आया है. यह भारत में निवेश का आइडियल टाइम है. पिछडले साल से नेट एफडीआई ज्‍यादा है. भारत अब रिफॉर्म मोड में है. 

शमिका रवि ने भारत और अमेरिका व्‍यापार वार्ता पर कहा कि अमेरिका हमारे लिए महत्‍वपूर्ण मार्केट है. इसे नॉर्मल तरीके से देखना चाहिए, यह कोई ट्रेड वॉर नहीं है. हम एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर ओपेन नहीं कर सकते. यह नेशनल सिक्‍योरिटी जैसे मामला है. व्‍यापार समझौता महत्‍वपूर्ण है, लेकिन सभी सेक्‍टर्स को लेकर फ्री ट्रेड डील नहीं हो सकती है. अमेरिका से डील होना तय है, इसके विकल्‍प के तौर पर हम कोई दूसरा मार्केट नहीं तलाश सकते. 

बिहार क्यों पिछड़ गया?
आर्थिक तरक्की में बिहार धीरे-धीरे पिछड़ते-पिछड़ते काफी पीछे चला गया. शुरुआत में इस सुधारने की कोशिश नहीं की गई. 1990 में बिहार की जितनी प्रति व्यक्ति आय थी, वहीं 2005 में भी थी. यानी 15 साल में कुछ नहीं बदला. इस दौरान यूपी और ओडिशा जैसे देश में बिहार से आगे निकल गए. लेकिन अब बिहार धीरे-धीरे ही बेहतर कर रहा है.

क्या बिहार लेबर की फैक्ट्री है?
बिहार की स्थिति अब बदल रही है, निवेश धीरे-धीरे आ रहा है, इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हो रहा है, सड़कें बन रही हैं. पिछले 10 साल में बिहार काफी बदला है, कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है.

उन्होंने कहा कि बिहार में एक बदवाल जरूरी है. बिहार में सबसे ज्यादा लोग सरकारी नौकरी पर फोकस करते हैं, इससे किसी भी राज्य का भला नहीं हो सकता, यानी वो राज्य तरक्की नहीं कर सकता. ये पैमाना बदलना होगा. जब तक प्राइवेट कंपनियां बिहार की तरफ रुख नहीं करेंगी, तब तक बिहार की आर्थिक सेहत सुधर नहीं सकती. 

भले ही बिहार के लोग सबसे ज्यादा IAS और IPS में कंप्लीट करते हैं, लेकिन इसे जॉब क्रिएशन से जोड़कर नहीं देख सकते. प्राइवेट निवेश को बिहार में लाना होगा, इसके लिए केंद्र को सहयोग करना होगा. राज्य को अपने यहां उस तरह से माहौल तैयार करना होगा.

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