
स्वीट कॉर्न का स्वाद मीठा होने के पीछे कारण है उसमें मौजूद शुगर की मात्रा. इसमें नेचुरल शुगर ज्यादा होती है, जिसकी वजह से इसका स्वाद मीठा और नरम लगता है. दूसरी तरफ, देसी भुट्टा ज्यादा फाइबर वाला और कम मीठा होता है, इसलिए इसे खाने से ब्लड शुगर तुरंत नहीं बढ़ता.

अगर डायबिटीज कंट्रोल करनी है या वजन घटाना है तो देसी भुट्टा ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी कम होती है और फाइबर ज्यादा होता है. फाइबर पाचन को धीमा करता है और ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ने नहीं देता.

स्वीट कॉर्न की सबसे बड़ी कमी यही है कि इसमें कार्बोहाइड्रेट और शुगर ज्यादा होती है. लगातार ज्यादा मात्रा में स्वीट कॉर्न खाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है और वजन बढ़ने का खतरा भी रहता है. हालांकि, अगर इसे सीमित मात्रा में खाया जाए तो यह हानिकारक नहीं है.

देसी भुट्टा दिल के लिए भी बेहतर माना जाता है. इसमें फाइबर के साथ-साथ आयरन, जिंक और कई तरह के मिनरल्स मौजूद होते हैं. यह लंबे समय तक पेट भरा हुआ रखता है और ओवरईटिंग से बचाता है.

स्वीट कॉर्न में भी विटामिन C, फोलिक एसिड और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं. लेकिन बात अगर डायबिटीज और वजन कंट्रोल की हो तो इसका चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए.

डॉक्टर्स और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर आपको डायबिटीज है तो देसी भुट्टा ज्यादा सुरक्षित विकल्प है. वहीं अगर कोई हेल्दी इंसान है और बस स्वाद के लिए थोड़ी मात्रा में स्वीट कॉर्न खाता है तो यह नुकसानदायक नहीं होगा.

दोनों ही अपने-अपने तरीके से फायदेमंद हैं, लेकिन वजन घटाने और शुगर कंट्रोल के मामले में देसी भुट्टा स्वीट कॉर्न से आगे है. इसलिए सेहत का ध्यान रखते हुए देसी भुट्टे को डाइट में शामिल करना ज्यादा बेहतर विकल्प साबित होगा.
Published at : 17 Sep 2025 12:59 PM (IST)