Marriage in Islam: इस्लाम में निकाह का नियम! पैगंबर साहब से जानिए शादी करने का सही तरीका?

Marriage in Islam: इस्लाम में निकाह का नियम! पैगंबर साहब से जानिए शादी करने का सही तरीका?


Marriage in Islam: इस्लाम धर्म में निकाह करना खुदा की इबादत करने के बराबर है. विवाह करना जीवन में नए सफर की ओर महत्वपूर्ण कदम उठाने जैसा है. अल्लाह ने खुद कहा है कि, ‘निकाह इस्लाम में जरूरी है, जो निकाह करने में सक्षम नहीं है, वो रोजा रखें.’

इस्लाम धर्म में शादी दूल्हा-दुल्हन के बीच एक पवित्र अनुबंध है और दीन का करीब आधा हिस्सा पूरा करता है. निकाह आधुनिक समाज के रीति-रिवाजों और परंपराओं को निभाने की बजाए, कुरान और सुन्नत की शिक्षाओं के अनुसार किया जाना ही बेहतर होता है.

निकाह सरल और किफायती हो

पैगंबर मुहम्मद (स) ने इस्लाम में निकाह के संबंध में मार्गदर्शन करते हुए इसे आसान बनाने पर जोर दिया है. निकाह जैसे पवित्र अवसर पर खुशी जाहिर करने के साथ विवाह भोज का आयोजन करना और समाज के सभी वर्गों के लोगों इसमें आमंत्रित करना चाहिए.

इस्लाम धर्म में महर (कानूनी दहेज) को सरल और किफायती रखने पर जोर दिया जाता है. पैगंबर मुहम्मद साहब ने कहा कि, सबसे अच्छा दहेज वो है, जो सस्ता और आसान हो.

इसका मतलब यह है कि, इस्लाम को मानने वाले लोगों को निकाह को बोझिल रस्मों और भारी-भरकम दहेज की जगह सस्ता और सरल बनाना चाहिए, ताकि रिश्तें की शुरुआत मोहब्बत से हो न कि दिखावे और तंगी से. (अबू दाऊद: 2117)

भोज दो भले ही एक भेड़ का ही

निकाह को सरल और बरकत से भरा बनाने के लिए पैगंबर साहब ने कहा है कि, भोज दो, भले ही वो केवल एक भेड़ का ही क्यों न हो. (सहीह अल-बुख़ारी: 1943)

इसका मतलब है कि निकाह में किसी भी तरह का दिखावा या फिजूलखर्ची नहीं करना चाहिए, बल्कि नेक नियत और सादगी के साथ शादी करनी चाहिए. जरूरी नहीं कि बड़ी दावतें ही निकाह में की जाए, छोटी और अंतरंग दावत भी निकाह का सबब बन सकती है.

निकाह में मेहमानों के साथ भेदभाव गलत

हदीस (सहीह मुस्लिम 1432) के अनुसार सबसे खराब तरह का भोजन निकाह की दावत है, जहां अमीरों को आमंत्रित किया जाता है और गरीबों को नजरअंदजा कर दिया जाता है. इसलिए निकाह में मेहमानों के साथ किसी भी तरह का भेद-भाव नहीं करें.

हदीस (मुसन्नफ़ इब्न अबी शायबा 17156) के अनुसार एक आदमी अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ि) के पास आता है और बोलता है कि, मैंने एक जवान कुंवारी लड़की से शादी की है, लेकिन मुझे डर है कि वो मुझ से नफरत न करने लगे.

फिर अब्दुल्लाह ने कहा कि, प्यार अल्लाह से होता है और शैतान से नफरत की जाती है, जो चाहता है कि तुम अल्लाह की बनाई चीजों से नफरत करो. जब वह शादी की रात तुम्हारे पास आए, तो उससे कहो कि वह तुम्हेर पीछे दो रकउत नमाज पढ़ें.

संबंध स्थापित करने से पहले पढ़ें नमाज

यौन अंतरंगता से पहले एक इस्लामी दुआ जरूर पढ़ी जानी चाहिए. इसका उद्देश्य इस बात को जाहिर करता है कि, यह पल बेहद पाक (पवित्र) और सुरक्षित रहे, और किसी भी तरह की शैतानी या नकारात्मक प्रभाव इसे प्रभावित नहीं करें.

इसके लिए अरबी में दुआ भी है- बिस्मिल्लाह, अल्लाहुम्मा जन्निबनास-शैतान व जन्निबश-शैतान मा रज़ाक़्ताना

बिस्मिल्लाह”- अल्लाह के नाम से किसी भी काम की शुरुआत करनी चाहिए.

“अल्लाहुम्मा जन्निबनाश-शैतान”- हे प्यारे अल्लाह हमें शैतान से बचाओं.

“व जन्निब-अश-शैताना मा रज़ाक्ताना”-और जो तू हमें (इच्छा और स्वास्थ्य सहित) प्रदान करता है, उसमें से शैतान को दूर रख.”

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



Source link

Leave a Reply