Rise Of Pet Culture India: क्या बच्चों की जगह ले लेंगे जानवर, जानें भारत में क्यों बढ़ रही पेट पैरेंटिंग?

Rise Of Pet Culture India: क्या बच्चों की जगह ले लेंगे जानवर, जानें भारत में क्यों बढ़ रही पेट पैरेंटिंग?



Pet Parenting In India: कहा जाता है कि कुत्ते इंसान के सबसे वफादार दोस्त होते हैं, यही कारण है कि इंसान सदियों से कुत्तों को अपने साथ रखता आ रहा है, लेकिन क्या यह आपके खुद के बच्चों से भी ज्यादा जरूरी हैं? यह सवाल हमारा नहीं है, बल्कि कई लोगों के मन में चल रहा है कि आखिर क्या इंसान के लिए बच्चों की जगह कुत्ते ले लेंगे. ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत में पेट पैरेंटिंग का कन्सेप्ट बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा है. कई लोग बच्चे की जगह कुत्तों के साथ समय बिताना ज्यादा अच्छा समझ रहे हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि क्या इंसानों के लिए उनके बच्चों की जगह कुत्ते ले पाएंगे या फिर नहीं और भारत में पेट पैरेंटिंग क्यों बढ़ रही है.

क्या होती है पेट पैरेंटिंग?

अगर आप किसी पालतू जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, खरगोश, गाय, पक्षी आदि को अपने घर में पालतू जानवर की तरह नहीं, बल्कि परिवार के सदस्य जैसे रखते हैं तो यह पेट पैरेंटिंग कहलाता है. इसमें आप मालिक की जगह पैरेंट की भूमिका निभाते हैं. जानवर के खाने-पीने से लेकर उसकी हेल्थ का ध्यान रखना, उसका बर्थडे सेलिब्रेट करना, उसके लिए कपड़े, खिलौने, स्पेशल फूड खरीदना, जैसे आप अपने बच्चे के लिए करते हैं, तो यह पेट पैरेंटिंग कहलाता है. इसमें कुछ जरूरी बातें शामिल होती हैं, जैसे कि इमोशनल बॉन्डिंग, फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट, लाइफस्टाइल चेंज और सोशल आइडेंटिटी शामिल होती हैं.

भारत में क्यों बढ़ रही है पेट पैरेंटिंग?

भारत में पेट पैरेंटिंग बढ़ने के कई कारण हैं. इसमें पहला कारण है कि बच्चों की परवरिश में स्कूल, कॉलेज, चिकित्सा, देखभाल आदि कई बड़े खर्च होते हैं. इसलिए कुछ लोगों का यह मानना है कि जानवरों को पालने और उनके ऊपर जो खर्च होता है, वह बच्चों के ऊपर खर्च से काफी कम होता है. दूसरा कारण है अकेलापन और इमोशनल सपोर्ट की कमी. आजकल शहरों में लोग अकेला महसूस कर रहे हैं, उनका ध्यान देने वाला कोई नहीं है. बच्चे उन्हें अकेला छोड़कर काम में बिजी हो जा रहे हैं. यही कारण है कि अपने इस खालीपन को भरने के लिए लोग जानवरों का सहारा लेते हैं. इसके अलावा नई पीढ़ी चाहती है कि उनके जीवन में कम भार हो, वे अपने हिसाब से आजादी वाली जिंदगी जीना चाहते हैं, उनके लिए बच्चा होना जरूरी नहीं, बल्कि संतुलन, खुशी, मानसिक शांति ज्यादा महत्व रखती है. Mars Petcare की रिपोर्ट बताती है कि भारत में करीब 70 प्रतिशत नए पेट मालिक पहली बार हैं, और जानवरों को परिवार मानने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. यही सब कारण है कि लोग बच्चे को छोड़कर जानवरों को ज्यादा अपना सदस्य बना रहे हैं.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

 



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