7 Paranormal Myths: ग्रहण काल में खाने से लेकर रात में सीटी बजाने तक, 7 अनसुने अंधविश्वासों का चौंकाने वाला सच!

7 Paranormal Myths: ग्रहण काल में खाने से लेकर रात में सीटी बजाने तक, 7 अनसुने अंधविश्वासों का चौंकाने वाला सच!


घर में सूरज डूबने के बाद झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, ग्रहणकाल के दौरान कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए या रात में सीटी बजाने से बुरी ताकतें आपकी ओर आकृषित होती है. ऐसी तमाम बातें हम लोगों ने कभी न कभी बचपन में जरूर सुनी होगी. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ पैरानॉर्मल मिथक के बारे में.

घर में सूरज डूबने के बाद झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, ग्रहणकाल के दौरान कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए या रात में सीटी बजाने से बुरी ताकतें आपकी ओर आकृषित होती है. ऐसी तमाम बातें हम लोगों ने कभी न कभी बचपन में जरूर सुनी होगी. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ पैरानॉर्मल मिथक के बारे में.

भारतीय परिवारों में कहा जाता है कि, शाम के बाद झाड़ू नहीं लगाना चाहिए. ऐसा करने से घर की समृद्धि दूर होती है. लेकिन इसके पीछे का सच ये है कि पुराने समय में शाम के वक्त इसलिए झाड़ू लगाने को मना किया जाता था, क्योंकि मंद रोशनी में चीजों के खोने का डर होता था.

भारतीय परिवारों में कहा जाता है कि, शाम के बाद झाड़ू नहीं लगाना चाहिए. ऐसा करने से घर की समृद्धि दूर होती है. लेकिन इसके पीछे का सच ये है कि पुराने समय में शाम के वक्त इसलिए झाड़ू लगाने को मना किया जाता था, क्योंकि मंद रोशनी में चीजों के खोने का डर होता था.

एक मिथक ये भी है कि रात के समय खुले में दूध को नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इसे पीने मृत आत्माएं आती है. इसके पीछे की सच्चाई तो ये है, कि दूध खुले में रखने से ये जल्दी खराब हो जाता है और कीड़ों या जानवरों को अपनी ओर आकर्षित करता है.

एक मिथक ये भी है कि रात के समय खुले में दूध को नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इसे पीने मृत आत्माएं आती है. इसके पीछे की सच्चाई तो ये है, कि दूध खुले में रखने से ये जल्दी खराब हो जाता है और कीड़ों या जानवरों को अपनी ओर आकर्षित करता है.

भारतीय परिवारों में हमेशा से कहा जाता है कि, 'ग्रहण काल के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए.' दरअसल ये मान्यताएं सेहत को ध्यान में रखकर शुरू हुई थी. ग्रहण काल के दौरान खुले में रखा खाना जल्दी खराब हो जाता है, जिस वजह से ग्रहण काल के दौरान खाने की मनाही है.

भारतीय परिवारों में हमेशा से कहा जाता है कि, ‘ग्रहण काल के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए.’ दरअसल ये मान्यताएं सेहत को ध्यान में रखकर शुरू हुई थी. ग्रहण काल के दौरान खुले में रखा खाना जल्दी खराब हो जाता है, जिस वजह से ग्रहण काल के दौरान खाने की मनाही है.

रात में सीटी बजाने से मृत आत्माएं आपकी ओर आकर्षित होती है. दरअसल इस मिथक के पीछे यह कहानी है कि, प्राचीन समय में रात के समय सीटी इसलिए नहीं बजाई जाती थी, क्योंकि इससे चोर सतर्क हो जाते थे और जंगली जानवर आकर्षित हो जाते थे.

रात में सीटी बजाने से मृत आत्माएं आपकी ओर आकर्षित होती है. दरअसल इस मिथक के पीछे यह कहानी है कि, प्राचीन समय में रात के समय सीटी इसलिए नहीं बजाई जाती थी, क्योंकि इससे चोर सतर्क हो जाते थे और जंगली जानवर आकर्षित हो जाते थे.

सूर्यास्त के बाद नाखून काटने से जीवन में दुर्भाग्य आता है. असल में सच तो यह है कि, शाम या अंधेरे में नाखून काटने से अक्सर चोट लगना या संक्रमण फैलने का डर होता था. बीतते समय के साथ ये एक असाधारण चेतावनी बन गई, जो पूरी तरह से मिथक है.

सूर्यास्त के बाद नाखून काटने से जीवन में दुर्भाग्य आता है. असल में सच तो यह है कि, शाम या अंधेरे में नाखून काटने से अक्सर चोट लगना या संक्रमण फैलने का डर होता था. बीतते समय के साथ ये एक असाधारण चेतावनी बन गई, जो पूरी तरह से मिथक है.

एक पैरानॉर्मल यह भी है कि, रात के समय पीपल के पेड़ के नीचे सोना नहीं चाहिए, क्योंकि इसपर आत्माओं का वास होता है. दरअसल ये पूरी तरह से झूठ और मिथक है. पीपल का पेड़ रात के वक्त कॉर्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है, जिससे नीचे सोने वालों की मौत भी हो सकती है. लेकिन समय के साथ इस कहानी को भूत-प्रेत से जोड़कर लोगों ने अंधविश्वास को हवा दे दी.

एक पैरानॉर्मल यह भी है कि, रात के समय पीपल के पेड़ के नीचे सोना नहीं चाहिए, क्योंकि इसपर आत्माओं का वास होता है. दरअसल ये पूरी तरह से झूठ और मिथक है. पीपल का पेड़ रात के वक्त कॉर्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है, जिससे नीचे सोने वालों की मौत भी हो सकती है. लेकिन समय के साथ इस कहानी को भूत-प्रेत से जोड़कर लोगों ने अंधविश्वास को हवा दे दी.

हममें से ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि, रात के समय कुत्तों का रोना अशुभ होता है. असल मायनों में कुत्तों की इंद्रियां काफी सक्रिय और तेज होती है और वे अपने आसपास होने वाले छोटे से छोटे बदलावों को भांप सकते हैं. हालांकि इस मिथक को भारतीय घरों में लोग अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं.

हममें से ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि, रात के समय कुत्तों का रोना अशुभ होता है. असल मायनों में कुत्तों की इंद्रियां काफी सक्रिय और तेज होती है और वे अपने आसपास होने वाले छोटे से छोटे बदलावों को भांप सकते हैं. हालांकि इस मिथक को भारतीय घरों में लोग अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं.

Published at : 17 Sep 2025 09:31 PM (IST)

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