Husband Wife Relation in Hinduism: भारतीय संस्कृति में पत्नी द्वारा पति का नाम न लेना सम्मान और परंपरा से जुड़ा है, जिसका मुख्य कारण पति की उम्र कम होने का भय है, जैसा कि स्कंद पुराण में बताया गया है.
इसके अतिरिक्त, इसे पति के प्रति गहरे सम्मान और आत्मिक संबंध के रूप में भी देखा जाता है, क्योंकि सम्माननीय व्यक्ति का नाम लेना अमर्यादित माना जाता था.
पत्नी पति का नाम क्यों नहीं लेती है?
भारतीय परंपरा में पत्नी के पति का नाम न लेने के पीछे मुख्य रूप से सम्मान, शर्म और धार्मिक विश्वास कारण हैं, जिनमें स्कंद पुराण के अनुसार पति का नाम लेने से उम्र घटने की मान्यता और आत्मा नाम-विहीन होती है जैसी मान्यताएं शामिल है.
पत्नी को पति के नाम न लेने के धार्मिक और पौराणिक कारण
स्कंद पुराण के अनुसार
इस पौराणिक ग्रंथ में उल्लेख है कि, पति का नाम लेने से उनकी उम्र कम हो जाती है.
पतिव्रता धर्म
पतिव्रता स्त्री की पहचान का एक हिस्सा पति का नाम न लेना भी माना जाता था, जिसमें पत्नी पति के खाने के बाद खाती थी और उनके बाद सोती थी.
शिव महापुराण
कुछ प्राचीन ग्रंथों में भी पतिव्रता स्त्री के लिए पति का नाम न लेने का निर्देश है.
पत्नी को पति के नाम न लेने के सामाजिक और सांस्कृतिक कारण
- सम्मान का प्रतीक: पति का नाम न लेना, सम्मान और अनुशासन का प्रतीक माना जाता था. सम्माननीय व्यक्ति को उसके नाम से नहीं पुकारा जाता, बल्कि उनके पद या रिश्ते से संबोधित किया जाता है.
- आत्मिक संबंध: भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के संबंध को शारीरिक से परे, आत्मिक स्तर पर देखा जाता है. आत्मा नाम-विहीन होती है, इस विचार के चलते भी ऐसा माना जाता है.
- उम्र में बड़े होना: पति अक्सर पत्नी से उम्र में बड़े होते हैं, और बड़ों का नाम न लेना एक शिष्टाचार माना जाता था.
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