लंदन8 घंटे पहले
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डिकी बर्ड ने 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली।
दिग्गज अंपायर डिकी बर्ड का 92 साल की उम्र में निधन हो गया है। मंगलवार शाम इंग्लैंड की यॉर्कशायर काउंटी ने इसकी जानकारी दी। क्लब ने एक बयान जारी कर बताया-

क्रिकेट की सबसे चहेते चेहरों में से एक आज हमारे बीच नहीं रहे। डिकी बर्ड ने इंटरनेशनल क्रिकेट में बतौर अंपायर खूब सफलता प्राप्त की। उनका नाम क्रिकेट इतिहास में सबसे लोकप्रिय मैच ऑफिशियल के रूप में याद रखा जाएगा।
हेराल्ड डेनिस बर्ड उर्फ डिकी बर्ड का जन्म 19 अप्रैल 1933 को बानस्ली में हुआ। उन्होंने अपना पूरा जीवन क्रिकेट को समर्पित कर दिया। उन्होंने क्रिकेट की दीवानगी के चलते कभी शादी भी नहीं की। डिकी ने इंग्लैंड में यॉर्कशायर और लीसेस्टरशायर क्लब के लिए क्रिकेट खेला, लेकिन उन्हें बतौर अंपायर ज्यादा पहचान मिली।
वे भारत की पहली वर्ल्ड कप जीत के गवाह भी बने। उन्होंने 1983 में भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेले गए फाइनल मुकाबले में अंपायरिंग की। वे 3 वर्ल्ड कप फाइनल अंपायर रहे। वे 2014 में यॉर्कशायर क्रिकेट क्लब के अध्यक्ष भी रहे।
यॉर्कशायर ने इस पोस्ट के जरिए डिकी बर्ड के निधन की जानकारी दी

डिकी बर्ड का इंटरनेशनल अंपायरिंग करियर 5 जुलाई 1973 को इंग्लैंड-न्यूजीलैंड मैच से शुरू हुआ था। साल 1996 में भारत के इंग्लैंड दौर पर वे आखिरी बार अंपायरिंग करते दिखे। डिकी बर्ड ने 66 टेस्ट मैच और 69 वनडे मैचों में अंपायरिंग की।

चोट के कारण क्रिकेट करियर से रिटायरमेंट लिया
डिकी बर्ड ने अपने 93 मैचों के फर्स्ट-क्लास करियर में 3314 रन बनाए। उनका बल्लेबाजी औसत सिर्फ 20 का रहा। उन्होंने 2 शतक और 14 फिफ्टी लगाई थीं।
चोट के कारण महज 32 साल की उम्र में उन्हें क्रिकेट करियर से रिटायरमेंट लेनी पड़ी थी। उसके बाद कुछ साल उन्होंने कोचिंग में गुजारे और फिर अंपायरिंग में कदम रखा।

डिकी बर्ड से जुड़े 4 मशहूर किस्से
किस्सा-1: 1983 वर्ल्ड कप फाइनल में मैल्कम मार्शल से भिड़ गए थे
लॉर्ड्स में भारत और वेस्टइंडीज के बीच 1983 वर्ल्ड कप का फाइनल मैच खेला जा रहा था। भारत का नंबर-11 बल्लेबाज बलविंदर सिंह संधू मैदान पर था। वेस्ट इंडीज के पेसर मैल्कन मार्शल ने संधू को बाउंसर फेंकी और बॉल संधू के हेलमेट पर लगी। इस पर डिकी बर्ड ने उनकी क्लास लगा दी।
उस मुकाबले में भारतीय टीम का हिस्सा रहे सैयद किरमानी ने स्टार स्पोर्ट्स के एक शो में इस घटना का जिक्र करते हुए कहा था- ‘जब मार्शल को संधू को बाउंसर मारी। इस पर डिकी बर्ड ने मार्शल से कहा- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई आखिरी नंबर पर उतरे उस खिलाड़ी को बाउंसर फेंकने की, जो बल्लेबाजी नहीं कर सकता है. उससे सॉरी बोलो।’
किस्सा-2: मैच के दौरान गावस्कर के बाल काटे थे
ये किस्सा साल 1974 का है। तब भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर गई थी और पहला टेस्ट मैच मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड ग्राउंड पर खेला जा रहा था। इंग्लैंड ने पहली पारी में 328 रन बनाए थे। भारतीय टीम पहली पारी में 246 रनों पर ऑलआउट हो गई थी। तब सुनील गावस्कर बिना कैप पहने बैटिंग किया करते थे।
गावस्कर के बाल घुंघराले और बड़े थे। तेज हवा के कारण बैटिंग के दौरान उनके बाल बार-बार आंखों में घुस रहे थे। इससे उनको बैटिंग करने में दिक्कत हो रही थी। ऐसे में गावस्कर ने अंपायरिंग कर रहे डिकी बर्ड से थोड़े-से बाल काटने का निवेदन किया, ताकि बाल उनकी आंखों में न आएं।इसके बाद अंपायर ने गावस्कर के थोड़े-से बाल काट दिए।
सुनील गावस्कर ने यह किस्सा अपने 75वें जन्मदिन के मौके पर इंस्टाग्राम में साझा किया था। गावस्कर ने लिखा था- ‘इस मैच में मैं दुनिया का इकलौता ऐसा क्रिकेटर बन गया जिसने मैदान पर बाल कटवाए। डिकी बर्ड ने मेरी बाईं आंख में घुस रहे बालों को काटा था।’
किस्सा-3: क्वीन से मिलने पांच घंटे पहले पहुंच गए
इंग्लैंड के शाही महल बकिंघम पैलेस में डिकी बर्ड का सम्मान होना था। खुद महारानी ने उन्हें मिलने बुलाया था। और महारानी के बुलावे पर बर्ड तय वक्त से पांच घंटे पहले ही बकिंघम पैलेस पहुंच गए। बर्ड ने डेली मेल को यह किस्सा सुनाते हुए कहा था-
‘एक दिन जब मैं अपने घर में बैठा हुआ था, तो मेरा फोन बजा। आवाज आई…मैं बकिंघम पैलेस से बोल रहा हूं। महारानी ने मुझे आदेश दिया है कि मैं पता करूं कि क्या आप उनके साथ बकिंघम पैलेस में लंच करने के लिए उपलब्ध हैं।
जवाब में मैंने कहा- अगर मुझे रानी के साथ दोपहर का भोजन करने के लिए आमंत्रित किया गया है, तो मैं इसके लिए बानस्ली से पैदल चलकर भी आ सकता हूं। मुझे वहां एक बजे पहुंचना था और वहां सुबह 8.30 बजे पहुंच गया। गेट पर खड़े सुरक्षाकर्मियों ने मुझसे कहा, ‘हमको पहले गार्ड्स की ड्यूटी बदलनी है। हम इसे डिकी बर्ड के लिए भी नहीं रोक सकते।’
ये सुनकर मैं एक छोटी सी कॉफी की दुकान में गया और वहां चार घंटे बैठा। फिर मैंने महारानी के साथ कमाल का लंच किया। और पूरी दोपहर उनके साथ बैठा। वो मेरे जीवन का सबसे बढ़िया दिन था।’
किस्सा-4 : वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ डिकी की टोपी भी ले गए फैंस
21 जून को 1975 को पहले वर्ल्ड कप का फाइनल खेला गया। लॉर्ड्स स्टेडियम में खेले गए इस मुकाबले को वेस्टइंडीज ने जीता। टीम ने ऑस्ट्रेलिया पर 17 रन की रोमांचक जीत दर्ज की। इससे फैंस जश्न मनाने के लिए मैदान पर घुस गए। एक फैन बर्ड के सिर से उनकी सफेद कैप ले गया।
डिकी ने डेली मेल के साथ यह किस्सा साझा किया था। उन्होंने बताया कि उस घटना के एक साल बाद मैं लंदन में एक बस में था। एक कंडक्टर आया और उसने सफेद कैप पहन रखी थी। मैंने उससे पूछा कि ये आपको कहां मिली? तो उसने कहा- ‘आपने मिस्टर डिकी बर्ड के बारे में नहीं सुना? ये उनकी कैप है। वर्ल्ड कप फाइनल में ये मैंने उनके सर से उठा ली थी। मुझे इस पर बहुत गर्व है।’ और ये बात सुनकर भी मैंने उस बंदे को नहीं बताया कि वो किससे बात कर रहा है।’
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