28 मिनट पहलेलेखक: इंद्रेश गुप्ता
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रॉकिंग स्टार मनोज मांचू इस बार एक खलनायक के रूप में दर्शकों को चौंका रहे हैं। उनकी फिल्म ‘मिराय’ 100 करोड़ रुपए से ऊपर का कलेक्शन कर चुकी है। हाल ही में उन्होंने अपने किरदार और साउथ सिनेमा के बदलते परिदृश्य पर खुलकर बात करते हुए बताया कि ‘मिराय’ के लिए 8 महीने तक निंजा तलवारबाजी सीखी है। एक्टर ने बताया कि अब कोई साउथ या नॉर्थ नहीं रह गया, बल्कि सिर्फ सिनेमा है।
पेश है मनोज मांचू से हुई बातचीत के कुछ और खास अंश..

‘मिराय’ में आप पहली बार एक नकारात्मक किरदार में हैं। इसकी क्या खासियत है?
यह किरदार सिर्फ इंसानों से नहीं, बल्कि सीधे भगवान राम से लड़ रहा है। ‘रामा वर्सेस लामा’ का यह कॉन्सेप्ट ही मुझे इस किरदार के लिए सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाली बात थी। मैं खुद भगवान का बड़ा भक्त हूं और मुझे लगा कि एक अभिनेता के रूप में यह मेरे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। ऐसी कहानियों से हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को बहुत कुछ सिखा सकते हैं।
महावीर लामा या ‘द ब्लैक स्वॉर्ड’ के किरदार में आपके लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या थी?
शुरुआत में मेरे लिए यह बहुत मुश्किल था क्योंकि मुझे भगवान के खिलाफ बोलना था। मेरे किरदार का मानना है कि दुनिया में कोई भगवान नहीं है। वह एक ऐसी दुनिया बनाना चाहता है जहां कोई जाति, धर्म, या अमीर-गरीब का भेद न हो, जहां सब बराबर हों। मुझे डर था कि कहीं मैं अपनी बात रखते हुए भावनाओं को ठेस न पहुंचा दूं, लेकिन जब निर्देशक कार्तिक गट्टामनेनी सर ने मुझे पूरी कहानी और संवाद समझाए, तो मेरा डर खत्म हो गया। उन्होंने इसे बहुत सावधानी से संभाला, बिना किसी का अनादर किए।
इस किरदार के लिए कोई खास ट्रेनिंग या तैयारी की?
हां, मैंने 8 महीने तक तलवारबाजी की कड़ी ट्रेनिंग ली। मैं अपनी पिछली फिल्मों में भी असली स्टंट के लिए जाना जाता हूं, लेकिन इस फिल्म ने मुझे निंजा तलवारबाजी सीखने का मौका दिया। यह मेहनत रंग लाई और अब मेरे पास तलवार और लाठी चलाने जैसे दो नए हुनर हैं। यह मेरे द्वारा निभाए गए सबसे महान किरदारों में से एक है और मुझे उम्मीद है कि यह हमेशा मेरे फिल्म करियर में सबसे ऊपर रहेगा। मुझे उम्मीद है कि यह मुझे भविष्य में ऐसे और भी महान किरदार निभाने का मौका देगा।

तेजा सज्जा के साथ काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा?
हम दोनों ने ज्यादातर समय अलग-अलग ही काम किया, क्योंकि फिल्म में मेरे और तेजा के सीन अलग-अलग हैं। हम केवल क्लाइमैक्स और कुछ फाइट सीक्वेंस में ही साथ थे। हमारे बीच ज्यादा काम का संपर्क नहीं हुआ, लेकिन वो मेरे छोटे भाई जैसे हैं।
पहले सुपरहीरो के लिए बॉडीबिल्डर जैसी फिजिक जरूरी मानी जाती थी, लेकिन अब तेजा जैसे एक्टर्स के साथ भी ऐसी कहानियां बन रही हैं?
मुझे लगता है कि यह एक अच्छा बदलाव है। खासकर ‘मिराय’ में, हमारे निर्देशक ने जानबूझकर ऐसा किया ताकि दर्शक यह सोचें कि एक सामान्य लड़का, बिना किसी सुपरपावर के, एक शक्तिशाली किरदार को कैसे हरा सकता है। अगर हीरो भी बहुत ताकतवर होता, तो यह एक आसान लड़ाई लगती और दर्शकों को इतना रोमांच महसूस नहीं होता। यह ‘अंडरडॉग’ की जीत की कहानी है, जो हमेशा दर्शकों को पसंद आती है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे एक आम इंसान भी सुपरहीरो बन सकता है।

हाल के वर्षों में साउथ सिनेमा का प्रभाव बहुत ज़्यादा बढ़ गया है। इसका मुख्य कारण क्या है?
मुझे लगता है इसका मुख्य कारण लॉकडाउन है। लॉकडाउन से पहले, एस.एस. राजामौली की ‘बाहुबली’ ने सभी के लिए दरवाजे खोले थे। फिर ‘कांतारा’, ‘पुष्पा’, और ‘केजीएफ’ जैसी फिल्मों ने इसे और आगे बढ़ाया। लॉकडाउन के दौरान, जब लोग घर पर थे, उन्होंने सबटाइटल लगाकर दूसरी भाषाओं की फिल्में देखना शुरू कर दिया। इससे दर्शकों का नजरिया और भी बड़ा हो गया। आज के समय में हमारे दर्शक दुनिया भर की फिल्में देख रहे हैं, इसलिए अब सिनेमा के लिए कोई ‘साउथ’ या ‘नॉर्थ’ नहीं रह गया है, बल्कि सिर्फ ‘सिनेमा’ है। अब दर्शक बहुत खुले दिमाग के हैं और अगर कोई फिल्म अच्छी है, तो वह किसी भी भाषा में हिट हो सकती है। जैसे ‘ओपेनहाइमर’ और ‘महावतार नरसिम्हा’ जैसी फिल्मों ने दर्शकों को खूब चौकाया है यह दिखाता है कि भारतीय सिनेमा बहुत आगे जा रहा है।
भविष्य में कैसी स्क्रिप्ट और किरदार की तलाश में हैं। ड्रीम डायरेक्टर्स कौन हैं?
मैं एक अभिनेता हूं और मेरे लिए कोई सीमा नहीं है। आज भारतीय सिनेमा दुनिया भर में फैल गया है, इसलिए मैं किसी भी भाषा या किसी भी तरह के किरदार के लिए तैयार हूं। निर्देशकों में ऐसे बहुत सारे नाम हैं, जिनके साथ मैं काम करना चाहूंगा- जैसे कि राजामौली सर, सुकुमार सर, तमिल से वेट्रिमारन सर और प्रशांत नील। मैं एक्शन फिल्में पसंद करता हूं, इसलिए मैं इन एक्शन निर्देशकों का नाम ले रहा हूं।