Shardiya Navratri 2025: देशभर में नवरात्रि का त्योहार बड़े हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस समय मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है और यह समय उनकी साधना के लिए भी शुभ माना जाता है.
मां को पूजा में फूल, नारियल, चुनरी, वस्त्र और दीपक आदि अर्पित किए जाते हैं, मगर कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि, पूजा के बाद इन सामग्री का क्या करना चाहिए?
आइए जानते हैं कि नवरात्रि पूजा में इस्तेमाल की गई जली हुई बाती, नारियल, फूल, कलश, चुनरी और कपड़े का क्या करें. इन्हें ऐसे ही फेंक देना चाहिए या इसके कुछ नियम है?
जली हुई बती का क्या करें
नवरात्रि में पूजा के समय जलाई गई बाती को कभी कूड़े में नहीं फेकना चाहिए. अगर वह बाती पूरी तरह से न भी जली हो तो, उसे एक पवित्र जगह पर रख दें. इसके बाद नवरात्रि के आखरी दिन सारी बाती को इक्ट्ठा करके उसमें लौंग और थोड़ा सा घी डालकर उसे दोबारा जलाएं.
इससे आपके घर की नकारात्मकता ऊर्जा दूर हो जाएगी और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होगा. उसके बाद बची हुई राख को पौधे में डाल दे. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसकी भभूत बुरी नजर से बचाती है.
फूलों का सम्मानपूर्वक उपयोग करें
नवरात्रि के दौरान माता को अर्पित किए गए फूल साधारण नहीं होते, इनमें देवी की ऊर्जा मानी जाती है. इन्हें कचरे में फेंकने के बजाय प्रसाद मानकर पूजा स्थल या धन स्थान पर रखें. जो फूल बचे हों, उन्हें गमले या पौधों में डाल सकते हैं, जिससे वे प्राकृतिक खाद बन जाते हैं.
कलश के जल और सिक्कों का प्रयोग
पूजन के बाद कलश का जल बहुत शुभ माना जाता है. इसे पूरे घर में छिड़कें, जिससे सकारात्मक ऊर्जा फैलती है. बचे हुए जल को पौधों में डाल दे. कलश में रखे सिक्कों को लाल कपड़े में बांधकर धन स्थान पर सुरक्षित रखें, इसे माता का आशीर्वाद माना जाता है.
नारियल का प्रयोग कैसे करें
देवी को चढ़ाया गया नारियल पवित्र प्रसाद माना जाता है. इसे परिवार और मित्रों में बांटना शुभ होता है. अगर नारियल सूख गया हो तो उसे नदी या तालाब में प्रवाहित करें. वहीं, यदि नारियल खराब निकल जाए तो उसे भूमि में दबा दें. मान्यता है कि ऐसा करने से आपके कष्ट दूर हो जाते हैं.
चुनरी का महत्व
माता की चुनरी आशीर्वाद का प्रतीक होती है. इसे घर के पवित्र स्थान, धन स्थान या वाहन पर बांधा जा सकता है. पूजा-पाठ के समय इसे सिर पर रखना भी शुभ माना जाता है. यदि चुनरी का उपयोग न हो पाए तो इसे मंदिर में अर्पित करें या किसी श्रद्धालु को भेंट करें.
चौकी और वस्त्रों का क्या करें
पूजा के बाद माता की चौकी और वस्त्रों को अच्छी तरह से साफ करके सुरक्षित रखें. इन्हें आगे आने वाले धार्मिक अवसरों में उपयोग किया जा सकता है. यदि इनकी आवश्यकता न हो तो इन्हें मंदिर में दान करना या किसी जरूरतमंद को देना उत्तम माना जाता है.
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