दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में गुरुवार को राहुल गांधी ने ‘हाइड्रोजन बम’ वाली प्रेस कान्फ्रेंस में एक बार फिर चुनाव आयोग को घेरा. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनका ‘वोट चोरी’ के आरोपों के साथ-साथ खुद को देशभक्त और संवैधान का सम्मान करने वाला कहना और बीच में राष्ट्रगान का प्रसारण करवाना कई इशारे करता है. दरअसल राहुल की एटम बम वाली पीसी के बाद बीजेपी ने उन पर आरोप लगाया था कि वे चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर अनर्गल और झूठे आरोप लगाकर अराजकता फैलाना चाहते हैं. नेपाल में पिछले दिनों युवाओं के हिंसक प्रदर्शन के बाद भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों ने राहुल गांधी पर देश में अराजकता फैलाने के आरोपों में और तेजी ला दी है. ऐसे में आइये देखते हैं कि अपने आरोपों को पहले एटम बम और फिर हाइड्रोजन बम कहते कहते अपने तेवर और रणनीति में कैसे बदलाव लेकर आते हैं.
खुद को देशभक्त और संविधानिक संस्थाओं को सम्मान करने वाला बताना
राहुल गांधी ने कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में ही कहा, ‘मैं देशभक्त हूं, मुझे अपना संविधान प्रिय है. मैं लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करता हूं और मैं उस प्रक्रिया की रक्षा करने का प्रयास कर रहा हूं. इसलिए मैं यहां कुछ भी ऐसा नहीं कहूंगा जो 100% प्रमाण पर आधारित न हो, जिसे आप स्वयं परख न सकें… लेकिन ECI लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है.’ राहुल गांधी का यह बयान उनकी पिछली प्रेस कॉन्फ्रेंस (7 अगस्त 2025, ‘एटम बम’) से अलग था, जहां उनका टोन बहुत आक्रामक था. उन्होंने उस समय चुनाव आयोग को गद्दार तक कह दिया था. पर इस बार उन्होंने खुद पर कंट्रोल रखा.. शायद पिछली बार उनकी जो आलोचना हुई थी, उसका ये प्रभाव था.
इस बार, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर ‘लोकतंत्र के विनाशकों का संरक्षण’ करने का आरोप लगाने के बावजूद, उन्होंने संवैधानिक ढांचे के प्रति निष्ठा जताई. यह संदेश उनकी छवि को ‘संस्थाओं के खिलाफ’ से ‘संस्थाओं के सुधारक’ के रूप में पेश करने की रणनीति को दर्शाता है. यह राहुल की परिपक्वता और जनता की आलोचनाओं से सीखने का संकेत है. पहले उनके दावे जैसे महादेवपुरा में एक लाख फर्जी वोट को चुनाव आयोग और मीडिया संस्थानों ने तथ्यहीन साबित कर दिया था. BJP ने उन पर संस्थाओं का अपमान करने का आरोप लगाया था. एक्स पर आज एक यूजर ने लिखा कि राहुल रोज धमकी देते, संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करते हैं. इस बार, देशभक्ति और संविधान का जिक्र करके उन्होंने नैरेटिव को ‘लोकतंत्र बचाओ’ की ओर मोड़ा, जो विशेष रूप से युवाओं और विपक्षी समर्थकों को अपील करता है. एक और यूजर ने लिखा कि राहुल का हाइड्रोजन बम संविधान रक्षा का हथियार, उनकी विश्वसनीयता को फिर बहाल करने और ‘राष्ट्रविरोधी’ टैग को खारिज करने की कोशिश है.
राष्ट्रगान का प्रसारण, प्रतीकात्मक संदेश
कॉन्फ्रेंस के बीच में राष्ट्रगान का प्रसारण एक असामान्य लेकिन प्रतीकात्मक कदम था. X पर एक यूजर ने लिखा कि राहुल की PC में राष्ट्रगान ने लोकतंत्र और देशभक्ति का माहौल बनाया. हालांकि यह पहली बार नहीं था; 1 सितंबर की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के समापन में भी राष्ट्रगान बजा था. पर वो एक समारोह था ये एक पीसी थी. राष्ट्रगान ने कॉन्फ्रेंस को भावनात्मक गहराई दी और इसे ‘वोट चोरी’ जैसे तकनीकी मुद्दे से जोड़कर इसे ‘राष्ट्रीय महत्व’ का बनाया.
यह कदम जनता और मीडिया के बीच देशभक्ति का मजबूत संदेश देता है. BJP ने अक्सर कांग्रेस और राहुल को ‘राष्ट्रविरोधी’ करार दिया है, खासकर विदेशी मंचों पर राहुल के बयानों जैसे 2023 में लंदन में ‘लोकतंत्र खतरे में’ वाले बयान को लेकर काफी हल्ला मचाया था. राष्ट्रगान का प्रसारण इस आलोचना को कुंद करने और विपक्षी गठबंधन को एकजुट करने का प्रयास हो सकता है.
नेपाल में अराजकता का विवाद और उससे दूरी बनाना
नेपाल में अराजकता फैलने के बाद तमाम मंत्रियों और सत्ताधारी नेताओं को जनता ने सड़क पर दौड़ा दौड़ा कर पीटा. इस बीच देश के कई सोशल मीडिया हैंडल्स ने इस तरह रिएक्ट किया जिससे ऐसा लगा कि भारत का विपक्ष चाहता है कि भारत में भी इस तरह की अराजकता फैले. बीजेपी के कुछ नेताओं ने खुलकर आरोप लगाया कि राहुल गांधी और कांग्रेस देश में इस तरह का माहौल बनाना चाहते हैं कि भारत में नेपाल जैसी अराजकता फैल जाए. शायद राहुल गांधी आज की पीसी के बाद कुछ इस तरह का संदेश जनता के बीच न जाए इसलिए सजग थे. पीसी में देशभक्ति और संविधान पर जोर देना इस विवाद से दूरी बनाने का स्पष्ट संकेत लग रहा था. उन्होंने कहा, मैं भारत माता का बेटा हूं, विदेशी ताकतों से नहीं डरता.राष्ट्रगान और संवैधानिक निष्ठा का जिक्र इस नैरेटिव को तोड़ने की कोशिश थी कि वे किसी भी तरह ‘विदेशी साजिश’ से जुड़े हुए हैं.
राहुल गांधी कितना मैच्योर हुए आरोपों को लेकर
‘वोट चोरी’ के आरोपों को लेकर चुनाव आयोग (ECI) पर हमला बोलते हुए राहुल ने पहले की तुलना में अधिक सधे हुए और रणनीतिक रूप से अधिक मैच्योर दिखे. यह प्रेस कॉन्फ्रेंस उनकी पिछली ‘एटम बम’ PC (7 अगस्त 2025) से अलग थी. जहां पहले वे जल्दबाजी में तथ्यहीन दावों (जैसे महादेवपुरा में 1 लाख फर्जी वोट) के कारण आलोचना झेल चुके थे, इस बार उन्होंने सावधानी और सस्पेंस का सहारा लिया, जो उनकी परिपक्वता का संकेत है. राहुल ने आलंद (कर्नाटक) में 6,018 वोटरों के नाम कटने और महाराष्ट्र के राजूरा में फर्जी नाम जोड़े जाने के उदाहरण दिए, लेकिन ‘हाइड्रोजन बम’ को सबूतों की कमी की बात कहकर टाल दिया.
यह रणनीति ECI के तत्काल फैक्ट-चेक से बचने की थी, जो पहले उनके दावों को ‘आधारहीन’ बता चुका था. उन्होंने ECI से OTP और फोन डेटा मांगकर जवाबदेही का बोझ डाल दिया, जो एक सधी हुई चाल थी. उनकी भाषा भी पहले से संयमित थी. ‘लोकतंत्र पर हमला’ जैसे भावनात्मक नारे कम थे, और ‘युवाओं को जागरूक करने’ पर जोर था.
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