Solar Eclipse 2025: ईसाई क्यों मानते हैं सूर्य ग्रहण को प्रलय का संकेत

Solar Eclipse 2025: ईसाई क्यों मानते हैं सूर्य ग्रहण को प्रलय का संकेत


Solar Eclipse 2025: पृथ्वी पर किसी न किसी स्थान में हर साल कम से कम दो और अधिकतम पांच ग्रहण दिखाई पड़ते हैं. आज 21 सितंबर 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. लेकिन यह दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि यह साल 2025 का अंतिम सूर्य ग्रहण है.

हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण की घटना को शुभ नहीं माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रहण का प्रभाव राशिचक्र की सभी राशियों से लेकर देश दुनिया पर पड़ता है. इसी तरह अलग-अलग धर्म में सूर्य ग्रहण को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. चीनी मान्यता है कि सूर्य ग्रहण में एक अजगर सूर्य को निगल लेता है. नॉर्डिक मान्यताओं के अनुसार, एक विशाल भेड़िया सूर्य को निगलने की कोशिश करता है, जिससे ग्रहण लगता है.

मैक्सिकन मान्यता है कि अगर गर्भवती महिला ग्रहण देख ले, तो बच्चे के चेहरे पर निशान पड़ सकता है. वियतनाम में माना जाता है कि एक विशाल मेंढक सूर्य को निगल जाता है. इसी क्रम में ईसाई धर्म से जुड़ी मान्यता में सूर्य ग्रहण को प्रलय का संकेत और ईश्वर द्वारा दी जाने वाली चेतावनी माना जाता है.

क्या सच में प्रलय का संकेत है सूर्य ग्रहण

ईसाई धर्म या फिर बाइबल में कहीं भी सीधे तौर पर सूर्य ग्रहण को प्रलय के संकेत के रूप में नहीं बताया गया है और ना ही इसका कोई शास्त्रीय आदेश है. लेकिन कुछ धार्मिक परंपराओं में सूर्य ग्रहण को सांकेतिक दृष्टिकोण के रूप में विस्तृत किया गया है. जैसे कि, बाइबिल में सूर्य, चंद्रमा और तारों को भगवान की इच्छा, चेतावनी और भविष्यवाणी का प्रतीक माना जाता है. दिन के समय सूर्य की रोशनी का अचानक खत्म होकर अंधेरा हो जाना और चंद्रमा का लाल हो जाने को प्रलय या भगवान की चेतावनी के रूप में देखा जाता है.

पुराने समय में प्राकृतिक आपदा और ग्रहण जैसी असामान्य घटनाओं को लोग प्रलय या विनाश के रूप में देखते थे. सूर्य ग्रहण के दौरान जब अचानक अंधेरा हो जाता था और डर जाते थे तो इसे प्रलय से जोड़ते थे. ईसाई धर्म के कुछ अनुयायी इसे समय के अंत या प्रलय का संकेत मानते थे.

हालांकि आधुनिक समय में वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण को सामान्य खगोलीय घटना के रूप में देखा जाता है. लेकिन फिर कई ईसाई समुदाय इसे प्रतीकात्मक चेतावनी मानते हैं धार्मिक रूप से अपने कर्मों पर ध्यान देने, प्रार्थना करने की सलाह देते हैं.

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