US Childhood Vaccines: अमेरिका में बच्चों के टीकाकरण को लेकर माता-पिता की झिझक लगातार बढ़ रही है. Washington Post और Kaiser Family Foundation (KFF) के हालिया सर्वे ने यह साफ कर दिया है कि हर छह में से एक माता-पिता (लगभग 16 प्रतिशत) ने अपने बच्चों के बचपन के नियमित टीके या तो देर से लगवाए हैं या फिर पूरी तरह छोड़ दिए हैं. इसमें फ्लू और कोविड-19 वैक्सीन शामिल नहीं हैं, बल्कि खसरा, पोलियो और डिप्थीरिया जैसी बीमारियों के जरूरी टीके भी आते हैं.
किन माता-पिता में टीकाकरण से परहेज ज्यादा?
रिपोर्ट में सामने आया कि कुछ खास समूहों में यह रुझान ज्यादा है. रिपब्लिकन झुकाव वाले माता-पिता, 35 साल से कम उम्र के युवा पैरेंट्स, होम-स्कूलिंग करने वाले परिवार और बहुत धार्मिक बैकग्राउंड वाले माता-पिता अपने बच्चों का टीकाकरण करवाने में हिचक दिखाते हैं. इसके अलावा, श्वेत (White) माता-पिता में भी यह व्यवहार अन्य समूहों की तुलना में अधिक पाई गई.
कौन से टीके छोड़ रहे हैं माता-पिता?
सर्वे के मुताबिक, MMR (खसरा, मंप्स, रूबेला), DTaP (डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टसिस), हेपेटाइटिस-B, पोलियो और चिकनपॉक्स जैसे जरूरी टीके कई बच्चों को समय पर नहीं मिल रहे. ये वही टीके हैं जिनकी वजह से दशकों तक अमेरिका ने इन बीमारियों को काफी हद तक नियंत्रण में रखा था.
वजह क्या है?
सर्वे में माता-पिता ने कई कारण बताए, जिनमें सबसे बड़ी चिंता सुरक्षा और साइड-इफेक्ट्स की है. लगभग दो-तिहाई (67%) माता-पिता का कहना था कि वे टीके के संभावित दुष्प्रभावों से डरे हुए हैं. कुछ का मानना है कि सभी टीके पूरी तरह सुरक्षित नहीं होते या फिर सभी जरूरी नहीं हैं.
कई माता-पिता को इस बात से भी परेशानी है कि छोटे बच्चों को एक साथ कई शॉट्स दिए जाते हैं. कुछ परिवारों का मानना है कि वे अपने बच्चों की सेहत को अन्य तरीकों से बेहतर रख सकते हैं, जैसे प्राकृतिक खानपान और जीवनशैली के जरिए. इसके अलावा, सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियों पर भरोसा न होना भी एक बड़ी वजह है, खासकर कोविड महामारी के दौरान फैली गलत जानकारी के बाद.
क्या यह समस्या पहुंच की वजह से है?
दिलचस्प बात यह है कि ज्यादातर माता-पिता ने यह स्वीकार किया कि उन्हें समय की कमी या टीकाकरण केंद्र की दूरी जैसी समस्या नहीं है. यानी यह झिझक मुख्य रूप से सोच और विश्वास से जुड़ी है, न कि पहुंच की दिक्कत से.
इसका असर कितना खतरनाक हो सकता है?
एक्सपर्ट का कहना है कि यदि बच्चों का नियमित टीकाकरण लगातार कम होता गया तो पहले से काबू में आ चुकी बीमारियां फिर से फैल सकती हैं. खसरा और पोलियो जैसी बीमारियां तभी नियंत्रित रह सकती हैं जब बड़ी संख्या में बच्चे टीका लगवाएं और समाज में “हर्ड इम्युनिटी” बनी रहे. इस सर्वे ने अमेरिका के लिए चिंता की घंटी बजा दी है. माता-पिता के मन में बैठा डर, गलत जानकारी और भरोसे की कमी आने वाले समय में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार और डॉक्टरों को मिलकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने और वैक्सीन पर विश्वास कायम करने की दिशा में गंभीर काम करना होगा, तभी इस संकट को टाला जा सकेगा.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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