अफगानिस्तान में फरवरी 2025 से तालिबान की हिरासत में रहे ब्रिटेन के बुजुर्ग दंपत्ति बार्बी और पीटर रेनॉल्ड्स को आखिरकार रिहा कर दिया गया है. दोनों को क़तर की मध्यस्थता से छोड़ा गया और उन्हें दोहा ले जाया गया.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, तालिबान ने 1 फरवरी को इस दंपत्ति को पकड़ा था. उनके साथ एक चीनी-अमेरिकी मित्र और एक स्थानीय अनुवादक को भी पकड़ा गया था. परिवार को उनकी सेहत और उम्र को लेकर गंभीर चिंता थी.
अधिकारियों ने बताया कि कतर उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटिश सरकार और दंपति के परिवार के साथ लंबे समय से बातचीत कर रहा था. अधिकारी ने बताया कि हिरासत में बिताए गए 7 महीनों के दौरान उन्हें ज्यादातर अकेले रखा गया. इस दौरान काबुल स्थित कतर दूतावास ने उनकी मदद की. दूतावास ने उनके लिए डॉक्टर की सुविधा, दवाइयां उपलब्ध कराना और परिवार से लगातार संपर्क बनाए रखने जैसी ज़रूरी सहायता दी.
बीबीसी ने फरवरी में तालिबान के आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया था कि मध्य अफ़गानिस्तान के बामियान प्रांत में एक एनजीओ के लिए काम करने वाले दो ब्रिटिश नागरिकों को पकड़ा में लिया गया था. एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने स्थानीय प्रशासन को बताए बिना विमान का इस्तेमाल किया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था.
ब्रिटेन की पीए समाचार एजेंसी के मुताबिक, इस दंपति को उनके चीनी-अमेरिकी दोस्त फेय हॉल और उनके प्रशिक्षण व्यवसाय से जुड़े एक अनुवादक के साथ गिरफ्तार किया गया था.
बता दें कि 2021 में तालिबान के सत्ता संभालने के बाद से कतर लगातार अफगानिस्तान में हिरासत में लिए गए विदेशियों की रिहाई के लिए काम कर रहा है. कतर के वार्ताकार 2025 तक कम से कम तीन अमेरिकियों की रिहाई में मदद कर चुके हैं.
2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद ब्रिटेन, अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने अपने दूतावास बंद कर दिए और राजनयिकों को वापस बुला लिया. ब्रिटेन ने अपने नागरिकों को अफगानिस्तान की यात्रा न करने की सलाह दी है और वहां हिरासत में लिए जाने के खतरे के बारे में चेतावनी दी है.
द संडे टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ये ब्रिटिश दंपति पिछले 18 साल से अफगानिस्तान के स्कूलों में परियोजनाएं चला रहा था. तालिबान के सत्ता में आने के बाद भी उन्होंने अफगानिस्तान में ही रहने का फैसला किया था.
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