Salatul Tasbih: इस्लाम में गुनाहों से माफी और बरकत पाने का खास तरीका, जानिए कैसे पढ़ें ये नमाज़

Salatul Tasbih: इस्लाम में गुनाहों से माफी और बरकत पाने का खास तरीका, जानिए कैसे पढ़ें ये नमाज़



Salatul Tasbih prayer: सलातुल तस्बीह की नमाज चार रकात की नफिल नमाज है, जिसे पैगंबर मुहम्मद ने जीवन में कम से कम एक बार पढ़ने की सलाह दी है और इससे कई पापों को माफ करने के लाभ बताए गए हैं.

इस नमाज को पढ़ने के लिए, आपको तकबीर के बाद सना, सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर की तस्बीह पढ़ना सीखना होगा, जिसे अलग-अलग नमाज की अवस्थाओं में पढ़ना होता है.

सलातुल तस्बीह चार रकात की नफिल नमाज है, जिसमें सूरह अल-फातिहा और किसी भी सूरह के बाद  रुकु, दोनों सजदों और खड़े होकर 10-10 बार तस्बीह पढ़नी होती है, ताकि प्रत्येक रकात में कुल 75 मर्तबा तस्बीह हो, और चार रकातों में कुल 300 मर्तबा तस्बीह पढ़ी जाती है.

यह नमाज पिछले गुनाहों से माफी और अल्लाह की रहमत पाने के लिए पढ़ी जाती है और इसमें एक खास तस्बीह है: “सुब्हानअल्लाहि वल हम्दुलिल्लाहि व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”.

सलातुल तस्बीह की नमाज पढ़ने  का तरीका
सलातुल तस्बीह एक 4 रकात की नमाज है, जिसे चार रकात में 300 बार तस्बीह (सुब्हान अल्लाही वल हम्दुलिल्लाही वला इलाहा इल्लल्लाहू वल्लाहु अकबर) पढ़ने का नियम है. प्रत्येक रकात में इस तस्बीह को 75 बार पढ़ा जाता है.

इस नमाज का तरीका इस प्रकार है: नियत के बाद सना, फिर कुरान की सूरत पढ़ें, उसके बाद आप तस्बीह पढ़ना शुरू करें. रुकू में जाने से पहले, रुकू में रहते हुए, उठकर खड़े होने के बाद, दोनों सजदों में इस तस्बीह को पढ़ा जाता है. 

  • नियत: चार रकात नफिल नमाज पढ़ने की नियत करें.
  • शुरुआत: तकबीर (अल्लाहु अकबर) कहकर नमाज शुरू करें और हाथ बांध लें.
  • सना पढ़ें: सना (सबहानकल्लाहुम्मा व बिहम्दिका…) पढ़ें.
  • तस्बीह (15 मर्तबा): “सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर” को 15 मर्तबा पढ़ें.
    किरात (सूरह फातिहा और कोई सूरह): सूरह फातिहा और कोई भी सूरह पढ़ें.
  • तस्बीह (10 मर्तबा): फिर से 10 मर्तबा तस्बीह पढ़ें.

रुकू (10 मर्तबा): अल्लाहु अकबर कह कर रुकू में जाएं और रुकू की तस्बीह पढ़ें, फिर उठने के बाद 10 मर्तबा तस्बीह पढ़ें.
सजदा (10 मर्तबा): अल्लाहु अकबर कह कर सजदा करें, सजदे की तस्बीह पढ़ें, और फिर उठने पर 10 मर्तबा तस्बीह पढ़ें. 
दूसरा सजदा (10 मर्तबा): अल्लाहु अकबर कह कर दूसरे सजदे में जाएं और सजदे की तस्बीह पढ़ें, फिर उठने पर 10 मर्तबा तस्बीह पढ़ें. 
कुल रकातें: इस प्रक्रिया को चारों रकात के लिए दोहराएं, जिसमें कुल 300 बार तस्बीह पढ़ी जाएगी.

सलातुल तस्बीह की नमाज की फजिलत
सलातुल तस्बीह पढ़ने के बहुत फजिलत हैं, जिनमें गुनाहों का माफी, रोजी में बरकत और किसी भी मुसीबत या परेशानी के दूर होने की उम्मीद शामिल है. यह नमाज अल्लाह की याद और दुआ को जोड़ती है, जिससे दीन और दुनिया की बहुत सी बरकतें हासिल होती हैं.  

गुनाहों की माफी :यह नमाज पढ़ने से गुनाह माफ हो जाते हैं. 
रोजी में बरकत: इस नमाज की बरकत से रोजी-रोटी में बरकत पैदा होती है. 
मुसीबतों से निजात: किसी भी मुश्किल या परेशानी के वक्त इस नमाज को पढ़कर अल्लाह से दुआ करने पर वह मुसीबत दूर हो सकती है. 
अल्लाह की याद और दुआ का मेल: सलातुल तस्बीह, दुआ और अल्लाह की याद को एक साथ लाती है, जिससे यह एक खास इबादत बन जाती है. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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