Surya Grahan 2025: सूर्य ग्रहण में शुभ प्रभाव पाने के लिए करें ये खास उपाय, मिलेंगे शुभ फल – Surya Grahan 2025 date remedies to get positive effects tvisc

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Surya Grahan 2025: 21 सितंबर यानी आज साल 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा. यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा सूर्य के एक हिस्से को ढक लेगा, जिससे सूर्य एक अर्धचंद्राकार आकार में दिखाई देगा. हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा, ऊर्जा और जीवन शक्ति का प्रतीक माना गया है. सूर्य सिंह राशि के स्वामी हैं और जीवन में आत्मविश्वास, तेज और प्रतिष्ठा प्रदान करते हैं. जब सूर्य ग्रहण लगता है, तब ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति असामान्य हो जाती है और उसका सीधा असर मानव जीवन पर भी दिखाई देता है. शास्त्रों के अनुसार, यह समय नकारात्मक ऊर्जाओं का होता है, इसलिए इसे अशुभ माना जाता है.

सूर्य ग्रहण में अच्छे लाभ के लिए करें ये उपाय

आचार्य डीपी शास्त्री ने बताया है कि जो व्यक्ति सूर्य ग्रहण के समय धर्म-पुण्य और साधना में जुटे रहते हैं, उन पर कोई भी क्रूर ग्रह अपना दुष्प्रभाव नहीं डाल पाता है. इसलिए, ग्रहण काल को केवल निषेध और डर का समय न मानकर इसे आत्मिक शुद्धि और साधना का अवसर समझना चाहिए.

आगे ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि, सूर्य ग्रहण में भगवान का स्मरण सबसे प्रभावी उपाय है. इष्टदेव का नामजप, विशेषकर ऊं नमो भगवते वासुदेवाय, ऊं नमः शिवाय या ऊं सूर्याय नमः मंत्रों का जप करने से मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इस समय धार्मिक ग्रंथों का पाठ भी अत्यंत फलदायी माना गया है. श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत पुराण, रामचरितमानस या नारायण कवच का पाठ करने से पापों का क्षय होता है और परिवार पर आने वाले संकट टल जाते हैं. यदि समय कम हो तो केवल भजन-कीर्तन करना भी शुभ माना गया है.

इसके अलावा, साधक इस समय साधना और ध्यान करें. सूतक और ग्रहण के समय ध्यान करने से आत्मिक शांति मिलती है और मन का चंचलपन समाप्त होता है. साथ ही, इस दौरान दान का विशेष महत्व बताया गया है. यदि तुरंत दान न कर सकें, तो उसका संकल्प ज़रूर लें. खासतौर पर गुड़, गेहूं, तिल और अन्न का दान बहुत शुभ माना जाता है.

सूर्य ग्रहण में न करें ये कार्य

सूर्य ग्रहण में मांगलिक कार्य, जैसे शादी, गृहप्रवेश या मुंडन आदि नहीं करने चाहिए. भोजन बनाना और करना भी वर्जित माना गया है. इस समय आलस्य और नींद में समय न गंवाकर, पूजा-पाठ और ध्यान में समय लगाना ही श्रेष्ठ है.

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